आईआईएम बेंगलुरु के निदेशक, डीन और चार संकाय सदस्यों पर दलित शिक्षक के उत्पीड़न का आरोप
इस साल की शुरुआत में आईआईएम बेंगलुरु के मार्केटिंग के एसोसिएट प्रोफेसर गोपाल दास ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखकर संस्थान में उनके प्रति हो रहे भेदभावपूर्ण व्यवहार के बारे में बताया था. इस पत्र में संस्थान द्वारा उनकी जाति सार्वजनिक करने और उन्हें पदोन्नति देने से इनकार करने की शिकायत भी की गई थी, जिसके बाद राज्य सरकार के डीसीआरई ने इस मामले की जांच की|
नई दिल्ली: कर्नाटक सरकार की एक जांच में देश के प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थान आईआईएम (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट) बेंगलुरु में जातिगत भेदभाव का मामला सामने आया है. संस्थान के एक दलित शिक्षक ने निदेशक ऋषिकेश टी. कृष्णन, डीन दिनेश कुमार और चार संकाय सदस्यों के खिलाफ जाति-आधारित भेदभाव की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसे सरकारी जांच में सही पाया गया है|
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल की शुरुआत में आईआईएम बेंगलुरु के मार्केटिंग के एसोसिएट प्रोफेसर गोपाल दास ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखकर संस्थान में उनके प्रति हो रहे भेदभावपूर्ण व्यवहार के बारे में बताया था. इस पत्र में संस्थान द्वारा उनकी जाति सार्वजनिक करने और उन्हें पदोन्नति देने से इनकार करने की शिकायत भी की गई थी, जिसके बाद राज्य सरकार के डायरेक्टरेट ऑफ सिविल राइट्स एनफोर्समेंट (डीसीआरई) ने इस मामले की जांच की|
शिकायतों के अनुसार, दास को वैकल्पिक पाठ्यक्रम और पीएचडी कार्यक्रमों से हटने के लिए मजबूर किया गया था. उन्होंने आरोप लगाया है कि संस्थान में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों की शिकायत निवारण के लिए परिसर में कोई व्यवस्था नहीं है|
डीसीआरई अपनी जांच में इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि दास को लगातार उत्पीड़न का सामना करना पड़ा क्योंकि संस्थान ने सामूहिक ईमेल में उनकी जाति का खुलासा किया था. 9 दिसंबर, 2024 को राज्य पुलिस विभाग को लिखे एक पत्र में, समाज कल्याण विभाग के आयुक्त राकेश कुमार कृष्ण मूर्ति ने इस मामले में निदेशक, डीन और चार अन्य संकाय सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया है|
पत्र में कहा गया है कि जांच में आईआईएम बेंगलुरू के निदेशक डॉ. ऋषिकेश टी. कृष्णन द्वारा बड़े पैमाने पर ईमेल के माध्यम से याचिकाकर्ता की जाति को जानबूझकर प्रचारित करने और उजागर करने की पुष्टि हुई है|
इसमें आगे कहा गया है कि निदेशक कृष्णन और डीन दिनेश कुमार द्वारा कार्यस्थल पर याचिकाकर्ता को समान अवसर देने से इनकार कर दिया गया है. साथ ही संस्थान में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों की शिकायतों के निवारण के लिए कोई संस्थागत तंत्र न होने की बात भी कही गई है.
मालूम हो कि गोपाल दास सामान्य श्रेणी में योग्यता के माध्यम से अप्रैल 2018 में आईआईएम बेंगलुरु में शामिल हुए थे|
इस मामले में आईआईएम बेंगलुरू की प्रवक्ता कविता कुमार ने टेलीग्राफ को कहा, ‘ गोपाल दास के भेदभाव के आरोप… तभी सामने आए जब कुछ डॉक्टरेट छात्रों द्वारा उनके खिलाफ दर्ज कराई गई उत्पीड़न की शिकायतों के कारण पदोन्नति के लिए उनके आवेदन को रोक दिया गया था. आईआईएम बेंगुलुरू द्वारा की गई एक जांच… जिसमें एक प्रतिष्ठित संस्थान के अनुसूचित वर्ग के एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद् भी शामिल थे, ने पाया कि छात्रों की शिकायतें उचित थीं|
सौजन्य: द वायर