पुलिस प्रताड़ना के शिकार ग्रामीणों का छलका दर्द, कहा-सिर्फ लाठी नहीं बरसाई, हमारा भरोसा भी तोड़ा
मिर्जापुर। “साहब! यह भी कोई भूलने वाले बात है, आखिरकार, भूलें भी तो कैसे? यह दर्द (कमर के नीचे का भाग दिखाते हुए) ख़त्म ही नहीं होता है। तमाम दवा-दारू कराकर थक चुका हूं, चलने फिरने से लेकर उठने बैठने तक में तकलीफ़ होती है।” यह पीड़ा उस ग्रामीण की है, जिस पर पुलिस ने लाठियां बरसाई और मुकदमे लाद दिये।दरअसल ग्रामीण पानी की गंभीर समस्या का समाधान न होने पर पानी की मांग को लेकर सड़क पर उतर आए थे। लेकिन समस्याओं को दूर करने की जगह पुलिस ने उन पर लाठी बरसाई और मुकदमें लाद दिए। इस घटनाक्रम को बीते पांच महीने हो चुके हैं।
पानी की मांग पर मिली पुलिस की पिटाई
यह पूरा मामला उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले के उस नक्सल प्रभावित इलाकों में शुमार रहे मड़िहान तहसील क्षेत्र का है, जो जंगलों- पहाड़ों वाला भू-भाग होने के साथ-साथ गर्मी प्रारंभ होते ही पानी की गंभीर समस्या से घिर उठता है। यही कोई 2 जुलाई 2023 का दिन था। मड़िहान तहसील क्षेत्र के कलवारी बाजार में विद्युत आपूर्ति के लिए लगा 63 केवीए का ट्रांसफार्मर दो दिन पूर्व जल जाने से पूरी विद्युत आपूर्ति ठप हो गई थी, जिससे इलाके में पेयजल संकट भी गहरा उठा था।
ग्रामीण अपनी प्यास बुझाने के लिए दर-दर भटकने लगे थे। उस दिन रविवार को दोपहर तकरीबन 11 बजे ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। हाथ में डिब्बा-बाल्टी लेकर वो घर के बाहर आ गए और घोरावल-मड़िहान मार्ग पर बैठ गए। आक्रोशित ग्रामीण पीछे हटने को तैयार नहीं थे। परिणाम यह हुआ कि सड़क पर तीन घंटे तक जाम लगा रहा, और दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतारें लग गईं।
जाम की जानकारी होते ही मौके पर मड़िहान थाना प्रभारी मय फोर्स मौके पर पहुंचकर जाम खुलवाने के प्रयास में जुट गए, लेकिन ग्रामीण मौके पर जनप्रतिनिधियों और उच्च अधिकारियों को बुलाने की मांग पर अड़े हुए थे। इस दौरान ग्रामीणों की पुलिस से झड़प हो गई। सूचना के बाद मौके पर मड़िहान तहसीलदार फूलचंद यादव भी पहुंचे और ग्रामीणों को समझाने लगे। लेकिन ग्रामीण बिजली विभाग के अधिकारियों के बुलाने की मांग कर रहे थे।
आक्रोशित ग्रामीणों का कहना था कि “शिकायत के बाद भी बिजली विभाग समस्या का समाधान करने में हीला-हवाली कर रहा है। ग्रामीण दूसरे गांव से पानी लाकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं।”
मामला बढ़ता देख थाना प्रभारी ने पीएससी को जामस्थल पर बुलाकर मोर्चे पर लगा दिया। बाद में किसी प्रकार दूरभाष से हुई वार्ता पर एडीएम ने ग्रामीणों को आश्वासन देकर जाम खुलवाया तब जाकर आवागमन सुचारू रूप से चालू हो पाया था।
मनमानी पर आमादा रही पुलिस
रजवंती देवी की माने तो उस दिन कलवारी बाजार में सब कुछ सामान्य रहा। दिन निकलने के बाद नित्य क्रिया से निवृत्त होकर ग्रामीण पानी की जुगत में जुटे थे। प्रचंड गर्मी से पानी व बिजली की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों का धैर्य जवाब दे गया और उन्होंने एक राय होकर गांव के समीप से गुजरने वाले घोरावल-मड़िहान मार्ग को जाम कर दिया था।
पखंडू, आशा, निर्मला, रजवंती समेत दर्जनों ग्रामीणों का आरोप है कि “मड़िहान पुलिस ग्रामीणों की समस्या को दूर करने के बजाए डंडे से पिटाई कर लोगों की आवाज को दबाना चाह रही थी, वही किया भी है। ग्रामीण शांतिपूर्ण ढंग से सड़क जाम करने के साथ-साथ अपनी बात कहने के लिए एकत्र हुए थे। पुलिस के लाठीचार्ज किए जाने से कई ग्रामीणों को कई जगह चोटें भी आई।”
तब तहसीलदार ने बिजली विभाग के अधिकारियों को जामस्थल पर आने के लिए कहा, लेकिन कोई भी बिजली विभाग का जिम्मेदार मौके पर नहीं पहुंचा। जो लोगों को नागवार गुजरा। ग्रामीण अपना आपा खोते हुए शासन-प्रशासन विरोधी नारे लगाने लगे। विरोध-प्रदर्शन कर रहे ग्रामीण जब सड़क से नहीं हटे तो मड़िहान कोतवाली के उपनिरीक्षकों ने ग्रामीणों की लाठियों से पिटाई कर दी। इसके बाद ग्रामीण उग्र हो गए और सड़क पर बैठकर पुलिस विरोधी नारे लगाने लगे।
लाठी-चार्ज के दौरान पुलिस ने बसपा नेता राजेश देवा को घसीटते हुए जीप में बैठाने की कोशिश की, उनके पिता फूलचंद को भी पुलिस ने नहीं छोड़ा। पानी की समस्या से राहत के लिए सड़क पर उतरे ग्रामीण उच्चाधिकारियों से रूबरू होना चाह रहे थे ताकि अधिकारी भी उनकी समस्या को देख सुन सकें, लेकिन पुलिस ने पल भर में ही उनके अरमानों पर पानी फेरते हुए लाठियां बरसा कर लोगों को कालर पड़कर थाने उठा ले गई।
सड़क जाम स्थल पर पुलिसिया बर्बरता का फोटो-वीडियो बना रहे स्थानीय पत्रकारों से भी पुलिस ने बदसलूकी की। पत्रकारों को धक्का मारते हुए मोबाइल छीन कर जेब में रख लिए गये, ताकि पुलिस की सच्चाई उजागर ना होने पाए। घटना को लेकर स्थानीय पत्रकारों में भी गहरा रोष देखा गया था। दूसरी ओर ग्रामीणों को ही बली का बकरा बनाते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया। जो ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन गया है।
ग्रामीणों ने बताई पुलिसिया दमन की कहानी
पिछले दिनों UN प्रोजेक्ट के तहत मिर्जापुर जिले के मड़िहान थानान्तर्गत कलवारी बाजार के संघर्षरत पीड़ितों की पीड़ा को सुनने के लिए जनमित्र न्यास और मानवाधिकार जननिगरानी समिति के तत्वाधान में सम्मान समारोह एवं जनसुनवाई कार्यक्रम आयोजित किया गया। जहां पानी और बिजली की मांग को लेकर शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों पर हुई पुलिसिया कार्रवाई के मामले को सुना गया।
इस दौरान ग्रामीणों ने एक-एक कर जैसे ही अपनी व्यथा बताना शुरू किया वैसे ही, स्थानीय पुलिस के लोग मौके पर आकर इन पीड़ितों के साथ फिर दुर्व्यवहार किया। और तो और इसके बाद 19 लोगों के खिलाफ IPC की धारा में उनके ऊपर मुकदमा पंजीकृत कर दिया गया।
इस कार्यक्रम में संस्था की प्रशिक्षित टीम ने मनोवैज्ञानिक सामाजिक सपोर्ट देते हुए संघर्षरत पीड़ित राजेश देवा, कृष्णानन्द, सुरेश गोसाई, सूर्यभान, उदयभान, पिंटू, आशा, अजय, अनुज, रत्नेश, बब्बू, मनोज को टेस्टीमोनियल थैरपी प्रदान की और पीड़ितों को अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया। जिससे वह पुन: समाज की मुख्य धारा से जुड़ें। इस दौरान संस्था की प्रोग्राम डारेक्टर शिरीन शबाना खान, अभिमन्यु प्रताप सिंह, छाया, पिन्टू गुप्ता (सोनभद्र), फरहत शबा खानम, रोनाडो (इटली) मौजूद रहे।
ओ माय गॉड.. ओफ! यूपी पुलिस..
जनसुनवाई के दौरान ग्रामीणों ने जब अपनी आपबीती सुनाना प्रारंभ किया तो जनसुनवाई कार्यक्रम में विशेष रूप से भाग ले रहे इटली के रिसर्चर रोनाडो संस्था से जुड़े कार्यकर्ताओं के जरिए हिंदी भाषा को अंग्रेजी में रूपांतरण कर जानकारी लेते देखे गए। इस दौरान उनके मुख से “ओ माय गॉड ओफ! यूपी पुलिस..” निकल पड़ा। ग्रामीणों की भाषा भले ही उनको अटपटी लगी हो लेकिन वो ग्रामीणों की वेदना, चेहरे पर छलकते दर्द को समझ रहे थे।
‘पुलिस ने हमारे लिए मुसीबत खड़ी कर दी’
“जी मेरा नाम सूर्यभान गिरी, उम्र 27 वर्ष है। मैंने इंटरमीडिएट तक की शिक्षा ली है। मैं गुड़गांव में सिक्योरिटी गार्ड का काम करता हूं। विवाहित हूं मुझे दो बेटियां है। जिसमें बड़ी बेटी 4 वर्ष की दूसरी दो साल की है। मैं ग्राम-कलवारी बाजार, थाना-मडिहान, जिला-मिर्जापुर का मूल निवासी हूं। मुझे नहीं पता था कि मुझ पर इतनी बड़ी आफत आएगी। 2 जुलाई 2023 की तारीख थी। ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्वक चक्का जाम कर रहे थे। यह धरना मेरे दरवाजे के पास था। हम लोग भी बाहर आ गये। मौके पर पुलिस आयी। किसी से बिना कुछ कहे महिलाओं के डिब्बा बाल्टी फेंककर लाठी चार्ज करने लगी।”
सूर्यभान गिरी बताते हैं कि “दरोगा जी ने कहा सभी लोगों के खिलाफ मुकदमा होगा। इतना कहते ही पुलिस राजेश देवा को घसीटकर ले जाने लगी तो सबने इसका विरोध किया। सभी बोले यह किसी एक की परेशानी नहीं है पूरा गांव कई दिनों से पानी की समस्या को लेकर परेशान है। तभी वहां पर तहसीलदार साहब आ गये। उन्होंने कहा एक घंटे का समय दीजिये। आप की समस्या का हल निकलेगा।”
गिरी आगे बताते हैं कि “तहसीलदार के बातों का असर भी हुआ, तहसीलदार ने बिजली विभाग के SDO से कहकर ट्रांसफार्मर बदलवाया और बिजली आने लगी। लेकिन लोग पुलिस की इस बर्बरता से दुःखी थे। तब तहसीलदार साहब ने कहा आप लोग घबराइए नहीं, किसी के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं होगा। तहसीलदार की बातों पर भरोसा कर सभी वापस चले गये। दूसरे दिन अख़बार में पुलिस के हवाले से खबर आई कि 117 अज्ञात लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी। यह पढ़कर सभी के मन में डर था कि पुलिस किसका नाम देगी?”
वो कहते हैं कि “कुछ दिन बाद हम अपने काम पर गुड़गांव चले गये। अब पिताजी का फोन आया कि घर चले आओ। मैंने पिताजी से पूछा क्या बात है? वह बहुत दुखी थे। उन्होंने रुंधे मन से कहा पुलिस ने मेरे, तुम्हारे और अन्य के नाम पर मुकदमा कर दिया है। यह सुनकर मैं घबरा गया। उस वक्त मेरे मुंह से बोली नहीं निकल रही थी।”
ग्रामीण अजय केशरी, सुरेश गिरी और कृष्णा नंद गोस्वामी पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मुकदमे पर “जनचौक” को बताते हैं कि यह सरासर मनमानी और तानाशाही भरा कृत्य है। क्या जनता को अपनी बात कहने और सुनाने का कोई हक़ नहीं है?
ग्रामीण बताते हैं, “हम लोगों के पास कोई खेती बारी नहीं है, नौकरी-चाकरी ही सहारा है। इसी से परिवार का पालन पोषण करते हैं, अब उस पर भी आफत आ गयी है। घर पर बैठे हैं, प्राइवेट नौकरी है जब तक काम करेंगे तभी तक पैसा मिलेगा। हम लोगों ने कोई अपराध नहीं किया है, लेकिन पुलिस हमें गुनहगार समझती है। एक ही परिवार के तीन-तीन लोगों की जमानत करवाना कितना मुश्किल है। इस घटना ने हमें भुखमरी के कगार पर ला दिया है।”
आप लोग क्या चाहते हैं के सवाल पर सभी एक साथ कहते हैं “हम सभी बस यही चाहते हैं कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो, जिससे हम बाइज्जत बरी हो सकें। हम सभी को न्याय और सुरक्षा मिल सके।”
ग्राणीणों में जनप्रतिनिधियों के प्रति आक्रोश
पानी की मांग को लेकर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों में आज भी इस बात का मलाल है कि पांच महीने बीतने को हैं और पुलिस ने सैकड़ों अज्ञात व 19 ज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर मानसिक व आर्थिक रूप से परेशान करना शुरू कर दिया है, लेकिन अभी तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने ग्रामीणों की पीड़ा को सुनने और मुकदमे को समाप्त कराने की पहल नहीं की है।
इसी मड़िहान विधानसभा से भाजपा विधायक के तौर पर दूसरी बार रमाशंकर सिंह पटेल विधायक चुने गए हैं। पूर्व में वह योगी सरकार में ऊर्जा राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। कई भाजपा, अपना दल के कद्दावर नेता इसी मड़िहान विधानसभा क्षेत्र से आते हैं। केंद्र में राज्य मंत्री एवं जिले की संसद अनुप्रिया पटेल और उनके पति प्रदेश की योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।
आशीष पटेल ने भी ग्रामीणों की पीड़ा को सुनकर मुकदमा समाप्त करने की पहल नहीं की है, जिसको लेकर ग्रामीणों को गहरा मलाल है। क्या आपने कभी जनप्रतिनिधियों से अपनी बात कहीं? यह सवाल पूरा होने से पहले ही सभी ग्रामीण एक स्वर में सवाल दागते हैं कि “क्या मतदाता सिर्फ चुनाव के दौरान ही याद आते हैं? सभी ग्रामीण एक स्वर में आगे कहते हैं कि “खैर हम लोगों के भी समय और दिन लौटेंगे, सही समय आने पर सांसद विधायक को भी जवाब दिया जाएगा।” (मिर्ज़ापुर के कलवारी से संतोष देव गिरी की रिपोर्ट)
सौजन्य :जनचौक
नोट : समाचार मूलरूप से janchowk.comमें प्रकाशित हुआ है मानवाधिकारों के प्रति सवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित !