Bihar News: दलित रसोइया के शारीरिक शोषण के बाद सुसाइड केस की उच्चस्तरीय होगी जांच- मंत्री जनक राम
कुमार प्रदीप/गोपालगंज: जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान थावे में दलित रसोइया के शारीरिक शोषण के बाद हुए सुसाइड केस मामले ने अब पूरी तरह राजनितिक तूल पकड़ लिया है. पुलिस की सुस्त जांच और कार्रवाई से परिजनों में आक्रोश है, तो वहीं सुसाइड केस राजनीतिक रंग लेने लगा है. बिहार सरकार के अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण विभाग के मंत्री जनक राम ने आज मृतका के घर वृंदावन गांव में पहुंचे और परिजनों से मिलकर घटना की जानकारी ली. मंत्री ने परिजनों को दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने का आश्वासन दिया, तो वही इस मामले में भाकपा माले ने परिजनों से मिलने के बाद इसे हत्या करार दिया है|
3 माह से नहीं मिला था वेतन
बता दें की बीते 18 जनवरी को ऐपवा के जिलाध्यक्ष सीतापाल, माले जिला कार्यालय सचिव सुभाष सिंह, आरवाइए के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र पासवान और माले नेता आजाद शत्रु ने मृत रसोइया की मां सरस्वती देवी से मुलाकात की थी. मुलाकात के दौरान माले नेता जितेंद्र पासवान ने कहा था कि रसोईया महज 8000 रुपये पर काम करती थी. 3 माह से उसका वेतन बंद था, ऐसे में रसोईया सुसाइड नहीं कर सकती थी. टीम ने कहा कि रसोईया ने कुछ दिन पहले ही अपनी मां से भी कहा था कि कुछ शिक्षक हम पर नजर गड़ाए हुए है और छेड़खानी करते है. मां ने भी नौकरी छोड़ देने की बात कही थी.
15 जनवरी की रात हुई घटना
माले ने इस पूरे मामले को लेकर न्यायिक जांच की मांग की है. माले ने कहा है कि कहीं ना कहीं रेप की घटना को छुपाने के लिए तथ्य को बदला जा रहा है और सुसाइड दिखाया जा रहा है. हम सरकार और जिला प्रशासन से मांग करते हैं कि इस घटना की न्यायिक जांच की जाए, बलात्कारियों व हत्यारों को तत्काल गिरफ्तार कर एसपीडी ट्रायल चलाकर केश की सुनवाई की जाए एवं पीड़ित परिवार को बीस लाख रुपया मुआवजा दिया जाए. बता दें कि 15 जनवरी की रात महिला का फंदे से लटका हुआ शव बरामद हुआ था. घटना की जानकारी मिलने के बाद गोपालगंज एसपी अवधेश दीक्षित, एसडीपीओ प्रांजल और थावे थानाध्यक्ष के साथ डायट पहुंच एसपी ने घटनास्थल का निरीक्षण किया था और मौजूद कर्मियों से पूछताछ की थी.
सौजन्य: लल्लूराम
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