कुपोषित बच्चों के हक पर डाका, पोषित हो रहे जिम्मेदार
ग्वालियर-अंचल. ग्वालियर-चंबल संभाग में कुपोषण का दंश खत्म नहीं हो रहा है। संभाग के श्योपुर, शिवपुरी और दतिया जिले में बच्चों में कुपोषण तेजी से बढ़ रहा है। खास तौर पर आदिवासी क्षेत्र में। कोविड़-19 के दर्द को लोग भुला भी नहीं पाए कि अब कुपोषण उनके नौनिहालों को निगलने लगा है। अक्टूबर माह में ही शिवपुरी में 3 कुपोषित बच्चों ने दम तोड़ दिया, जबकि श्योपुर में कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। दतिया और मुरैना में भी हालात भी ठीक नहीं है। हर साल राज्य सरकार कुपोषण मिटाने के लिए करोड़ों का बजट पारित करती है। लेकिन कुपोषित बच्चों के पोषण आहार के नाम पर पोषित हो रहे हैं जिम्मेदार। एनआरसी में कुपोषित बच्चों को कागजों पर भर्ती कर उन्हें और उनकी मां को मिलने वाली राशि का बंदरबांट किया जा रहा है।
बच्चों को 70, मां को 120 रुपए मिलते
स्वास्थ्य विभाग के जानकारों के मुतबिक कुपोषित बच्चों को एनआरसी मे भर्ती करने पर उसकी मां को 120 रुपए प्रति दिन और बच्चे को 70 रुपए का पोषण आहार के लिए दिया जाता है। प्रत्येक बच्चे को 14 दिन तक एनआरसी में भर्ती किया जाता है। यहां उसे दवा भी मुफ्त में दे जाती है। लेकिन जिम्मेदार कागजों में कुपोषित बच्चों को भर्ती दिखाकर उनको मिलने वाली राशि का बंदरबांट कर लेते हैं।
भर्ती की जगह रेफर का खेल
अंचल में ज्यादा तर एनआरसी खाली है। इसकी मुख्य वजह कुपोषित बच्चों को भर्ती नहीं करना है। पहले कोविड के नाम पर कुपोषित बच्चों को भर्ती नहीं किया जा रहा था। अब रेफर का खेल किया जा रहा है। शिवपुरी के कोलारस में रहने वाली लक्ष्मी को एनआरसी में भर्ती नहीं किया गया था। उसे पहले शिवपुरी और वहां से ग्वालियर रेफर किया गया। अव्यवस्था से व्यथित गरीब आदिवासी परिवार बच्ची को घर ले आया और उसकी उसी रात मौत हो गई।
एनआरसी में भर्ती बच्चों के आंकड़़ में मतभेद
शिवपुरी में एनआरसी में भर्तीबच्चों की जानकारी जुटाई गई तो विभिन्न जिम्मेदारों के अलग-अलग आंकड़े दिए। महिला बाल विकास अधिकारी देवेंद्र सुंदरियाल ने बताया कि अप्रैल से अभी तक कुल 144 भर्ती हुए, वहीं एनआरसी के नोडल अधिकारी डॉ. संजय ऋ षीश्वर ने बताया 565 बच्चे भर्ती हुए। आंकड़ों में अंतर से गड़बड़झाला का अंदाजा लगाया जा सकता है।
संभाग में कुपोषण के नाम पर ऐसे चल रहा है खेल
क्र. ——- जिला ——-एनआरसी ——-कितने भर्ती ——-हकीकत ——-मौत ——-बजट
1. ——-शिवपुरी ——-09 ——-565 ——-05 ——-03 ——-15.59 लाख
2. ——-श्योपुर ——-03 ——-14 ——-00 ——-00 ——-70 लाख
3. ——-दतिया ——-05 ——-96 ——-01 ——-00 ——-12.82 लाख
4. ——-भिण्ड ——-01 ——-06 ——-00 ——-00 ——-50 हजार
5. ——-मुरैना ——-06 ——-135 ——-22 ——-00 ——-70 हजार
14 दिन बाद भी कुछ पचा नहीं पा रही बेटी
जिला अस्पताल में मेरी दो साल की बेटी 14 दिन से भर्ती है। इलाज का दावा स्वास्थ्य विभाग कर रहा है, लेकिन बालिका अभी भी कुछ खाती या पीती है, तो उल्टी कर देती है। दो साल की बच्ची अभी तक चल नहीं पाती है। कुछ हजम न कर पाने की वजह से उसकी हालत खराब है।
गायत्री आदिवासी, मनियर, शिवपुरी
पहली बार एनआरसी में आए हैं। कितने पैसे मिलते हैं यह नहीं पता, बच्चे को पीने के लिए दूध व अन्य जरूरी चीजें मिलती हैं। दवा भी मु्फ्त दी जा रही है। लेकिन बच्चे की हालत अभी जस की तस है।
त्योहार के बाद बच्चों को लाएंगे
अति कम वजन के बच्चे 903 मिले, 216 का उपचार किया जा चुका है। सभी को भर्ती कराने के की जरूरत नहीं पड़ती, जो आंगनवाड़ी केंद्र स्तर पर ठीक हो जाते हैं उन्हें एनआरसी में नहीं लाया जाता। करीब डेढ़ सौ बच्चे बच्चे हैं जिन्हें जल्द ही भर्ती करवाकर उपचार और पोषण आहार दिया जाएगा। एनआरसी में भर्ती की स्थिति भी ठीक है, त्योहार के बाद फिर से जरूरी बच्चों को लाया जाएगा।
डीके सिद्धार्थ, संयुक्त संचालक, महिला बाल विकास, चंबल संभाग
साभार : पत्रिका न्यूज़
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