जानिए क्यों मजूबर हुए इस गांव के दलित, बदल डाला अपना धर्म
मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में 40 दलित परिवारों ने सामूहिक रूप से हिंदू धर्म का परित्याग कर बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। जानकारी के अनुसार, गाँव में भागवत कथा के भंडारे में हुए जातिगत भेदभाव से परेशान होकर दलित परिवारों ने बौद्ध धर्म को अपनाने का फैसला किया, जिसके बाद सभी ने सामूहिक रूप से बाबा साहब डॉ. अंबेडकर की 22 प्रतिज्ञाओं को दोहराया और बौद्ध धर्म की दीक्षा ले ली।
मामला गर्माने के बाद एसडीएम अजय शर्मा ने बताया कि, ग्राम बहगवां में अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों द्वारा धर्म परिवर्तन की जानकारी मिली थी। हमने जांच के लिए तहसीलदार को भेजा था। लेकिन जातिगत भेदभाव की कोई भी शिकायत ग्रमीणों के द्वारा नहीं दी गई। बौद्ध धर्म की दीक्षा भी लिखित रूप से जाटव परिवारों ने नहीं ली। गाँव के लोगों ने बताया है, भंडारे में समन्वय नहीं बनने पर जाटव समाज के परिवारों ने चंदा की राशि वापस लेकर अलग भंडारा किया और मौखिक रूप से बौद्ध धर्म की दीक्षा ली है।
वहीं इस पूरे मामले में सरपंच गजेंद्र रावत का कहना है, “आरोप पूरी तरह निराधार हैं। उनके अनुसार जाटव समाज के लोगों ने एक दिन पूर्व ही अपने हाथ से केले का प्रसाद बांटा था जो पूरे गांव ने लिया और खाया भी। गांव में बौद्ध भिक्षु आए थे, उन्होंने समाज के लोगों को बहला- फुसला कर धर्म परिवर्तन करवाया है। पूरे गांव में किसी भी तरह का काम किसी समाज विशेष को नहीं बांटा गया था, सभी ने मिलजुल कर सारे काम किए हैं।”
सौजन्य: Panchdoot
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