दलित महिला पर हमला: मुकदमा वापस न लेने पर दबंगों ने घर में घुसकर सरिया से किया हमला, पीड़िता गंभीर
जालौन, उत्तर प्रदेश: एक सनसनीखेज घटना में, जालौन के रेंढर थाना क्षेत्र के ग्राम खकसीस में दबंगों ने एक दलित महिला पर घर में घुसकर हमला कर दिया। आरोप है कि महिला ने गांव के ही कुछ दबंगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था, जिसे वापस लेने के लिए उस पर दबाव बनाया जा रहा था। जब महिला ने मुकदमा वापस लेने से इनकार कर दिया, तो दबंगों ने उसके घर में घुसकर उसे सरिया और अन्य धारदार हथियारों से पीट दिया। इस हमले में महिला गंभीर रूप से घायल हो गई।
ये है पूरा मामला
पीड़िता, अनीता, पत्नी राजेंद्र, ने बताया कि सुब्बी पुत्र जगमोहन, जगमोहन पुत्र रामस्वरूप कुशवाहा और भुल्लन पुत्र जगनमोहन नाम के आरोपियों ने इस घटना को अंजाम दिया। अनीता ने इन लोगों के खिलाफ पहले ही मुकदमा दर्ज करा रखा था, जिसके चलते वे उस पर मुकदमा वापस लेने का दबाव बना रहे थे। घटना के दिन, जब अनीता घर पर अकेली थी, तब आरोपी उसके घर में घुस आए और उस पर बेरहमी से हमला कर दिया। उन्होंने अनीता को सरिया और अन्य धारदार हथियारों से पीटा, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। अनीता के शोर मचाने पर आरोपी मौके से भाग गए। घर के अन्य सदस्यों को जब घटना की जानकारी हुई, तो उन्होंने तुरंत अनीता को अस्पताल में भर्ती कराया। पुलिस ने भी इस मामले में संज्ञान लिया है और आरोपियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है।
रेंढर थाने की प्रभारी निरीक्षक, नीलम सिंह ने बताया कि पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है और जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि पीड़िता को पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई है। यह घटना क्षेत्र में दलितों के खिलाफ अपराधों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताती है।
इस घटना से निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदु उभर कर आते हैं:
दलित महिलाओं को अक्सर उत्पीड़न और हिंसा का शिकार होना पड़ता है, खासकर जब वे अपनी आवाज उठाती हैं या अपने अधिकारों के लिए खड़ी होती हैं। मुकदमा वापस लेने के लिए दबाव डालना एक आम तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला हथकंडा है, जिसके ज़रिए पीड़ितों को डराया-धमकाया जाता है और उन्हें न्याय मिलने से रोका जाता है। जाति व्यवस्था के कारण दलितों को अक्सर पुलिस और कानून व्यवस्था द्वारा अनदेखा किया जाता है।
इस घटना को उजागर करना और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए कड़ी कार्रवाई की मांग करना महत्वपूर्ण है।
सौजन्य:पत्रिका
यह समाचार मूल रूप सेpatrika.com में प्रकाशित हुआ है|और इसका उपयोग पूरी तरह से गैर-लाभकारी/गैर-व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए विशेष रूप से मानव अधिकार के लिए किया गया था|