चुनावी बॉन्ड: छापों या जांच का सामना कर रही ज़्यादातर कंपनियां बॉन्ड की बड़ी खरीदार
भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा अपनी वेबसाइट पर अपलोड किए गए चुनावी बॉन्ड के डेटा के अनुसार, सबसे बड़े चंदादाताओं में शुमार फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज, मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, वेदांता और चेन्नई ग्रीनवुड्स ऐसी कंपनियां हैं जिनका कामकाज सवालों के घेरे में रहा है और वे जांच एजेंसियों के निशाने पर रही हैं|
नई दिल्ली/मुंबई: भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा अपनी वेबसाइट पर अपलोड किए गए चुनावी बॉन्ड के डेटा के अनुसार, फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज और मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड अप्रैल 2019 से जनवरी 2024 तक बॉन्ड के शीर्ष खरीदार रहे, जिन्होंने क्रमश: 1,368 करोड़ और 980 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. दोनों क्रमश: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग (आईटी) के निशाने पर रहे थे|
गुरुवार (14 मार्च) को, अदालत द्वारा आदेशित समय सीमा से एक दिन पहले भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने 2019 से खरीदे और भुनाए गए चुनावी बॉन्ड पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा उसे उपलब्ध कराया गया डेटा अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया. डेटा तब जारी किया गया जब सुप्रीम कोर्ट ने इस सप्ताह की शुरुआत में एसबीआई से 2019 के बाद से चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों और भुनाने वालों के सभी विवरण प्रस्तुत करने को कहा था. शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग से भी कहा था कि वह 15 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर डेटा प्रकाशित करे|
आयोग ने डेटा के दो सेट अपलोड किए हैं. एक फाइल में कंपनियों द्वारा बॉन्ड खरीद की तारीख-वार सूची है और दूसरी फाइल में बॉन्ड भुनाने वाले राजनीतिक दलों द्वारा जमा राशि की तारीख-वार सूची है|
फ्यूचर गेमिंग: ईडी के निशाने पर
फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज पीआर ने 21 अक्टूबर 2020 और 9 जनवरी 2024 के बीच 1,368 करोड़ रुपये का दान दिया है, जो सभी 1 करोड़ रुपये के मूल्यवर्ग वाले चुनावी बॉन्ड में है.
कोयंबटूर स्थित फ्यूचर गेमिंग भारत की सबसे बड़ी लॉटरी कंपनियों में से एक है और इसके संस्थापक सैंटियागो मार्टिन खुद को ‘लॉटरी किंग’ कहते हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 23 जुलाई 2019 को ईडी ने एक कथित मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले में उनकी 120 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की थी. उन पर बेहिसाब नकदी से संपत्ति एकत्र करने का भी आरोप लगाया गया था.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि कुछ महीने पहले ईडी ने उनसे जुड़े 70 से अधिक परिसरों की तलाशी ली थी.
चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा के अनुसार, कंपनी इस कार्रवाई के बाद चुनावी बॉन्ड खरीदने के लिए आगे आई. इसके द्वारा बॉन्ड की पहली खरीद 21 अक्टूबर 2019 दिखाई गई है.
हालांकि, कंपनी अभी भी ईडी के निशाने पर है. एजेंसी ने हाल ही में पिछले हफ्ते कथित रेत खनन मामले के सिलसिले में तमिलनाडु में इसके परिसरों में तलाशी ली है. ऐसा समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया की एक खबर में बताया गया था.
वहीं, 2 अप्रैल 2022 को यह खबर सामने आई कि ईडी ने कंपनी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की है और इसकी 409.92 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, पांच दिन बाद 7 अप्रैल 2022 को कंपनी ने करीब 100 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे.
जुलाई 2022 में चुनाव निगरानी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत के चुनाव आयोग को सौंपी गई चुनावी ट्रस्टों की योगदान रिपोर्ट का विश्लेषण किया और पाया कि लॉटरी कंपनी ने प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट को 100 करोड़ रुपये का दान दिया था. ट्रस्ट ने भाजपा को सबसे ज्यादा चंदा दिया था.
कीस्टोन पार्टनर्स के वकील अरुण श्रीकुमार ने ट्वीट किया, ‘अगर यह संरक्षण राशि नहीं है, तो छापेमारी का शिकार कंपनियां छापों के बीच में राजनीतिक चंदा क्यों देंगी.’
2017-2018 और 2022-2023 के बीच बेचे गए कुल 12,008 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड में से भाजपा को लगभग 55% या 6,564 करोड़ रुपये प्राप्त हुए.
मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड
दूसरे सबसे बड़े चंदादाता मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने 12 अप्रैल 2019 से 12 अक्टूबर 2023 के बीच 1 करोड़ रुपये मूल्यवर्ग के 980 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं| मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, जिसका मुख्यालय हैदराबाद में है, अपनी वेबसाइट पर खुद को ‘वैश्विक बुनियादी ढांचे के परिदृश्य में एक उभरती हुई कंपनी’ बताती है|
पीवी कृष्णा रेड्डी और पीपी रेड्डी के स्वामित्व वाली कंपनी के कार्यक्षेत्र में सिंचाई, जल प्रबंधन, बिजली, हाइड्रोकार्बन, परिवहन, भवन और औद्योगिक बुनियादी ढांचे की परियोजनाएं शामिल हैं. वेबसाइट यह भी बताती है कि कंपनी केंद्र और राज्य सरकारों के साथ पीपीपी (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) में अग्रणी रही है और वर्तमान में देश भर के 18 से अधिक राज्यों में परियोजनाएं चला रही है|
इंटरनेट पर कंपनी के बारे में खोजबीन करने से पता चलता है कि कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं इसकी झोली में गई हैं, जिनमें सितंबर में मंगोलिया में 5,400 करोड़ रुपये का क्रूड ऑइल प्रोजेक्ट (मंगोल रिफाइनरी दोनों सरकारों के बीच की एक पहल है), मई में कुल 14,400 करोड़ रुपये की बोली के लिए मुंबई में ठाणे-बोरीवली ट्विन टनल परियोजना के निर्माण के लिए दो अलग-अलग पैकेज और जून में अपनी कंपनी आईकॉम (IComm) के लिए रक्षा मंत्रालय से 500 करोड़ रुपये का ऑर्डर शामिल है.
इसकी वेबसाइट के अनुसार, कंपनी जम्मू कश्मीर में ज़ोजिला सुरंग पर भी काम कर रही है. वेबसाइट पर और भी कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का उल्लेख है जिनमें मुख्य तौर पर चारधाम रेल सुरंग, विजयवाड़ा बाईपास की छह लेन, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग, सोलापुर – कुरनूल – चेन्नई आर्थिक गलियारा जैसी प्रमुख परियोजनाएं शामिल हैं|
समूह की वेस्टर्न यूपी पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड ने भी चुनावी बॉन्ड में 220 करोड़ रुपये का चंदा दिया है, जो सबसे बड़े चंदादाताओं की सूची में सातवें पायदान पर है
हिंदू बिजनेसलाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 12 अक्टूबर 2019 को आयकर विभाग ने हैदराबाद में समूह के कार्यालयों का ‘निरीक्षण’ किया था. हालांकि, कंपनी ने एक बयान में इस बात से इनकार किया था कि यह कोई छापा या तलाशी थी और इसे ‘नियमित निरीक्षण’ बताया था.
जनवरी 2024 में डेक्कन क्रॉनिकल ने अपनी एक रिपोर्ट में कैग की ऑडिट रिपोर्ट का जिक्र किया था, जिसमें मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ तेलंगाना की एक प्रमुख सिंचाई परियोजना ‘कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई योजना (केएलआईएस)’ में किए गए काम को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए थे, कहा गया था कि कंपनी ने हजारों करोड़ रुपये के सरकारी धन का गबन किया|
डेक्कन क्रॉनिकल ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा केएलआईएस पर ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी को केवल चार पैकेजों में 5,188.43 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया गया था|
कंपनी को तत्कालीन भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार का संरक्षण प्राप्त होने की बात कही जाती है|
बहरहाल, पिछले दिनों द न्यूज मिनट और न्यूज़लॉन्ड्री की एक हालिया रिपोर्ट में भी यह पाया गया था कि ईडी और आईटी जांच का सामना कर रहीं 30 कंपनियों ने पिछले पांच वर्षों में भाजपा को 335 करोड़ रुपये का दान दिया है|
सौजन्य : द वायर
नोट: यह समाचार मूल रूप से thewirehindi.com में प्रकाशित हुआ है|और इसका उपयोग पूरी तरह से गैर-लाभकारी/गैर-व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए विशेष रूप से मानव अधिकार के लिए किया गया था।