सनातन धर्म में किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं : रामदेव
हरिद्वार, 30 अगस्त (हि.स.)। पतंजलि वैलनेस, पतंजलि योगपीठ-2 स्थित योगभवन सभागार में श्रावणी उपाकर्म (रक्षाबंधन पर्व) पर पतंजलि योगपीठ के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी रामदेव व महामंत्री आचार्य बालकृष्ण को रक्षासूत्र बांधे। साथ ही पतंजलि के शैक्षणिक संस्थानों पतंजलि विश्वविद्यालय, पतंजलि गुरुकुलम् व आचार्यकुलम् के नव-प्रवेशित छात्र-छात्राओं का उपनयन संस्कार दीपारम्भ यज्ञ मंत्रोच्चारण के साथ कराया गया।
इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि हमें सनातन के गौरव को अपने हृदय में संजोते हुए स्वर्णिम व परम वैभवशाली भारत गढ़ना है। जैसे हमने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचकर कीर्तिमान स्थापित किया, उसी प्रकार हमें शिक्षा, चिकित्सा, कृषि और उद्योग के क्षेत्र में अखण्ड-प्रचण्ड पुरुषार्थ करना है। यज्ञोपवित संस्कार के अवसर पर छात्र-छात्राओं से उन्होंने कहा कि आज पतंजलि में सनातन धर्म की रक्षा के लिए ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, दलित सब जाति, समुदाय व वर्गों के और भाईयों व बहन-बेटियों का एक-साथ यज्ञोपवित संस्कार करवाया गया है, जो इस बात का प्रतीक है कि सनातन धर्म में जाति, स्त्री-पुरुष या लिंगभेद के नाम पर किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं है।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हमारा देश पर्व-त्यौहारों का देश है। उन्होंने कहा कि श्रावणी उपाकर्म के रूप में देश में संभवतः पतंजलि पहली संस्था है जहां 1500 से ज्यादा बहन-बेटियों व बेटों का उपनयन संस्कार हो रहा है। यह तथ्य पर्याप्त है कि सनातन वैदिक धर्म का विशुद्ध रूप व उसका मूल स्वरूप पतंजलि योगपीठ में दृष्टिगोचर होता है। पतंजलि हमारी संस्कृति, परम्परा व धर्म के वैज्ञानिक स्वरूप को पुनः स्थापित करने के लिए कृत संकल्पित है। आज हमारे पर्व-त्यौहारों को उनके मूल स्वरूप में मनाने की महति आवश्यकता है।
कार्यक्रम में रेणु श्रीवास्तव, ऋतम्भरा शास्त्री, साध्वी आचार्या देवप्रिया, अंशुल, शर्मा, पारूल शर्मा, साध्वी देवसुमन, साध्वी देवादिति, साध्वी देवविजया, साध्वी देवमयी आदि ने स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण को रक्षासूत्र बांधे।
सौजन्य : Livevns
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