दलित-OBC वोटबैंक पर होगा पूरा फोकस, लोकसभा चुनाव के लिए मायावती ने बदली रणनीति
बसपा ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के चयन में बदलाव किया है। इस बार पार्टी दलित और ओबीसी उम्मीदवारों पर मुस्लिम उम्मीदवारों से ज्यादा फोकस रखेगी।
लखनऊ: हालिया चुनावों में पार्टी की विफलताओं से सबक लेते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के चयन में अपनी रणनीति में बदलाव किया है। बताया जा रहा है कि पार्टी दलित और ओबीसी उम्मीदवारों पर मुस्लिम उम्मीदवारों से ज्यादा फोकस रखेगी। यह रणनीति हाल ही में यूपी में हुए शहरी निकाय चुनावों से थोड़ा अलग है। नगर निकाय चुनाव के नतीजों से बसपा को यह सीख मिली थी कि मुस्लिम उम्मीदवारों पर अत्यधिक निर्भरता उसकी गलत रणनीति थी।
पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, बसपा ने लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन की अपनी रणनीति में संशोधन किया है। अब उनकी स्ट्रेटेजी में मुसलमानों से ज्यादा दलितों और ओबीसी को प्रमुखता मिल सकती है। निकाय चुनाव में पार्टी ने सभी 17 मेयर सीटों पर चुनाव लड़ा था। इनमें से 11 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था लेकिन एक भी प्रत्याशी सीट जीतने में सफल नहीं रहा। साल 2017 के स्थानीय निकाय चुनावों में बसपा ने दो मेयर की सीटें अलीगढ़ और मेरठ में जीती थीं।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुस्लिम मतदाता भ्रमित हैं और बसपा उनके लिए एकमात्र विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव में एसपी, बीएसपी, एआईएमआईएम और एनसीपी ने भी मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। इससे कई सीटों पर वोटों का भारी बंटवारा हुआ। पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से निर्देश आ रहे हैं कि लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए पार्टी के प्रतिबद्ध कार्यबल, पूर्व नेताओं और जन प्रतिनिधियों की पहचान की जाए।
बसपा ने साल 2019 के चुनावों में 10 लोकसभा सीटें जीती थीं। पार्टी अब अपनी संख्या में सुधार करना चाहती है। इसके लिए बीएसपी आम चुनाव में पार्टी के उम्मीदवारों को लेकर खास सतर्क है। पार्टी अपने कोर वोट दलित और ओबीसी को नजरअंदाज करने के मूड में नहीं है। एक बसपा नेता ने कहा कि हर जिले का जातिवार आकलन पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती को भेजा गया है। प्रत्येक लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवार को संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में सबसे प्रभावशाली जाति से चुना जा सकता है।
पार्टी अपने पूर्व जन प्रतिनिधियों, पुराने नेताओं और युवा पदाधिकारियों पर विचार कर सकती है। पार्टी उम्मीदवारों की शीघ्र घोषणा भी कर सकती है ताकि उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र में काम करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।
सौजन्य : Navbharat times
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