शौचालय न आवास, कैसा है विकास- अधिकांश पात्रों को नहीं मिला योजनाओं का लाभ
गोरखपुर । कुशीनगर के विशुनपुरा ब्लाक के लीलाधर छपरा गांव की अनुसूचित जाति की बस्ती विकास के दावे पर सवाल खड़ा कर रही है। चार टोलों वाले इस गांव की आबादी करीब दो हजार है। अनुसूचित बस्ती में 85 परिवार रहते हैं। इनमें से 30 को आवास का लाभ मिला है, जबकि शेष झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं। वे प्रधानमंत्री आवास (ग्रामीण) और मुख्यमंत्री आवास योजना के लाभ से वंचित हैं। आधे से अधिक परिवारों का शौचालय नहीं बना है। यहां सड़क, नाली, शुद्ध जल जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत कुछ शौचालय बनाए गए थे, लेकिन अधिकांश बदहाल हो चुके हैं।
जिम्मेदार उदासीन
अनुसूचित बस्ती के निवासी कन्हैया, संतोष, कमल, सुरेंद्र, श्याम, शीला, गीता, इंदू, बिंदू आदि का कहना है कि सरकार गरीबों के लिए आवास की सुविधा दे रही है, लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते पात्रों तक लाभ नहीं पहुंच पा रहा है। आवास के लिए कई बार आवेदन किया गया। प्रधान और ग्राम पंचायत सचिव के अलावा ब्लाक कार्यालय का भी चक्कर लगाया, लेकिन अधिकारियों ने संज्ञान नहीं लिया।
वृद्धा पेंशन का भी नहीं मिल रहा लाभ
बुजुर्ग हरिनाथ, गंगा, राधा किशुन आदि का कहना है कि पात्र होने के बाद भी उन्हें अभी तक पेंशन का लाभ नहीं मिला। प्रधान और सचिव से कई बार मांग की, लेकिन ध्यान नहीं दिया। सुरेंद्र ने बताया कि मेरे परिवार में चार सदस्य हैं, लेकिन राशनकार्ड नहीं बना है। अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से शिकायत करने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। इंडिया मार्क हैंडपंप खराब है, छोटे नल का पानी पीने की मजबूरी है। ग्राम प्रधान मनोज शंकर ने बताया कि समस्याएं उनके कार्यकाल के पहले की हैं। सुविधाओं के लिए वह प्रयास में लगे हैं। पात्रों की सूची बनाकर प्रशासन को भेजी गई है। स्वीकृति मिलने पर योजनाओं का लाभ दिलाया जाएगा।
पात्रों को मिलेगा योजना का लाभ
मुख्य विकास अधिकारी अनुज मलिक ने कहा कि लीलाधर छपरा गांव में आवास व शौचालय के लाभ से वंचित लोगों की जांच कराई जाएगी। विधानसभा चुनाव के बाद पात्रों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाया जाएगा।
सौजन्य : Dainik jagran
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