बेटे-बेटी के हत्यारे मां-बाप को धमका रहे:मां बोली- पुलिस अफसर कहते हैं दूसरा बेटा भी मारा जाएगा; सागर दलित हत्याकांड की रिपोर्ट
परिवार का आरोप है कि पुलिस आरोपियों को बचा रही है।
‘हम कहीं भी जाते हैं, आवेदन लगाते हैं तो हमारे बेटे-बेटी के हत्यारे धमकाते हैं। पुलिस अधिकारी भी धमकी देते हैं। उस दिन एसपी से छोटे अधिकारी कह रहे थे कि तुम्हारा दूसरा बेटा विष्णु भी मारा जाएगा।’
सागर जिले के बरोदिया नौनगिर की रहने वाली बड़ी बहू अहिरवार जब ये कहती हैं, तो उनके पति उन्हें रोकने की कोशिश करते हैं। फिर कहते हैं- ‘वो मां है। उसका दिल नहीं मानता। मैंने भी सोच लिया है कि अपने बच्चों के हत्यारों को सजा दिलाए बिना चैन से नहीं रहूंगा।’
अगस्त 2023 में इस परिवार के 18 साल के बेटे नितिन की सरेराह हत्या और मां को निर्वस्त्र करने की इस शर्मनाक घटना के 10 माह बाद बरोदिया नौनगिर का दलित हत्याकांड एक बार फिर चर्चा में है।
दरअसल, पिछले दिनों सामाजिक संगठनों के नागरिक अधिकार समूह ने इस हत्याकांड की जांच कर एक रिपोर्ट तैयार की है। इसमें दावा किया गया है कि दलित हत्याकांड में पुलिस और प्रशासन आरोपियों के पक्ष में खड़ा है। रिपोर्ट में ये भी सिफारिश की गई है कि मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए।
दैनिक भास्कर सागर जिले के खुरई थाने से 15 किलोमीटर दूर इस गांव में अहिरवार परिवार से मिलने पहुंचा। परिवार ने कहा कि उन्हें 8 लाख रुपए का मुआवजा मिल चुका है, लेकिन सरकार ने खुरई में प्लॉट और मकान देने का जो वादा किया था, उसके कागज अब तक इसलिए नहीं दिए गए हैं क्योंकि वो चाह रहे हैं कि हम समझौता कर लें।
हम अपने बेटे-बेटी की हत्या को कैसे भुला दें। वो कहते हैं कि यदि तुमने समझौता नहीं किया तो तुम्हारा बेटा विष्णु भी मारा जाएगा। उस पर झूठे मुकदमे लगाकर पहले ही उसे जिलाबदर कर दिया गया है। परिवार अभी भी डर और दहशत के साए में जी रहा है।
अब जानिए कैसे हुई नितिन, अंजना और उनके चाचा राजेंद्र की मौत
बोरदिया नौनगिर में रहने वाले रघुवीर अहिरवार की इकलौती बेटी अंजना के साथ गांव के कुछ दबंगों ने 2019 में मारपीट की थी। परिवार का दावा है कि उसके साथ छेड़छाड़ भी हुई थी, लेकिन पुलिस ने एफआईआर में इसका जिक्र नहीं किया।
इसी मामले में समझौता करने का दबाव बनाए जाने पर 23 अगस्त 2023 को रघुवीर यादव के सबसे छोटे बेटे 18 साल के नितिन उर्फ लालू की गांव के दबंगों ने बाजार में पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। हत्या के बाद दबंगों ने रघुवीर यादव के घर जाकर तोड़फोड़ भी की थी।
नितिन की हत्या और तोड़फोड़ मामले में उसकी मां बड़ी बहू, बहन अंजना और गांव के रिश्ते में चाचा राजेंद्र अहिरवार मुख्य गवाह थे। दबंगों ने राजेंद्र अहिरवार पर गवाही बदलने का दबाव बनाया। जब वे नहीं मानें तो 9 महीने बाद राजेंद्र की भी कुल्हाड़ी और लाठी-डंडे से हमला कर हत्या कर दी गई।
राजेंद्र की हत्या के बाद अंजना उनकी लाश के साथ गांव लौट रही थी। गांव से कुछ दूरी पर खुरई तिराहे पर वह संदिग्ध हालत में चलती वैन से गिर गई। पुलिस का दावा था कि वह वैन से कूद गई थी। इससे सिर में चोट आई और कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई।
अंजना के साथ राजेंद्र की मां भागमती अहिरवार और पिता रामसेवक अहिरवार भी थे। पर दोनों को इस वारदात के बारे में पता नहीं चला। भागमती अहिरवार का दावा है कि विदिशा में पुलिस वालों ने उन्हें पानी दिया। इसके बाद उन्हें नींद आ गई। अंजना के गिरने और मौत के बाद पुलिस वालों ने उन्हें जगाकर इसके बारे में बताया। अंजना के साथ क्या हुआ, उन्हें कुछ पता नहीं।
26 मई को वैन से गिरने के बाद अंजना को अस्पताल लाया गया था। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अंजना की मौत की वजह सिर में चोट लगना बताई गई।
मां बोली- जो भाई की हत्या से नहीं टूटी वो चाचा की हत्या से कैसे विचलित हो गई
अंजना की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत पर ही सबसे अधिक बवाल मचा हुआ है। परिवार का आरोप है कि राजेंद्र की हत्या के बाद पुलिस वालों ने जानबूझकर उसकी मां और पिता को पानी में कुछ मिलाकर पिला दिया था। दोनों सो गए थे। खुरई तिराहे पर पुलिस ने जब दोनों को जगाया तो अंजना 20 फीट की दूरी पर गिरी हुई थी। उसके सिर में चोट थी। घुटने और हाथ में छिलने के निशान थे। पुलिस ने तब उन्हें बताया कि वो चलती गाड़ी से कूद गई।
अंजना की मां सवाल पूछती हैं कि जो लड़की सगे भाई की हत्या पर नहीं टूटी। वह बहादुरी के साथ गुनहगारों को सजा दिलाने में जुटी थी। आरोपियों की जमानत न हो, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ रही थी। वह दूर के रिश्ते में लगने वाले राजेंद्र अहिरवार की हत्या पर कैसे टूट सकती है।
दावा किया गया कि अंजना ने एक बड़े नेता से बातचीत संबंधी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया था। इसी के बाद से उसे रास्ते से हटाने की साजिश शुरू हो गई थी। अंजना की मां सवाल करती हैं कि वैन का पिछला दरवाजा अचानक कैसे खुल गया? तिराहे पर गाड़ी की स्पीड कम रही होगी, फिर वो कैसे गिर गई। उसे गिरते हुए राजेंद्र की मां और पिता क्यों नहीं देख पाए?
उनका आरोप है कि अंजना की मौत एक गहरी साजिश का नतीजा है, क्योंकि दबंगों सहित राजनीतिक रसूख रखने वालों को पता था कि अंजना यदि जीवित रही तो राजेंद्र की हत्या पर बड़ा बवाल करेगी। इसी के चलते उसे रास्ते से हटा दिया गया। इस मामले को पुलिस हादसा बताकर फाइल बंद करना चाहती है। मेरी सरकार और प्रशासन से गुहार है कि इसकी सीबीआई जांच हो, तभी अंजना की मौत का रहस्य सामने आ पाएगा।
24 घंटे पुलिस के पहरे में परिवार, जिलाबदर पर भी सवाल
राजेंद्र और अंजना की मौत के बाद से दोनों के घर की सुरक्षा के लिए 24 घंटे पुलिस का पहरा लगाया गया है। इसके अलावा दोनों के घरों की निगरानी के लिए भी तीन-तीन सीसीटीवी भी लगाए गए हैं। अंजना की मां के मुताबिक अब भी दबंग और कुछ राजनीतिक लोग समझौते का दबाव डाल रहे हैं। एक राजनीतिक रसूखदार के प्रभाव में आकर पुलिस के एक अधिकारी ने तो यहां तक धमका दिया कि दो बच्चों को खो चुकी हो, अब तीसरे को भी खो दोगी।
अंजना की मां ने बताया कि उस पुलिस अधिकारी का इशारा मेरे दूसरे नंबर के बेटे विष्णु अहिरवार की ओर था। पुलिस ने विष्णु अहिरवार को छह महीने के लिए जिलाबदर घोषित कर दिया है। जबकि विष्णु पर ऐसा कोई मामला दर्ज नहीं है, जिससे आम जनता में भय और आतंक का वातावरण बने। उसके खिलाफ दर्ज 6 मामलों में किसी मामले में भी दोष सिद्ध नहीं हुआ है।
एक में समझौता हो चुका है। तीन मामले छोटे विवाद के सामान्य प्रकरण हैं। एक में फरियादी विक्रम सिंह ठाकुर है, जिसके परिवार से इनकी रंजिश है और नितिन हत्याकांड में वह मुख्य आरोपियों में एक है। एक मामला चोरी का है, जो विचाराधीन है। पुलिस विष्णु सहित अन्य पर दर्ज इन्हीं प्रकरणों के आधार पर माहौल बनाने में जुटी है।
नागरिक समूह PUCL ने तीनों मौतों की जांच की, पुलिस कार्रवाई पर उठाए सवाल
9 महीने के अंतराल में दो दलित युवकों नितिन व राजेंद्र और न्याय की लड़ाई लड़ रही अंजना की संदिग्ध हालत में हुई मौत की नागरिक जांच के लिए एक टीम का गठन किया गया था। इस टीम में वकील मोहन दीक्षित, स्वतंत्र पत्रकार रोहित व सदफ खान, वकील आदित्या रावत, एका संस्था की नीलू दाहिया, पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीजPUCL की माधुरी, अखिल भारतीय नारीवादी मंच की अंजली और जागृत आदिवासी दलित संगठन के नितिन शामिल थे।
इस मामले को समझने के लिए टीम के सदस्यों ने 21 जून को पीड़ित परिवार, पुलिस प्रशासन के अधिकारी, मामले की जानकारी रखने वाले पत्रकार, वकील सहित अन्य लोगों से चर्चा की। संबंधित दस्तावेजों और पुराने मीडिया रिपोर्ट्स को परखा। इसके आधार पर इस नागरिक समूह ने एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें 10 बिंदुओं पर सवाल उठाए हैं।
नितिन की हत्या के मामले में लंबरदारों सहित 13 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया, लेकिन शिकायत के बावजूद भाजपा नेता अंकित सिंह ठाकुर को आरोपी क्यों नहीं बनाया?
अंजना ने धमकी और राजीनामा के दबाव को लेकर जो शिकायत की थी, उस पर कार्रवाई नहीं की गई।
बाद में प्राप्त सीसीटीवी फुटेज पर पुलिस ने संज्ञान क्यों नहीं लिया?
नितिन की मौत के दो घंटे बाद दर्ज FIR में पुलिस ने हत्या की धारा 302 क्यों नहीं लगाई? इसे बाद में जोड़ा गया।
राजेंद्र को दबंगों के हमले में गंभीर चोटें आईं थीं, लेकिन इलाज में जानबूझकर देरी क्यों की गई?
राजेंद्र की लाश को ले जाते समय बंद गाड़ी से अंजना नीचे कैसे गिर गई, यह बिल्कुल अविश्वसनीय है?
नितिन की हत्या के बाद पुलिस ने CCTV और सुरक्षा गार्ड दिया था, लेकिन अंजना की मौत के 10 दिन पहले पुलिस सुरक्षा वापस ले ली और सीसीटीवी कैमरे भी कैसे बंद हो गए?
पुलिस ने नितिन की हत्या के दौरान बड़ी बहू के कपड़े उतारे जाने की बात एफआईआर में क्यों नहीं जोड़ी?
दबंगों ने नितिन की हत्या के बाद बड़ी बहू के घर में तोड़फोड़ की थी। उनके घोड़े और तोते पर हमले और मौत की बात भी नहीं जोड़ी।
राजेंद्र की हत्या मामले में परिवार ने इसराइल खान, आशिक कुरैशी, टंटू कुरैशी, फहीम खान और बबलू खान के अलावा 11 अन्य के भी शामिल होने की शिकायत की थी। लेकिन, पुलिस ने जांच का हवाला देकर किसी का नाम शामिल नहीं किया।
दो हत्या और एक संदिग्ध मौत के बाद अंजना और नितिन के घर के साथ राजेंद्र के घर पर भी पुलिस तैनात है।
अंजना की मौत को लेकर नागरिक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में क्या कहा गया है?
सागर मध्यप्रदेश की राजनीति का अहम केंद्र है और इस मामले में विपक्षी नेताओं और तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खुद पीड़ितों से मुलाकात की थी। लेकिन डेढ़ महीने बाद भी राजेंद्र हत्याकांड के ज्यादातर आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।
अंजना की मौत को शव वाहन से ‘गिरने या कूदने’ के रूप में बताया जा रहा है जो अविश्वसनीय है। डेढ़ महीने बाद भी जब इस बारे में विस्तृत जानकारी मांगी जाती है तो पुलिस ‘जांच जारी है’ कहकर चुप हो जाती है। अंजना की मौत के हालात साजिश की ओर इशारा करते हैं।
अंजना पढ़ी-लिखी थी और उसने अत्याचार के इन सभी मामलों में न्याय दिलाने में सबसे अहम भूमिका निभाई। उसने ही परिवार की ओर से प्रशासन और राजनेताओं से संवाद किया। 15 साल की उम्र में ही वह अपने खिलाफ हुई हिंसा के लिए प्रभावशाली लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने में सफल रही और वह इस मामले में समझौता करने से इनकार करती रही।
अंजना अपने भाई नितिन और चाचा राजेंद्र की हत्या के मामले में भी मुख्य गवाह थी, क्योंकि उसने ही फोन पर अपने चाचा पर हुए हमले के बारे में बताया था। अंजना पर लगातार समझौता करने और गवाही बदलने का दबाव बनाया जा रहा था और उसने इस संबंध में कई लिखित शिकायतें भी की थीं।
अंजना ने नितिन की हत्या के आरोपियों की जमानत याचिका पर हाईकोर्ट में भी आपत्ति जताई थी, जिसके कारण उनकी जमानत खारिज हो गई थी। अंजना सुप्रीम कोर्ट में भी आपत्ति जताने की तैयारी कर रही थी।
चलती एंबुलेंस से कूदी युवती, मौत:चाचा का शव सड़क पर रख करना चाहती थी चक्काजाम
सागर जिले के खुरई में 26 मई को 23 वर्षीय युवती चलती एंबुलेंस से कूद गई। ज्यादा चोटें आने की वजह से उसकी मौके पर ही मौत हो गई। एंबुलेंस में वह परिजन के साथ चाचा का शव लेकर अपने गांव आ रही थी। परिजन के मुताबिक, युवती के चाचा राजेंद्र अहिरवार पर पुराने विवाद में गांव के ही कुछ लोगों ने हमला किया था। इलाज के दौरान सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में उन्होंने दम तोड़ दिया था। युवती चाचा का शव सड़क पर रखकर चक्काजाम करना चाहती थी।
सागर में चाचा की हत्या, भतीजी के मौत का मामला: पीसीसी चीफ ने राहुल गांधी से कराई पीड़ित परिवार की बात
सागर के बरोदिया नौनागिर में अंजना की मौत के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी अंजना अहिरवार के परिवार से मिलने पहुंचे थे। परिजनों ने उन्हें घटना के समय के वीडियो और दस्तावेज दिखाए। साथ ही अंकित ठाकुर का नाम एफआईआर में जोड़ने और मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की थी।
सौजन्य:दैनिक भास्कर
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