मंडी में भीमराव अंबेडकर की एक भी मूर्ति नहीं
अखिल भारतीय दलित, पिछड़ा अल्प संख्यक वर्ग परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल ने सरकार से मांग की है कि जिला मुख्यालय मंडी के परिसर में भारत रत्न व संविधान निर्माता बाबा साहिब डा. भीम राव अंबेडकर की प्रतिमा की स्थापना की जाए। जिला अध्यक्ष चंद्रवीर कागरा ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने जिला उपायुक्त मंडी को ज्ञापन भी सौंपा है और मांग की है कि बाबा साहेब की प्रतिमा की स्थापना 14 अप्रैल से पहले शासन और प्रशासन के सहयोग व प्रयासों के अनुसार जनहित में स्थापना की जाए। साथ ही उन्होंने सभी राजनीतिक दलों व स्वयंसेवी संस्थाओं से आग्रह किया है कि इस पुण्य कार्य के लिए अपना सहयोग करने की कृपा प्रदान करें। उन्होंने कहा कि मंडी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पं. जवाहर लाल नेहरू व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाएं शासन व प्रशासन द्वारा स्थापित की गई हैं, लेकिन आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी किसी भी राजनीतिक दल ने संविधान रचियता डा. बीआर अंबेडकर की प्रतिमा को मंडी स्थापित करने के लिए प्रयास नहीं किया है।
अखिल भारतीय दलित, पिछड़ा अल्प संख्यक वर्ग परिषद के प्रदेश प्रवक्ता एवं महासचिव चमन राही, प्रदेश मुख्य सलाहकार सरदार कुलतार सिंह, प्रदेश सचिव शकुंतला कश्यप, संयुक्त सचिव हरि चंद गोयला, जिला अध्यक्ष चंद्रवीर कागरा, शशिकांत, हंसराज ने हिमाचल सरकार से मांग की है कि जिला मुख्यालय मंडी में बाबा साहेब डॉ. भीम राव अंबेडकर की मूर्ति की भी स्थापना की जाएं। कहा कि इस कार्य को 14 अप्रैल से पहले-पहले पूरा किया जाए। जिससे अंबेडकर जयंती के दिन स्थापित होने वाली मूर्ति स्थल पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम मनाया जा सके।
11 अप्रैल को देवसदन में होगी बैठक
कुल्लू। देवसदन कुल्लू में 11 अप्रैल को भूमिहीन एवं आवासहीन कल्याण परिषद जिला कुल्लू की बैठक होगी। यह जानकारी भूमिहीन एवं आवासहीन कल्याण परिषद जिला कुल्लू के प्रचार सचिव सीआर कौंडल ने दी है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने अपने रहने, गुजारे के लिए पांच बीघा से कम सरकारी भूमि पर कब्जा किया है, उनके लिए भूमिहीन एवं आवासहीन कल्याण परिषद जिला कुल्लू लंबे समय से न्यायिक एवं प्रशासनिक लड़ाई लड़ रही है। संस्था ने पूरे दमखम से अपनी बात सरकार के आगे रखी थी, जिस पर पूरी विधानसभा में पूरे एक दिन चर्चा हुई, जिस पर हाई कोर्ट ने छह दिसंबर 2017 को अस्थायी आदेश पास किए कि पांच बीघा से कम के कब्जों को फिलहाल न छेड़ा जाए।
सौजन्य : Divya himachal
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