दानापुर के सैंकडों दलितों ने छोडा गांव, लगातार साम्प्रदायिक अन्याय का आरोप
चांदूर रेलवे. तहसील के दानापुर के लगभग सौं दलित नागरिकों ने लगातार साम्प्रदायिक अन्याय का आरोप लगाते हुए शुक्रवार की सुबह गांव छोड दिया है. इन पीडितों ने समीपस्थ तालाब पर डेरा जमाया है. जबकि घर, संपत्ति की जिम्मेदारी प्रशासन पर छोडने की बात लिखित में कही है. इस संदर्भ में उन्होंने जिलाधिकारी, ग्रामीण पुलिस अधीक्षक, तहसिलदार, चांदूर रेलवे एसडीओ, तलेगांव दशासर पुलिस स्टेशन को निवेदन भी सौंपा है.
एसडीपीओ पर रोष
दानापुर के दलित समाज के नागरिक खेत शिवार में खेती करते हैं. उसी शिवार में मुख्य सरकारी पगडंडी के खेत से परे इन दलितों का एक खेत है. लेकिन गांव सवर्णा ने ने इन दलितों के लिए पीढ़ियों से उनके खेतों में जाने का रास्ता बंद कर दिया था. जिससे उनके खेती के काम ठप पड गए. ऐन बुवाई के समय ट्रैक्टर रोककर उनके साथ नस्लीय दुर्व्यवहार किया.
इस मामले में चारों आरोपियों एट्रासिटी समेत अन्य आरोप लगाए गए हैं. लेकिन स्थानीय एसडीपीओ ने मामले को दबा दिया. परिणामस्वरूप सवर्ण का मनोबल बढ़ा और वह दलित लड़कियों को प्रताड़ित करने लगे. इस प्रकरण में भी मामले दर्ज किए गए. लेकिन स्थानीय एसडीपीओ ने दोनों मामलों में कार्रवाई नहीं की. दानापुर के 10 दलित गांव इस अन्याय के खिलाफ अनशन पर बैठे थे.
उसके बाद चांदूर के एसडीपीओ ने कार्रवाई करते हुए बिना उनका पीसीआर लिए छेडछाड के आरोपियों को न्यायिक हिरासत में दे दिया. लेकिन रास्ता रोकनेवाले मामले में आरोपी अभी भी खुलेआम घुम रहे हैं. इस मामले में स्थानीय तहसीलदार के पास दर्ज मामला चार माह बाद भी नहीं सुलझा है.
सोयाबीन जलानेवालों पर भी कार्रवाई नहीं
लगातार अत्याचारों के बावजूद न्याय नहीं मिलने से दानापुर के दलित परेशान हैं. आरोपियों को सरकार का समर्थन मिलने से उनके अन्याय, अत्याचार बढ़ने आरोप भी उन्होंने लगाया है. इन दलितों को सोयाबीन निकालने के लिए अस्थाई सड़क के लिए तहसील के चक्कर काटने के बाद भी न्याय नहीं मिला है.
इसी बीच 18 अक्टूबर को दानापुर के कथीत सवर्णो ने निखिल चांदने के खेत का सोयाबीन जला दिया. पुरुषोत्तम चांदने ने आरोप लगाया है कि संदिग्धों का नाम देने के बावजूद पुलिस की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है.
साभार : नवभारत
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