शिक्षा छीनने का मर्ज:5 स्कूलों को समाहित किया, पांच साल से 350 बच्चों के हाथों से छिनी हुई हैं किताबें
सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हर साल नई योजना बनाती है। सालाना 38 हजार 712 करोड़ रुपए खर्च भी करती है, लेकिन इसमें से 33 हजार करोड़ रुपए वेतन लेने वाले अधिकारी-कर्मचारी और शिक्षक सरकार के मनसूबों पर पानी फेरने में लगे हैं। इसका सबसे बड़ा उदारहण है दुर्गम आदिवासी क्षेत्र कोटड़ा।
शिक्षा विभाग ने समानीकरण का बहाना बनाते हुए पिछले पांच साल में पांच स्कूलों को बंद कर 2 से 4 किमी दूर दूसरे स्कूलों में मर्ज कर बच्चों के हाथों से कॉपी-किताब छीन ली। कारण- कम नामांकन और स्कूलों के बीच की कम दूरी को बताया, लेकिन हकीकत जुदा है। स्कूलों में या तो नामांकन कम नहीं था या दूरी 2 किमी से कम नहीं थी या रास्ता सुगम नहीं था।
अब इन पांचों गांवों में रहने वाले 350 बच्चे स्कूल से दूर हैं। ऐसे ही गांवों की स्थिति जानने के लिए भास्कर कोटड़ा तहसील के उमरिया ग्राम पंचायत के पोपटाली में पहुंचा तो जिस भवन में प्राथमिक स्कूल संचालित होता था वह जर्जर हालात में मिला। इस स्कूल को 66 नामांकन होने के बावजूद ढाई किमी दूर शिशविया में मर्ज कर दिया गया।
ऐसे में पोपटाली में 80 बच्चे स्कूल से ही दूर हो गए। पोपटाली से शिशविया को जोड़ने वाले पहाड़ी रास्ते पर आम दिनों में बच्चों का जाना मुश्किल है और बरसात में तो नामुमकिन। लोगों का कहना है कि शिक्षक ही हमारे गांवों में आना नहीं चाहते, इसलिए विभाग ने बंद कर दिया।
पाेपटाली में बच्चों के अच्छे नामांकन को देखते हुए प्रदेश सरकार ने लाखों खर्च कर स्कूल भवन बनवाया था, लेकिन अब जर्जर हो गया है। खिड़की-दरवाजे भी नजर नहीं आते। वहीं, जिन बच्चों को हाथों में कॉपी-किताब होनी चाहिए। वह दराती लेकर खेतों में मजदूरी करते नजर आए। अजीत और वन्याराव पहले स्कूल जाते थे। अब स्कूल ही बंद है तो परिवार की मदद करते हैं।
बहन के घर सुबरी में रख बच्चों को पढ़ा रहा हूं
बच्चों की शिक्षा को लेकर जागरूक पोपटाली के लाडूराम पुत्र रामा गमार ने स्कूल बंद हुआ तो बच्चों को बहन के पास सुबरी भेज दिया। उनके दोनों बच्चे ललित व सींगा वहां स्कूल में पढ़ रहे हंै।
पोपटाली के ही मुकेश पुत्र सवा गमार व धनिया पुत्र माला खराड़ी ने भी अपने बच्चों को झाड़ोल व कोटड़ा में रिश्तेदारों के यहां छोड़ दिया है, ताकि पढ़ाई जारी रहे।
कोटड़ा में मर्ज किए सभी स्कूल, संदेह के घेरे में
समानीकरण के तहत कोटड़ा ब्लॉक के छह स्कूलों को सन् 2016 से 2018 के बीच मर्ज किया गया। इसमें खाम पंचायत के भंवरिया, कुकावास के आडावेला, खाखरिया के उपला तलाब, उमरिया के पोपटाली, सामोली का भूरी ढेबर शामिल हैं।
अगर हम नियमों की बात करें तो सभी स्कूलों को गलत तरीके से बंद किया गया। सभी स्कूलों में भी बच्चों के अच्छे नामांकन थे। साथ ही इन सभी गांवों की भौगोलिक स्थिति देखी जाए तो इन्हें मर्ज नहीं करना चाहिए था। इनके चारों ओर पहाड़ी इलाके हैं और नदी-नालों हैं।
स्कूल डी मर्ज कर सकते हैं
ज्यादा नामांकन और दुर्गम रास्ते होने पर स्कूल मर्ज किए नहीं किए जाते हैं। ऐसा हुआ है तो गलत है। गांवों में हालात बदले हैं तो स्कूल डी मर्ज किया जा सकते हैं। प्रस्ताव भेजेंगे। इसमें टाइम जरूर लगता है, लेकिन डी मर्ज हो सकता है। -सीपी जायसवाल, मुख्य ब्लॉक शिक्षा कोटड़ा
सौजन्य : Dainik bhaskar
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