गुजरात चुनाव में पाटीदार, दलित,आदिवासी-मुसलमानों के वोटों का क्या है महत्व, किस समुदाय का कितनी सीटों पर प्रभाव
गुजरात विधानसभा चुनाव में जातीय और धार्मिक समीकरण कितने महत्वपूर्ण हैं ये सभी पार्टियों को पता है. तभी हर राजनीतिक दल ओबीसी, दलित,मुसलमान, पाटीदार और आदिवासी वोटों पर नजर बनाए हुए हैं.
गुजरात चुनाव में पाटीदार, दलित,आदिवासी-मुसलमानों के वोट बेहद महत्वपूर्ण हैं. इन समुदायों के पास चुनाव के नतीजे बदलने की ताकत है. आइए समझते हैं कि इन सभी समुदायों का कितनी सीटों पर प्रभाव है.
पाटीदार
पाटीदार भारत में पाई जाने वाली एक जाति है. यह परंपरागत रूप से एक जमींदार और कृषक जाति है. गुजरात में हर क्षेत्र में इनका प्रभुत्व है और यह गुजरात राज्य के प्रभावशाली जातियों में से एक हैं.
पाटीदार वोट क्यों हर राजनीतिक पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हैं इसका जवाब ये है कि पाटीदारों के गुजरात में 18 से 19 प्रतिशत वोट हैं. सीधे तौर पर गुजरात विधानसभा की 40 सीटों पर पाटीदार वोटर्स का प्रभाव है. साल 2017 में पाटीदार आंदोलन का खामियाजा बीजेपी को राज्य में भुगतना पड़ा था. हालांकि इस बार तस्वीर अलग है. पाटीदार आंदोलन के प्रमुख चेहरे हार्दिक पटेल अब खुद बीजेपी का हिस्सा हैं. ऐसे में क्या पाटीदार वोट इस चुनाव में बीजेपी को मिलेगा या नहीं ये देखना दिलचस्प होगा.
हालांकि यहां भी एक दिलचस्प फैक्ट ये है कि आम आदमी पार्टी के गुजरात के राज्य संयोजक गोपाल इटालिया भी पाटीदार समुदाय से हैं और पाटीदार आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा रहे हैं. ऐसे में आप भी हर संभव इस वोट बैंक को अपने पाले में लाने की कोशिश करेगी.
ओबीसी
गुजरात की कुल आबादी का 52 प्रतिशत ओबीसी है. ओबीसी में कोली और ठाकोर दो प्रमुख समुदाय हैं जो सौराष्ट्र और उत्तरी गुजरात की सीटों पर सीधे तौर पर जीत हार तय करने का दमखम रखती हैं.
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की इस वोट बैंक पर नजर है. कांग्रेस अध्यक्ष जगदीश ठाकोर और आम आदमी पार्टी के महासचिव इसुदान गढ़वी ओबीसी हैं.
बीजेपी की बात करें तो ओबीसी के एक वर्ग के बीच बीजेपी को लेकर थोड़ी अंतोष की भावना है. इसका बड़ा कारण है कि दो ओबीसी से आने वाले नेताओं (कुंवरजी बावलिया और जवाहर चावड़ा)को बीजेपी ने पहले मंत्री बनाया फिर हटा दिया.
दलित
गुजरात में दलितों की संख्या आबादी का लगभग आठ प्रतिशत है. ये सीधे तौर पर 12 से 15 सीटों पर अपनी वोट से परिणाम को प्रभावित करने का दम रखते हैं. गुजरात विधानसभा की 13 सीटें एससी के लिए आरक्षित हैं.
मुसलमान
गुजरात में मुस्लिम समुदाय का वोट भी बेहद महत्वपूर्ण है. मुस्लिम वोट राज्य विधानसभा की 35 से 38 सीटों पर नतीजों को प्रभावित करने का दम रखती हैं. इनकी संख्या की बात करें तो 9 से 10 प्रतिशत गुजरात में मुसलमान हैं.
मुसलमानों का वोट आमतौर पर कांग्रेस का माना जाता है लेकिन बीजेपी पसमंदा मुसलमानों तक पहुंची है. इसके साथ ही AIMIM ने भी अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं. इन सबसे कांग्रेस की वोट बैंक पर सेंध लग सकती है.
आदिवासी
गुजरात में कुल 27 सीटें SC के लिए आरक्षित हैं. कुल आबादी का यह 15 प्रतिशत हिस्सा है. कांग्रेस-बीजेपी के साथ-साथ भारतीय ट्राइबल पार्टी भी आदिवासी वोटों पर पकड़ रखती हैं.
राज्य में ऐसे 10 जिले हैं जहां आदिवासी अधिक हैं. ये जिले हैं
आदिवासी बहुल जिले (राज्य में आदिवासी आबादी 15 फीसदी है)
-डांग – 95 फीसदी
-तापी – 84 फीसदी
-नर्मदा – 82 फीसदी
-दाहोद – 74 फीसदी
-वलसाड – 53 फीसदी
-नवसारी – 48 फीसदी
-भरूच – 31 फीसदी
-पंचमहाल – 30 फीसदी
-वडोदरा – 28 फीसदी
-सबारकांठा – 22 फीसदी
अब देखना होगा कि गुजरात में किसकी सरकार बनती है. कौन जातीय समीकरण साधने में सफल हो पाता है. आम आदमी पार्टी के राज्य विधानसभा चुनाव में आने से मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद की जा रही है.
सौजन्य : Abp live
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