UP में दलितों के ख़िलाफ़ अपराध आठ साल में दोगुना, बलात्कार के मामले में 43 फीसदी बढ़े
योगी आदित्यनाथ सरकार दावा करती है कि उत्तर प्रदेश में अपराध कम हो रहे हैं लेकिन राज्य में अनुसुचित जातियों (दलित) के ख़िलाफ़ अपराध के मामले बेतहाशा बढ़े हैं। इतना ही नहीं दलित महिलाओं के ख़िलाफ़ बलात्कार के मामले आठ साल में 43 फीसदी बढ़ गए हैं।
देश में दलितों या एससी समुदाय के ख़िलाफ़ सबसे ज़्यादा अपराध उत्तर प्रदेश में ही होते हैं। पिछले आठ साल में जारी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के विश्लेषण से यह बात पता चली है। एनसीआरबी ने अपनी 2020 की रिपोर्ट में राज्यवार अनुसुचित जातियों के ख़िलाफ़ अपराध की दर का आंकड़ा नहीं दिया है।
अगर 2013 से 2019 की बात करें तो इस दौरान एससी समुदाय के ख़िलाफ़ अपराध की दर 8 फीसदी बढ़ी है। उत्तर प्रदेश एससी समुदाय के लोगों के ख़िलाफ़ अपराध के मामलों में 2013 से टॉप पर बरक़रार है।
मसलन 2013 में देशभर में दलितों ख़िलाफ़ अपराध के कुल 18 फीसदी मामले दर्ज किए गए थे जो 2019 में बढ़कर करीब 26 फीसदी हो गए।
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद राज्य में अनुसुचित जातियों के ख़िलाफ़ अपराध से संबंधित 2017 में 11,444 मामलों के मुक़ाबले 2020 में 12,714 मामले दर्ज किए गए।
साल 2013 में 17.1 फीसदी के मुक़ाबले साल 2020 के दौरान अनुसुचित जाति के लोगों के ख़िलाफ़ अपराध की दर करीब 31 फीसदी रही। आंकड़ों के कैलकुलेशन से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में अनुसुचित जातियों (SC) के ख़िलाफ़ अपराध के मामले आठ साल में 14 फीसदी तक बढ़ गई है।
अनुसुचित जाति की महिलाओं के ख़िलाफ़ बलात्कार के मामले 2013 के मुक़ाबले 2020 में करीब 43 फीसदी बढ़ गई है। मसलन साल 2013 में एससी समुदाय की महिलाओं के ख़िलाफ़ बलात्कार के 391 मामले दर्ज किए गए थे वो 2020 में बढ़कर 604 हो गए हैं।
इसका मतलब है कि अनुसुचित जाति की महिलाओं के ख़िलाफ़ इस तरह के अपराध राज्य में तेज़ी से बढ़े हैं। इनके अलावा हत्या, अपहरण, महिलाओं का शोषण, यौन शोषण के मामले भी बढ़े हैं।
हालांकि एनसीआरबी के मुताबिक़ अनुसुचित जातियों के ख़िलाफ़ मामलों की उत्तर प्रदेश पुलिस निपटारा भी कर रही है। मसलन एससी समुदाय के ख़िलाफ़ अपराध के मामलों में चार्जशीट दाख़िल करने की दर साल 2020 के दौरान 84 फीसदी से ज़्यादा रही जिसमें 2017 के मुक़ाबले सुधार भी हुआ है।
ग़ौरतलब है कि भारत में एससी-एसटी समुदाय की दुर्दशा पर Gonewsindia ने आपको पहले बताया था कि वे गंभीर रूप से मल्टिडायमेंशनल ग़रीबी में हैं। देश में एस-एसटी दोनों समुदायों की कुल आबादी 412 मिलियन है और 159 मिलियन या 38.5 फीसदी आबादी मल्टिडायमेंशनल ग़रीबी में रह रही है।
देश में अनुसूचित जाति की आबादी 283 मिलियन है और इनमें 33 फीसदी यानि 94 मिलियन मल्टिडायमेंशनल ग़रीबी में हैं।
सौजन्य : hindi.gonewsindia.com
नोट : यह समाचार मूलरूप से hindi.gonewsindia.com में प्रकाशित हुआ है. मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है|