दलित लड़की से बलात्कार कर अश्लील वीडियो वायरल करने के जुर्म में अपराधी को उम्रकैद
यूपी के महाराजगंज में एक लड़की से बलात्कार कर अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल करने के जुर्म में एक अपराधी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. विशेष न्यायाधीश (एससी-एसटी एक्ट) संजय मिश्रा ने सोमवार को 34 वर्षीय जालंधर राय को दोषी ठहराते हुए 15 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में एक दलित लड़की से बलात्कार कर अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल करने के जुर्म में एक अपराधी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. विशेष न्यायाधीश (एससी-एसटी एक्ट) संजय मिश्रा ने सोमवार को 34 वर्षीय जालंधर राय को दोषी ठहराते हुए 15 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. ये घटना 11 जनवरी, 2020 को हुई थी.
सहायक जिला सरकारी वकील (एडीजीसी) फणींद्र कुमार त्रिपाठी ने बताया कि आरोपी जालंधर राय पीड़ित लड़की को एक सुनसान जगह पर ले गया. वहां उसे अपनी हवस का शिकार बनाया. अपने इस कृत्य का आपत्तिजनक वीडियो भी बना लिया. इसके बाद उसे सोशल मीडिया पर अपलोड करके वायरल कर दिया. इतना ही नहीं उसने लड़की को जान से मारने की धमकी भी दी.
अभियोजन पक्ष ने बताया कि कुछ दिनों बाद पीड़ित लड़की को अश्लील वीडियो के बारे में पता चला. वीडियो वायरल होने और बदनामी की वजह से वो सदमे में आ गई. इसके बाद उसने निचलौल थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव के बाहर एक पेड़ से लटककर आत्महत्या कर ली. लड़की के पिता ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया.
पीड़िता के पिता की तहरीर के आधार पर आरोपीके खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 506 (धमकी), 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 554 (शीलभंग करने के इरादे से हमला करना) के तहत केस दर्ज किया गया था. इसके साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों भी लगाए गए थे.
एडीजीसी ने बताया कि विशेष न्यायाधीश संजय मिश्रा ने आरोपी को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. न्यायाधीश ने दोषी पर 15 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. उन्होंने कहा, “जुर्माना अदा न करने पर अदालत के आदेश के अनुसार उनकी सजा एक महीने के लिए और बढ़ा दी जाएगी.” अदालत की इस फैसले पर पीड़ित पक्ष ने संतोष जताया है.
सौजन्य: आजतक
नोट: यह समाचार मूल रूप से aajtak.in पर प्रकाशित हुआ है और इसका उपयोग केवल गैर-लाभकारी/गैर-वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए किया गया है, विशेष रूप से मानवाधिकारों के लिए