ग्वालियर में नाबालिग दलित के साथ रेप मामले में सीबीआई ने लगाई क्लोजर रिपोर्ट, फरियादी ने उठाए सवाल बोली- मुझे कहां मिला न्याय
ग्वालियर उपनगर मुरार में दो साल पहले हुए नाबालिग दलित लड़की के यौन उत्पीड़न के मामले में हाईकोर्ट में पेश की सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर फरियादी पक्ष ने आपत्ति ली है। पीड़ित युवती इससे निराश है और उसके अधिवक्ता का आरोप है कि सीबीआई ने अपनी जांच में उन बिंदुओं पर कोई जांच नहीं की, जिस पर हाईकोर्ट ने जांच करने के निर्देश दिए थे। हालांकि सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी है। इस रिपोर्ट एवं पीड़ित पक्ष की आपत्तियों पर अब हाईकोर्ट में 23 फरवरी को सुनवाई होगी।
पीड़ित युवती ने कहा- मुझ पर राजीनामे का भी दवाब बनाया
पीड़ित लड़की ने सीबीआई जांच पर सवाल उठाए हैं। उसने कहा कि दबंगों द्वारा मुझ पर और मेरे परिवार पर राजीनामा करने के लिए लगातार दवाब बनाया गया। इसी के चलते कुछ संदिग्ध लोगों द्वारा मेरे पिता पर 12 फरवरी को जानलेवा हमला किया गया। उसके पिता एक सप्ताह तक अस्पताल में जिंदगी और मौत से लड़ने के बाद घर लौटे।
यह है पूरा मामला
दरअसल, उपनगर मुरार थाना क्षेत्र के सीपी कॉलोनी क्षेत्र के एक मकान में एक 15 साल की दलित नाबालिग लड़की के साथ उसके मकान मालिक के नाती आदित्य भदोरिया और उसके दोस्त श्यामू शर्मा द्वारा दुष्कर्म करने की शिकायत मुरार थाने में की गई थी। लेकिन पुलिस ने शिकायत दर्ज न करते हुए उल्टे लड़की और उसके परिवार को ही रात भर थाने में बंधक बनाकर रखा था। आरोप है कि वहां लड़की और उसके पिता के साथ जमकर मारपीट की गई ।
हेल्पलाइन पर शिकायत के बाद दर्ज हुआ केस
यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब किसी तरह लड़की ने अपने साथ हुई घटना को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों और सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की। इसके बाद पुलिस ने आनन-फानन में लड़की के बयान दर्ज किए। लड़की के मजिस्ट्रेट के सामने इकबालिया बयान भी दर्ज किए गए, जिसमें मकान मालिक गंगा सिंह भदोरिया उसका नाती आदित्य भदोरिया और दोस्त श्यामू शर्मा के खिलाफ दलित उत्पीड़न और दुष्कर्म की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।
हाईकोर्ट ने मामला सीबीआई को सौंपा था
इस मामले में पुलिस का रवैया बेहद लापरवाहीपूर्वक रहा था, जिसके चलते मामला हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने इस पर प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। लेकिन सीबीआई की जांच से अब श्यामू शर्मा और उसके दोस्त आदित्य भदोरिया को एक तरह से क्लीन चिट दे दी गई है। पीड़ित युवती ने इस पर कहा कि यह कैसी जांच है, जिसमें पीड़ित को ही कोई न्याय नहीं मिला।
अधिवक्ता ने भी क्लोजर रिपोर्ट पर उठाए सवाल
इस पर पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता अनिल मिश्रा ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि मजिस्ट्रेट के बयान पर सीबीआई ने कोई जांच-पड़ताल नहीं की। लड़की और उसके पिता को रातभर थाने में मारा पीटा गया। इसके बारे में अभी कोई जांच-पड़ताल नहीं की गई। वहीं घटना के 2 दिन बाद इस मामले में एफआईआर हुई थी। खास बात यह है कि पुलिस की संदिग्ध भूमिका पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया था और इस मामले से जुड़े सात पुलिस अफसरों को ग्वालियर चंबल संभाग से जांच पूरी होने तक दूर रखने के निर्देश दिए थे। इनमें एडिशनल एसपी, सीएसपी, दो इंस्पेक्टर, दो सब इंस्पेक्टर, पुलिसकर्मी आदि शामिल थे।
सौजन्य : The sootr
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