अस्थियों ने एसपी की चौखट पर न्याय मांगा:अब मृत्युदंड की धारा में होगा चालान, धुलंडी के दिन किशोरी के आत्महत्या का मामला
झालावाड़ के एक गांव का दलित पिता खेत में काम करने गया हुआ था, और बीमार मां घर में सो रही थी। धुलंडी की मौज मस्ती में दो-तीन युवक उस दलित की नाबालिग बेटी को मोटरसाइकिल पर ले गए और कोल्ड ड्रिंक्स में नशीला पदार्थ पिला कर जबरदस्ती की। बहन को ले जाते हुए चचेरे भाई ने देख लिया, उसने घरवालों को बताया तो चाचा के लड़कों ने घर जाकर उलाहना दिया। लौटते समय एक लड़का नाबालिग को छोड़ने के लिए आ रहा था कि चाचा ने उसे पकड़ लिया और दो थप्पड़ जड़ दिए। भतीजी को घर लेकर जा ही रहा था कि लड़के के घरवालों ने लाठियों से चाचा-भतीजी पर हमला कर दिया।
दहशत में आई लड़की दौड़ कर घर पहुंची और कमरे की कुंडी लगा कर फांसी पर लटक गई। तीन दिन बाद परिवार वाले उसकी अस्थियां लेकर झालावाड़ पुलिस अधीक्षक रिचा तोमर की चौखट पर पहुंच गए और न्याय मांगा। भास्कर ने पीड़ित के गांव, पनवाड़ पुलिस थाने, खानपुर डीएसपी ऑफिस और एसी ऑफिस में इस पूरे मामले की छानबीन की। एफआईआर अपहरण व आत्महत्या की दर्ज थी। उसमें दुष्कर्म, जबरदस्ती करने और नाबालिग होने का कोई जिक्र नहीं था। जांच अधिकारी डीएसपी नानाराम से बात की तो उन्होंने स्वीकार किया कि जबरदस्ती हुई, लेकिन दुष्कर्म व शराब पिलाने के सबूत फोरेंसिक जांच रिपोर्ट के बाद ही मिल पाएंगे। लेकिन उन्होंने यह मान लिया कि लड़की नाबालिग थी इसलिए आत्महत्या की धारा 305 आईपीसी में चालान करेंगे,जिसमें मृत्युदंड तक का प्रावधान है।
वह सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं : शराब-दुष्कर्म की पुष्टि हो या न हो…सजा 305 में ही होगी
क्यों लगेगी आईपीसी की धारा 305?: आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा 306 है, लेकिन यदि उम्र 18 वर्ष से कम है, विक्षिप्त है, नशे की हालत में आत्महत्या की है तो धारा 305 लगेगी।
दोनों धाराओं में सजा में अंतर क्या?: 306 में एक से 10 साल की सजा का प्रावधान है। जबकि 305 में कम से कम 10 साल, उम्रकैद व मृत्युदंड तक का प्रावधान है। यह अपराध समझौता करने योग्य भी नहीं है।
नशे में होने का सबूत मिला?: पोस्टमार्टम में मृत्यु का कारण फांसी पर लटकना आया है, लेकिन शराब की रिपोर्ट विसरा जांच में आएगी। एक दुकानदार का बयान है कि दोनों लड़कों ने कोल्ड ड्रिंक्स ली थी।
दुष्कर्म का सबूत क्या है?: मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम हुआ था। प्रारंभिक तौर पर कोई जख्म अथवा ब्लड नहीं मिला है। लेकिन स्वाब का सैंपल फोरेंसिक भेजा हुआ है।
12 साल के बच्चे की गवाही के मायने?: बहन को ले जाते 12 साल के बालक ने देखा था, फंदे पर लटके हुए भी उसने ही सबसे पहले देखा। जांच अधिकारी ने बालक के मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान कराए हैं। बच्चे की गवाही पर संदेह नहीं करते।
निष्कर्ष क्या?: सीनियर वकील महावीर सिंह के मुताबिक यदि फोरेंसिक रिपोर्ट में शराब व दुष्कर्म की पुष्टी नहीं होती है तब भी सजा में कोई बदलाव नहीं होना है, क्योंकि दुष्कर्म साबित होने पर भी सजा इतनी ही है।
दहशत में लगा ली फांसी: पिता
लड़की के पिता ने बताया- गरीब-दलित हैं, बेटी को घर लाकर समझा देते। लेकिन दबंगों ने हमला कर दिया, इस दहशत और मार डालने के भय से मेरी बेटी ने फांसी लगा ली।
परिवार की सुरक्षा करे पुलिस: चाचा
चाचा ने कहा- एसपी ऑफिस जाने के बाद पुलिस ने हमला करने वाले 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया, लेकिन दूसरे दिन वे जमानत पर बाहर आ गए। हमारे परिवार की सुरक्षा करे पुलिस।
दोनों लड़कों को जेल भेजा- एसएचओ
एसएचओ अजीत सिंह का कहना है- आत्महत्या के दिन हमने अजय बागरी व संजय गुर्जर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। मारपीट करने वाले परिवार वालों को भी गिरफ्तार किया।
चालान धारा 305 में करेंगे: डीएसपी
डीएसपी नानालाल ने कहा- एफआईआर में शराब पिलाने अथवा दुष्कर्म का जिक्र नहीं था। फिर भी दोनों सबूतों के लिए सैंपल एफएसएल भेज दिए हैं। चालान धारा 306 की बजाय 305 में करेंगे ।
सौजन्य : Dainik bhaskar
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