गुजरात: मंदिर में प्रवेश करने पर दलित परिवार की पिटाई, 5 हिरासत में, 15 की तलाश में पुलिस
गुजरात के कच्छ में एक दलित परिवार को कुछ लोगों ने सिर्फ इसलिए पीट दिया क्योंकि वो भगवान के दर्शन के लिए मंदिर चले गए थे। पुलिस ने इस मामले में 20 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। साथ ही पांच आरोपियों को हिरासत में भी ले लिया है।
कच्छ के गांधीधाम शहर के भचाऊ तालुका के एक गांव में एक दलित परिवार के छह सदस्यों पर तीन दिन पहले कथित तौर पर 20 लोगों के समूह ने हमला कर दिया था। जिसके बाद गुजरात पुलिस ने शुक्रवार शाम तक इस मामले में पांच आरोपियों को हिरासत में लिया है। घायल व्यक्तियों ने दावा किया है कि मंदिर में एक अन्य समुदाय द्वारा आयोजित एक समारोह के दौरान, राम मंदिर में प्रवेश करने के बाद उन्हें व्यवस्थित रूप से निशाना बनाया गया है। पुलिस ने कहा कि वह पीड़ितों द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच कर रही है।
मामले की जानकारी देते हुए पुलिस ने कहा कि हमले के बाद छह लोगों को भुज के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस हमले में उनके सिर और अन्य हिस्सों पर धारदार हथियारों से हमला किया गया है। पुलिस के अनुसार, 26 अक्टूबर की सुबह भचाऊ तालुका के नेर गांव में दो हमले की घटनाएं हुईं, जिसमें 20 लोगों के एक समूह ने पहले दलित परिवार पर मवेशियों और खेतों को लेकर हमला किया गया। फिर उनके घर में घुस गए।
पहली घटना में पीड़ित गोविंद वाघेला ने दावा किया है कि उन्हें 26 अक्टूबर की सुबह करीब 10 बजे पता चला कि मवेशी गांव में उनके खेत में घुस आए हैं। पीड़ित वाघेला ने कहा- उन्होंने हमसे पूछा कि हमने 20 अक्टूबर को राम मंदिर में प्रवेश क्यों किया, जब एक प्रतिष्ठा समारोह चल रहा था। उन्होंने मेरा सेल फोन चुरा लिया और ऑटोरिक्शा पर हमला कर दिया, ताकि हम मदद न ले सकें। मुझसे कहा कि वे मेरे पिता को मारने के लिए गांव जा रहे हैं। आखिरकार पुलिस ने हमें बचा लिया, जो हमें अस्पताल ले गई”।
घटना को लेकर पुलिस ने 20 आरोपियों के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की गई है। इन प्राथमिकियों में आईपीसी की धारा 307 हत्या के प्रयास के लिए, 323 चोट पहुंचाने के लिए, 324 खतरनाक हथियारों से चोट पहुंचाने के लिए, 120 बी आपराधिक साजिश के लिए, 506 आपराधिक धमकी के लिए, 294 बी अश्लीलता के लिए, दंगा की धाराएं और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
साभार : जनसत्ता
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