SC के लिए रिजर्व प्रधानी फर्जी दस्तावेजों पर दबंगों ने हथियाई, SDM सहित 11 पर SC-ST एक्ट में मुकदमा
“पहली बार गांव की प्रधानी अनुसूचित जाति (SC) महिला के लिए रिजर्व हुई तो भगवानपुर, हरिद्वार की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत सिकरोडा की दलित महिलाओं की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। गांव की मीनू, रीतू, निशा, सुशीला, हिमानी आदि कई दलित महिलाएं प्रधान बनने के सपने संजोने लगीं। लेकिन गांव के पूर्व प्रधान तथा उच्च जाति के कुछ दबंगों ने अफसरों से मिलकर बड़कोट, उत्तरकाशी की एक महिला नीलम के फर्जी जाति/निवास प्रमाण पत्र बनवा कर, न सिर्फ प्रधानी चुनाव लड़वाया बल्कि जीतकर प्रधानी कब्जाने में कामयाब रहे। जांच में पोल खुली तो SC-ST कोर्ट ने प्रधान, पूर्व प्रधान आदि के साथ एसडीएम, तहसीलदार सहित 11 के खिलाफ मुकदमे के आदेश दिए हैं और डीएम एसपी पर जांच बैठ गई है।”
मामला हरिद्वार जिले की भगवानपुर तहसील के सिकरोड़ा गांव का है जो उत्तराखंड राज्य की सबसे बड़ी ग्राम पंचायतों में एक है। यहां पहली बार, ग्राम प्रधान का पद अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित हुआ तो पूरे दलित समाज में खुशी का माहौल था। लेकिन आरोप है कि पूर्व प्रधान आदि उच्च जाति के कुछ दबंगों ने अफसरों से मिलकर, बड़कोट उत्तरकाशी की सोली नौगांव निवासी लोहार जाति की महिला नीलम पत्नी भोपाल के कूटरचित, फर्जी जाति/निवास प्रमाण पत्र आदि दस्तावेज तैयार करवाकर, वोटर लिस्ट में नाम चढ़वाया। नीलम चुनाव लड़ी और जीतकर प्रधान पद पर काबिज हो गई।
मीनू आदि दलित महिलाओं के लिए यह किसी वज्रपात से कम नहीं था। मीनू के अनुसार, फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर चुनाव लड़कर, नीलम ने एससी महिला के लिए रिजर्व प्रधान पद पर कब्जा कर लिया जो, न सिर्फ उस समेत, प्रधानी की दावेदार तमाम दलित महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन था बल्कि, इस फर्जीवाड़े ने गांव के 1300 मतदाताओं वाली दलित आबादी के संवैधानिक अधिकारों को भी कुचलने का काम किया और उन्हें पहली दलित महिला प्रधान चुनने से वंचित कर दिया। इस पर, हार नहीं मानते हुए, मीनू ने पूरे सिस्टम को चुनौती देने और संवैधानिक अधिकारों को कुचलने के आरोपी दबंगों के साथ दोषी अफसरों को भी सबक सिखाने की ठानी।
दलित समाज के साथ हुई धोखाधड़ी के खिलाफ मीनू ने निर्वाचित महिला प्रधान नीलम के जाति एवं निवास प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, परिवार रजिस्टर, आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, बिजली कनेक्शन तथा वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने आदि को चुनौती दी। डीएम ने स्क्रूटनी कमेटी से जांच कराकर नीलम के परिवार रजिस्टर व निवास प्रमाण पत्र को फर्जी पाते हुए, निरस्त कर दिया। हालांकि नीलम के अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र की अभी जांच चल रही है लेकिन आरोप है कि लेखपाल ने नीलम की जाति ‘शिल्पकार’ तस्दीक की है जबकि तहसीलदार ने नीलम का ‘चमार’ अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी किया है। मीनू के अनुसार, बड़कोट के सोली नौगांव की मतदाता सूची में भी नीलम का नाम दर्ज है और यहां भी वोट बनवा ली थी।
मीनू के अधिवक्ता और संविधान बचाओ ट्रस्ट के संयोजक एडवोकेट राजकुमार ने बताया कि नीलम के कुटरचित फर्जी दस्तावेजों की जांच के बाद, जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे ने 31 जनवरी 2023 को नीलम के निवास प्रमाण पत्र को गलत पाते हुए, निरस्त कर दिया था। फर्जी दस्तावेजों के बल पर प्रधान पद पर कब्जा करना एससी/एसटी एक्ट के तहत अपराध है। इसके साथ ही अपने संवैधानिक अधिकारों के हनन को लेकर, मीनू ने प्रधान नीलम, पूर्व प्रधान व अन्य के साथ एसडीएम तहसीलदार व निर्वाचन अधिकारियों आदि 11 लोगों के विरुद्ध एससी/एसटी एक्ट में मुकदमा पंजीकृत कराने को प्रार्थना पत्र दिया लेकिन रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई।
लिहाजा मीनू ने एससी/एसटी कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया जिसमें फर्जीवाड़े के आरोपियों के साथ रिपोर्ट दर्ज न करने/करवाने पर एससी एसटी एक्ट के उल्लंघन को लेकर थानाध्यक्ष सहित डीएम व एसएसपी हरिद्वार को भी पार्टी बनाया। मामले में जिला जज/विशेष न्यायाधीश एससी एसटी कोर्ट ने फर्जीवाड़े को लेकर, 31 मार्च को एसडीएम तहसीलदार व प्रधान आदि 11 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी व कुटराचित दस्तावेज तैयार करने आदि की धाराओं में मुकदमे के आदेश दिए हैं। वहीं, एससी/एसटी एक्ट के उल्लंघन की बाबत डीएम एसपी के खिलाफ प्रमुख सचिव गृह को जांच के आदेश दिए है।
मीनू के अधिवक्ता राजकुमार बताते हैं कि मामले में लेखपाल, तहसीलदार, उपजिलाधिकारी भगवानपुर, सहायक निर्वाचन अधिकारी एवं निर्वाचन अधिकारी ब्लाक भगवानपुर, ग्राम प्रधान सिकरोढा़ नीलम और उसे चुनाव लड़ाने वाले पूर्व प्रधान इमरान सहित 11 लोगों के विरुद्ध जनपद न्यायाधीश/एससी/एसटी एक्ट कोर्ट हरिद्वार ने एससी-एसटी एक्ट सहित 420, 467, 468, 471 और 120बी में मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने के आदेश 31 मार्च 2023 को थाना प्रभारी भगवानपुर को दिए हैं।
डीएम एसपी पर बैठी जांच
फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे प्रधानी हथियाने और एक दलित महिला के संवैधानिक अधिकारों के हनन मामले में आरोपियों के खिलाफ एससी एसटी एक्ट में मुकदमा न लिखने को लेकर, एक्ट के उल्लंघन की बाबत डीएम एसपी पर भी जांच बैठ गई है। “दलित महिला का एससी एसटी एक्ट का मुकदमा न लिखना डीएम एसएसपी को महंगा पड़ गया है। जिला कोर्ट ने अफसरों के इस कृत्य को एक्ट का उल्लंघन माना है और प्रमुख सचिव गृह को मामले में जांच के आदेश दिए हैं।”
खास है कि जिले के भगवानपुर विकास खंड के गांव सिकरोड़ा निवासी मीनू ने मुकदमा न लिखने पर, हरिद्वार डीएम और एसएसपी तथा भगवानपुर थाना प्रभारी को दंडित करने के लिए विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट/जिला जज के न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया था। दरअसल, एससी-एसटी एक्ट के मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करना एससी-एसटी एक्ट के नियम 5(1) और धारा 4 में अनिवार्य है और उल्लंघन करने पर 6 माह से 1 साल की सजा का प्रावधान है।
क्या है मामला
भगवानपुर तहसील की सिकरोड़ा, उत्तराखंड राज्य की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत है जिसमें पहली बार ग्राम प्रधान का पद अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित हुआ था। जिस पर आरोप है कि उत्तरकाशी निवासी लोहार जाति की नीलम पत्नी भोपाल ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर, वोटर लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराकर चुनाव लड़ा था और वह चुनाव जीत गई। एडवोकेट राजकुमार के अनुसार, नीलम के फर्जी दस्तावेजों की जांच के बाद डीएम विनय शंकर पांडे ने 31 जनवरी 2023 को नीलम का निवास प्रमाण पत्र गलत पाते हुए, निरस्त कर दिया। इस पर मीनू ने, प्रधान नीलम के साथ एसडीएम तहसीलदार आदि 11 लोगों के विरुद्ध एससी एसटी एक्ट में मुकदमा पंजीकृत कराने का प्रार्थना पत्र दिया था। जिनके खिलाफ 31 मार्च को मुकदमे के आदेश हुए हैं। वहीं एससी-एसटी एक्ट के उल्लंघन को लेकर डीएम एसएसपी पर जांच बैठाई गई है।
एडवोकेट राजकुमार के अनुसार, मीनू के प्रार्थना पत्र पर थाना प्रभारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद नीलम ने एससी एसटी एक्ट की धारा 4 (3) में विशेष न्यायाधीश एससी एसटी एक्ट कोर्ट जनपद हरिद्वार के न्यायालय में जिलाधिकारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और थाना प्रभारी को दंडित करने का प्रार्थना पत्र दिया था जिस पर जिला जज ने एससी एसटी एक्ट के प्रावधान के अनुसार, डीएम एसएसपी हरिद्वार को दंडित करने से पूर्व उत्तराखंड राज्य के प्रमुख सचिव गृह, से जांच कराने का आदेश दिया था। अगली सुनवाई 17 अप्रैल को है।
सौजन्य: hindi.sabrangindia.
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