‘तू छोटी जात का’…. ये बोलकर ग्वालियर के प्रतिष्ठित कॉलेज में छात्र की जमकर हुई पिटाई
ग्वालियर में एमआईटीएस कॉलेज के तीन छात्रों ने कॉलेज के ही एक दलित छात्र की सिर्फ इसलिए बुरी तरह मारपीट कर दी क्योंकि वह छोटी जाति का है. कॉलेज के गेट पर की गई इस मारपीट का कॉलेज के अन्य छात्रों ने बीच बचाव किया|
Gwalior crime news: ग्वालियर में एमआईटीएस कॉलेज के तीन छात्रों ने कॉलेज के ही एक दलित छात्र की सिर्फ इसलिए बुरी तरह मारपीट कर दी क्योंकि वह छोटी जाति का है. कॉलेज के गेट पर की गई इस मारपीट का कॉलेज के अन्य छात्रों ने बीच बचाव किया. इसके बाद पीड़ित छात्र थाने पहुंचा और यहां गोला का मंदिर थाना पुलिस ने मारपीट करने वाले छात्रों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली|
यह पूरा मामला 9 जनवरी का है जब दोपहर के तकरीबन 1:30 बजे एमआईटीएस कॉलेज का छात्र जितेंद्र पाराशर(जाटव) अपने दोस्त रवि के साथ कॉलेज के गेट पर पहुंचा था. यहां पहले से ही दीपक चेची, राघव तोमर और भीष्म प्रताप तोमर खड़े हुए थे. जितेंद्र को देखते ही इन तीनों ने जितेंद्र से कहा कि तू छोटी जाति का है हमारी बराबरी क्यों करता है, हम बड़ी जात के हैं. यह बात सुनकर जब जितेंद्र ने विरोध दर्ज कराया तो दीपक, राघव और भीष्म ने मिलकर उसको जातिगत रूप से अपमानित करते हुए गालियां देना शुरू किया और थोड़ी ही देर बाद तीनों ने मिलकर जितेंद्र की पिटाई करना शुरू कर दी.
लात, घूंसे और डंडे से जितेंद्र के साथ मारपीट शुरू हो गई. कॉलेज के गेट पर जितेंद्र की पिटाई हो रही थी और जितेंद्र जोर-जोर से चिल्ला रहा था. जितेंद्र के चिल्लाने की आवाज सुनकर कॉलेज के अन्य छात्र मौके पर पहुंच गए और यहां उन्होंने जैसे तैसे जितेंद्र को बचाया. इसके बाद जितेंद्र ने अपने दोस्त शिवम और राज के साथ गोला का मंदिर थाने पहुंचकर अपनी शिकायत दर्ज करवाई. शिकायत मिलने पर गोला का मंदिर थाना पुलिस ने दीपक, राघव और भीष्म प्रताप के खिलाफ धारा 294 323 34 और एससी एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है.
शहर का प्रतिष्ठित कॉलेज है एमआईटीएस
एमआईटीएस कॉलेज शहर का प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज है. सिंधिया ट्रस्ट द्वारा ये कॉलेज संचालित होता है. ऐसे में प्रतिष्ठित कॉलेज में जातिवाद के आधार पर छात्र की पिटाई करने के मामले को कॉलेज प्रबंधन ने गंभीरता से लिया है और आरोपी छात्रों को कॉलेज से बर्खास्त करने की कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है|
सौजन्य: एमपी तक
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