वेतन सिर्फ 2 हजार, लेकिन 5 महीने से नहीं मिला… 6 हजार रसोइयों की दिवाली फीकी
उन्नाव में छह हजार से अधिक रसोइयों की दिवाली इस बार फीकी ही रह जाएगी. ऐसे इसिलए, क्योंकि पांच महीने से उनको दो हजार रुपए मिलने वाला मानदेय अब तक नहीं मिला है. ये रसोइयां प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले ढाई लाख से अधिक बच्चों का पेट भर रही हैं, लेकिन इस बार इनकी दिवाली फीकी ही रहेगी|
मिड-डे-मील योजना के तहत स्कूलों में बच्चों के लिए खाना बनाने वाली रसोइया की दीपावली कैसे मनेगी और उनके बच्चे कैसे पटाखे जलाएंगे, क्योंकि इस बार रसोइयों का वेतन अभी तक नहीं आया है. उन्नाव जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में (एमडीएम) के तहत स्कूलों में बच्चों के लिए खाना बनाकर परोसने के लिए लगभग 6,842 रसोइयां तैनात हैं. बीते पांच माह से इन रसोइयों को मानदेय की एक कौड़ी नहीं मिली है, जिसके चलते रसोइयों के बच्चे इस दीपावली मिठाइयां तो दूर शायद भोजन से भी वंचित रहेंगे. इन रसोइयों को लगभग 2,000 रुपए प्रति महीने मानदेय मिलता है, लेकिन इन गरीबों की यह छोटी राशि भी शासन समय से मुहैया नहीं कर पाया है.
बता दें कि उन्नाव जिले में बेसिक शिक्षा परिषद के लगभग 2,709 विद्यालयों में अध्ययनरत 2.79 लाख छात्र-छात्राओं का पेट समय से भरने वाली रसोइयों के बच्चे इस दीपावली मिठाइयां तो दूर शायद भोजन से भी वंचित रहेंगे, जिसका एकमात्र कारण होगा शासन, जहां से बीते पांच माह से इन रसोइयों को मानदेय की एक कौड़ी नहीं मिली है. जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में लाखों बच्चों का गरमा-गरम (एमडीएम) के तहत खाना बनाकर परोसने के लिए लगभग 6,842 रसोइयां तैनात हैं, जो पूरी लगन-मेहनत के साथ ड्यूटी कर बच्चों के लिए हर रोज खाना तैयार करती हैं|
12 में से सिर्फ 10 महीने का ही मिलता है मानदेय
इन रसोइयों को ग्रीष्मावकाश के दो महीने मई-जून को छोड़कर 10 महीने का मानदेय दिया जाता है. 2022-23 में इन रसोइयों को अप्रैल से मई-जून को छोड़ दिया जाए तो अब तक अगस्त और सितंबर का मानदेय भी नसीब नहीं हुआ है. कहने को तो इन रसोइयों को 2000 रुपए प्रति महीने मानदेय मिलता है, जो कि इस महंगाई में कुछ भी नहीं है, लेकिन इन गरीबों की यह छोटी सी राशि भी शासन ने समय से मुहैया नहीं करवाई है. वहीं समय से मानदेय जारी न होने से सभी रसोइयों में नाराजगी है|
गरमा-गरम खाना बनाने वाली रसोइयों को नहीं मिला वेतन
जिले के शाहगंज स्थित प्राथमिक विद्यालय पन्नालाल पार्क में मिड-डे-मील (एमडीएम) योजना के तहत स्कूलों में बच्चों के लिए गरमा-गरम खाना बनाने वाली रसोइयां माया ने बताया कि 12 महीने में 10 महीने की सैलरी मिलती है. अभी तक पांच महीने की ₹10000 सैलरी आई है. अभी तक हमारी पांच महीने की सैलरी बाकी पड़ी है. दीपावली का त्योहार नजदीक होने पर रसोइयां माया ने कहा कि दीपावली नहीं मनाएंगे और क्या करेंगे. नौकरी करना हमारी भी मजबूरी है. अगर नहीं आएगी तो चोरी तो करेंगे नहीं, अपना ऐसे ही मनाएंगे. गांव-पड़ोस में सबको त्योहार मनाते देखेंगे बैठकर|
जब समय से काम करती हूं तो तनख्वाह भी समय से दे सरकार- रसोइया
माया ने कहा कि हम तो सरकार से बस यही कहना चाहते हैं कि मेरी तनख्वाह दो, तनख्वाह नहीं दोगे तो त्योहार कैसे मनाएंगे, मेरे भी बच्चे हैं, नाती हैं. किसी को कपड़ा लाना है, किसी को खिलौना लाना है. सरकार को हमारे लोगों के बारे में भी सोचना चाहिए. जब टाइम से काम कराती हैं तो समय से तनख्वाह भी दे दे. जब कोई देगा नहीं तो खाएंगे क्या, भूखे तो मारेंगे, त्योहार मनाता तो बड़ी बात है ही|
बच्चों के लिए खरीदने हैं कपड़े, अब तक खाते में नहीं आए पैसे
वहीं रसोइयां किरन ने बताया कि उच्च प्राथमिक विद्यालय पन्नालाल मैं करती हूं. दिवाली का त्योहार नजदीक आ गया है. मेरी सैलरी नहीं आई है. अभी पांच महीने हो गए हैं. कैसे मनाएंगे हम लोग त्योहार, छोटे-छोटे बच्चे हैं. हमारी सैलरी पांच महीने से नहीं आई है. बच्चे के लिए नए-नए कपड़े लेने हैं. हम चाहते हैं कि हमारी सरकारी सरकार दिवाली से पहले भेज दे, ताकि हम भी अच्छे से त्योहार मना लें|
सौजन्य : TV9 भारतवर्ष
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