मुरादाबाद प्रशासन के संरक्षण में हरित पट्टी में बना अवैध ‘मंदिर’
मुरादाबाद। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का शहर है मुरादाबाद। इसे पीतलनगरी और शहरे-जिगर के नाम से भी जाना जाता है। इस शहर के मशहूर शायर ‘जिगर मुरादाबादी’ ने कभी कहा था- उनका जो फर्ज है, वो अहले-सियासत जानें। मेरा पैगाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे।
मगर ऐसा लगता है कि मौजूदा दौर में लोग शायर के पैगाम को भूल चुके हैं। मुरादाबाद जिले का हिस्सा रह चुके जिला संभल में इन दिनों सांप्रदायिक तनाव अपने चरम पर है।
बीते 24 नवंबर को पुलिस और आम लोगों के बीच हुए संघर्ष में दो किशोरों समेत पांच लोगों की जान जा चुकी है। इस हिंसा के केंद्र में है एक धार्मिक स्थल यानी एक पुरानी मस्जिद।
लेकिन, मुरादाबाद शहर में एक और धार्मिक स्थल धीरे-धीरे चर्चा के केंद्र में आ रहा है-यह है एक मंदिर। जिसे फिलहाल, आवास विकास परिषद ने अपने सरकारी इबारतों, जिलाधिकारी को लिखे पत्रों में ‘अनधिकृत मंदिर’ की संज्ञा दी है।
दस्तावेजी सुबूत बताते हैं कि वैसे तो इस कथित मंदिर का निर्माण हरित पट्टी और सड़क का अतिक्रमण करके 3 मई, 2023 यानी आज से बमुश्किल बीस महीने शुरू हुआ। जिसका विरोध निर्माण के समय से ही कालोनी के निवासियों द्वारा किया जा रहा है। मगर, इसका नाम रखा गया है- प्राचीन नीलकंठ महादेव मंदिर।
‘इसमें प्राचीन’ शब्द ध्यान देने लायक है। स्थानीय निवासियों ने अधिशासी अभियंता को संबोधित 5 मई, 2024 को दिए एक शिकायत में कहा, ‘’पार्क के पास हरित पट्टी और सड़क को घेर कर कुछ असामाजिक तत्व अवैध निर्माण करा रहे हैं। इस कब्जे को जायज ठहराने के लिए धार्मिक रंग देने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। यह कब्जा देश के स्थापित कानून का खुला उल्लंघन है। इस कृत्य से सामाजिक समरसता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।‘’
शुरू में, कालोनीवासियों की इस अर्जी की अनदेखी आवास विकास परिषद के अधीक्षण अभियंता और अधिशासी अभियंता ने की। इससे परेशान होकर बड़ी संख्या में नागरिकों ने 20 मई, 2023, 22 मई 2023 और फिर 25 मई 2023 को शिकायत की और आवास-विकास परिषद के कार्यालय पर प्रदर्शन किया।
आवास-विकास परिषद की गुहार बनाम जिला प्रशासन की खामोशी
हालांकि, शुरुआती लापरवाही आवास-विकास परिषद की ओर से बरती गई, लेकिन जल्द ही उसे अपनी भूल का एहसास हुआ तो उसने ताबड़तोड़ जिला प्रशासन को पत्र लिखकर इस अवैध निर्माण के लिए पर्याप्त पुलिस बल की मांग की।
परिषद के अधिशासी अभियंता नीरज कुमार ने 23 मई, 2023 को जिलाधिकारी मुरादाबाद को पत्रांक संख्या 712/एपीडी-16/58 में लिखा, ‘आपसे अनुरोध है कि कृपया कानून एवं शांति व्यवस्था के दृष्टिगत मजिस्ट्रेट की तैनाती करने एवं पर्याप्त संख्या में पुलिस बल उपलब्ध कराने के लिए संबंधित को निर्देशित करने का कष्ट करें, ताकि अनधिकृत मंदिर निर्माण को हटाया जा सके।‘ मगर जिला प्रशासन की ओर से अधिशासी अभियंता के इस पत्र पर कोई हरकत नहीं हुई।
हाईकोर्ट में दायर याचिका।
आखिरकार, अधिशासी अभियंता की ओर से फिर 01 जून, 2023 को जिलाधिकारी मुरादाबाद को संबोधित पत्र भेजा गया। इसमें कहा गया, ‘मझोला योजना संख्या-4, भाग-दो मुरादाबाद के सेक्टर सात-बी में स्थित पार्क से लगी हुई ग्रीन बेल्ट की भूमि एवं फुटपाथ पर गीतांजलि पांडे आदि द्वारा 3 मई, 2023 को अतिक्रमण करते हुए, नींव की खुदाई कर मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।
इसे रोकने की कोशिश की गई तो असामाजिक तत्वों ने गोलबंद होकर भीड़ इकट्ठा कर ली और सरकारी काम में बाधा डाली। 7 मई को रात में रविवार को योजनाबद्ध तरीके से छत की ढलाई करा दी गई। इस संबंध में स्थानीय थाना मझोला से विधिक कार्यवाही की मांग की गई।‘’
अधिशासी अभियंता नीरज कुमार ने पत्र में एक बार फिर जिलाधिकारी मुरादाबाद से 14 जून, 2023 को मजिस्ट्रेट तैनात करने और पर्याप्त पुलिस बल की मांग की, ताकि अनधिकृत मंदिर निर्माण को हटाया जा सके। लेकिन प्रशासन उनके इस पत्र का कोई संज्ञान नहीं लिया गया और न ही पुलिस बल आदि की कोई व्यवस्था की गई।
मुरादाबाद से तबादला पाकर कानपुर जा चुके अधिशासी अभियंता नीरज कुमार ने ‘जनचौक’ से मोबाइल पर हुई बातचीत में बताया, ‘जिला प्रशासन ने उनकी कोई मदद नहीं की। अगर शुरू में ही जिला प्रशासन की मदद मिल जाती तो इस अवैध निर्माण को और अवैध कब्जे को रोका जा सकता था।‘
सबसे उल्लेखनीय तथ्य यह है कि आवास-विकास परिषद की ओर से जिलाधिकारी को जो पत्र लिखे गए हैं, उनमें बार-बार ‘असामाजिक तत्व’, ‘हठधर्मिता’, ‘अनधिकृत मंदिर’ आदि का प्रयोग किया गया है।
इतनी याचना के बाद भी जिला प्रशासन की अजगरी नींद सवालों के घेरे में है। बल्कि, शिकायतकर्ताओं ने बताया कि पुलिस ने अवैध निर्माण को ध्वस्त कराने के बजाय पहरा देकर बनवाने में शामिल रही।
उच्चतम न्यायालय का निर्णय और मुख्य सचिव का शासनादेश
अधिशासी अभियंता के पत्र में उच्चतम न्यायालय के फैसले का भी हवाला दिया गया है। इसमें कहा गया है, ‘सार्वजनिक गलियों, मार्ग, सार्वजनिक पार्कों अथवा अन्य सार्वजनिक स्थानों आदि पर मंदिर, चर्च, मस्जिद अथवा गुरुद्वारा आदि के नाम पर कोई भी अनधिकृत निर्माण नहीं किया जाएगा और न ही उसकी अनुमति दी जाएगी।‘
मगर चकित करने वाली बात यह रही कि जिला प्रशासन लगातार शांत बना रहा। इसका लाभ अवैध कब्जा करने वालों को मिला। उन्होंने एक-दो नहीं लगातार कई दिनों तक निर्माण किया।
फिलहाल, वहां अब मंदिर ने आकार ले लिया है और नियमित पूजा-पाठ भी होता है। मंदिर के पुजारी ने पूछने पर बताया कि मंदिर को लेकर कोई विवाद हाईकोर्ट इलाहाबाद में चल रहा है।
उत्तर प्रदेश सरकार किसी अन्य किस्म के अवैध निर्माण के मामले में फौरन से पेशतर जिस तरह बुल्डोजर निकाल लेती है, न जाने क्यों इस मामले में उसका जिला प्रशासन ऐसे गैरकानूनी ‘संरक्षण’ में शामिल रहा।
हाईकोर्ट इलाहाबाद में सुनवाई और जिला प्रशासन का रुख
फिलहाल, इस मामले में मुरादाबाद के एक अधिवक्ता नीरज त्यागी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल करके यह मांग रखी है कि यह कथित मंदिर पूरी तरह से अतिक्रमण करके बनाया गया है और अवैध है, जिसे ध्वस्त किया जाना चाहिए।
जनहित याचिका संख्या 916/2024 की सुनवाई फिलहाल इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की अदालत में चल रही है। इसमें याचिकाकर्ता ने जिला प्रशासन और आवास विकास परिषद उत्तर प्रदेश आदि को प्रतिवादी बनाया है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने जिला प्रशासन वगैरह को 9 सितंबर, 2024 को ‘अंतिम अवसर’ दिया था। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 15 मई, 2024 को जिलाधिकारी मुरादाबाद और थानाध्यक्ष मझोला को साफ तौर पर आदेश दिया कि ‘’उक्त अवैध निर्माण के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करें।‘’
याचिकाकर्ता का आरोप है कि जिला प्रशासन बार-बार मामले को लटकाने के लिए टालमटोल कर रहा है। इस मामले में ताजा सुनवाई बीते 27 नवंबर, 2024 को हुई थी, जिसमें खंडपीठ ने आदेश में लिखा है, ‘हालांकि, अंतिम अवसर दिया जा चुका है और एक बार और 4 नवंबर, 2024 तक कार्यवाही टाली गई है।
अब जैसा कि, स्टेट काउंसिल ने निजी दिक्कत का हवाला दिया है। इसलिए, मामले की अगली सुनवाई आगामी 12 दिसंबर को मुकर्रर की जाती है।‘’
याचिकाकर्ता और कालोनी के शिकायतकर्ताओं ने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से उन पर मुद्दा सुलटाने का दबाव बनाया जा रहा है और थाने आदि में बुलाकर पुलिस अधिकारियों के जरिए तरह-तरह से अप्रत्यक्ष रूप से भयभीत करने की कोशिश भी की जा रही है।
‘जनचौक’ की ओर से इस संबंध में जिला प्रशासन का भी पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन, फिलहाल उसकी तरफ से कोई समुचित उत्तर नहीं मिल सका। अलबत्ता, जिलाधिकारी मुरादाबाद के ओएसडी अतुल प्रकाश ने फोन पर बताया कि इस संबंध में आवास विकास परिषद के अधीक्षण अभियंता से बात की जा सकती है।
उन्हें यह याद दिलाने पर कि जिला प्रशासन का पक्ष, आवास विकास परिषद कैसे दे सकता है, उन्होंने साहब (जिलाधिकारी) से बात कराने की बात की। फिलहाल, जिला प्रशासन के जवाब का ‘जनचौक’ को इंतजार बना रहेगा।
फिलहाल, शिकायतकर्ताओं और अतिक्रमणकारियों, दोनों की निगाहें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आगामी 12 दिसंबर की सुनवाई पर लगी हुई हैं।
सौजन्य: जनचौक
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