नहीं मिले दलित बस्ती विकास के लिए 25 करोड़, ZP समाज कल्याण विभाग ने भेजा था प्रस्ताव
नागपुर. ग्रामीण भागों में दलित बस्ती विकास योजना की निधि अब तक सरकार से नहीं मिली है. चालूवित्त वर्ष 2023-24 के लिए 25 करोड़ रुपयों की मांग का प्रस्ताव भेजा गया था| निधि नहीं मिलने के कारण विकास कार्य लटके हुए हैं. समाज कल्याण सभापति मिलिंदलिं सुटे ने बताया कि विभाग द्वारा चलाई जा ने वाली व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं में बेरोजगार युवाओं को ई-रिक्शा वितरित करने के लिए 1 करोड़ रुपयों का प्रस्ताव मंजूरी के लिए विभाग के आयुक्त को सादर कि या गया था लेकि न उसे मंजूरी नहीं मिलने के चलते विभाग की लाभ की योजनाओं के प्रचार आदि में खर्च करने का निर्णय लिया गया ताकि अधिक से अधिक लो गों तक योजनाएं पहुंचाई जा सकें|
उन्होंने बताया कि जिप से फंड की 5 फीसदी निधि दिव्यांगों के लिए आरक्षि त की जाती है. पिछले वर्ष 2022-2023 में दिव्यां गों के लिए 97.50 ला ख रुपए का घरकुल योजना के लिए प्रावधान किया गया था और 65 लाभार्थी चयनित किए गए. प्रतिलाभार्थी डेढ़ लाख रुपए अनुदा न मंजूर किया गया | वहीं अब 45 लाभा र्थि योंर्थि यों के आवेदन और आए हैं जिन्हें 10-15 दि नों में अनुदान मंजूर करने की जिला परिषद में व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं का लाभ डी बी टी यानी लाभार्थी के बैंक खाते में अनुदान की रकम सीधे जमा कर दी जाती है. लाभ पाने के लिए लाभर्थियोंर्थियों को मंजूर सामग्री ,उपकरण आदि पहलेअपने पैसों से खरीदना पड़ता है. उसके बाद बिल जमा किया जाता है. इस प्रक्रिया के बाद उतनी रकम उसके बैंक खाते में हस्तांतरि त की जाती है. डी बी टी सिस्टम के चलते ग्रामीण भागों में गरीब लाभार्थी आर्थिक र्रूप से सक्षम नहीं हो ने के कारण यो जना का ला भ नहीं उठा पा रहे हैं. व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं को प्रतिसाद नहीं मिल रहा है जिसके चलते 3 महीने पहले जिप समाज कल्याण समिति की बैठक में डी बी टी को रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया गया था |
सुटे ने कहा कि दिव्यांगों को डी बी टी से मुक्त करने का निवेदन समाज कल्याण आयुक्तालय पुणे को भेजा गया . डी बी टी मुक्त करने पर ही दिव्यां गजन अधिक से अधिक सरकारी योजनाओं का लाभ उठा पाएंगे|
समाज भवन बने लेकिन सुविधाओं के लिए निधि नहीं सुटे ने बताया कि जिले में प्रति इमारत 7 ला ख रुपये खर्च कर 165 समाज भवनों का निर्माण तो हुआ लेकिन अन्य मूलभूत सुविधाओं जैसे बिजली , फर्नीचर, पानी , बाउंड्री वाल आदि के अभाव में इनका उपयोग ही नहीं हो पा रहा है. प्रत्येक भवन को मूलभूत सुविधायुक्त बनाने के लिए 10 लाख रुपये उपलब्ध करने की मांग भी सरकार से की गई है. जिले के 100 भवनों के लिए 1 करोड़ रुपये उपलब्ध करने की मांग का प्रस्ताव आयुक्तालय को भेजा गया है. उम्मीद है कि सरकार इस ओर सकारा त्मक निर्णय लेकर निधि उपलब्ध कराएगी और निर्मित भवनों का उपयोग हो पाएगा . उन्होंने कहा कि सुविधायुक्त समाज भवनों का उपयोग ग्रा मीण भागों के विद्यार्थी लाइब्रेरी की तरह भी कर सकेंगे.
सौजन्य : नवभारत
नोट : समाचार मूलरूप से enavabharat.com मे प्रकाशित हुआ है मानवाधिकारों के प्रति सवेदन शीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित|