उत्तराखंड: चमोली के व्यापारियों ने मुस्लिम परिवारों से 31 दिसंबर तक शहर छोड़ने को कहा.
उत्तराखंड के चमोली ज़िले के खानसर क़स्बे में व्यापारियों के एक संगठन ने 15 मुस्लिम परिवारों को 31 दिसंबर तक शहर छोड़ने को कहा है. ऐसा न करने पर क़ानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है.
नई दिल्ली: उत्तराखंड के चमोली जिले के खानसर कस्बे में व्यापारियों के एक संगठन ने 15 मुस्लिम परिवारों को 31 दिसंबर तक शहर छोड़ने के लिए कहने वाला प्रस्ताव पारित किया है. देहरादून से करीब 260 किलोमीटर दूर चमोली में ये परिवार कुछ दशकों से रह रहे हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यह प्रस्ताव बुधवार को खानसर के मैथन बाजार में निकाली गई ‘चेतना’ रैली के बाद व्यापार मंडल की बैठक के दौरान पारित किया गया. सोशल मीडिया में सामने आए एक वीडियो में रैली में शामिल लोगों, जिनमें ज्यादातर स्थानीय व्यापारी हैं, को कथित तौर पर भड़काऊ नारे लगाते हुए देखा जा सकता है.
खानसर घाटी में 11 ग्राम पंचायतें शामिल हैं. पूर्व व्यापारी संगठन के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह, जो अब मैथन सेवा समिति के अध्यक्ष हैं, ने अखबार को बताया कि प्रस्ताव को सर्वसम्मति से निवारक कार्रवाई के रूप में पारित किया गया.
सिंह ने अखबार से कहा, ‘बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि ऐसे सभी परिवारों को 31 दिसंबर से पहले घर छोड़ देना चाहिए. ऐसा न करने पर न केवल इन परिवारों के खिलाफ कानूनी और दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी, बल्कि उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी जो उन्हें अपने घर या प्रतिष्ठान किराए पर देते हैं. ऐसे मकान मालिकों पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा.’
सिंह ने कहा, ‘इसके अलावा खानसर घाटी के गांवों में सभी फेरीवालों के प्रवेश पर रोक लगाने का फैसला किया गया है. अगर कोई फेरीवाला पकड़ा गया तो उस पर 10,000 रुपये का जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जाएगी. ये निर्णय अन्य शहरों में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों द्वारा हिंदू महिलाओं के खिलाफ हुई आपराधिक घटनाओं के चलते, ऐसी कोई घटना यहां होने से रोकने के मद्देनज़र लिए गए हैं.’
हालांकि, अल्पसंख्यक समुदाय के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘हममें से कोई भी कभी किसी आपराधिक घटना में शामिल नहीं रहा. यह कार्रवाई न केवल सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने , बल्कि निहित व्यापारिक स्वार्थ के चलते हमें बेदखल करने की भी कोशिश है.’
उधर, चमोली के एसपी सर्वेश पंवार ने कहा कि पुलिस को ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं है. पंवार ने कहा, ‘हम मामले की जांच करेंगे और जरूरत पड़ने पर उचित कानूनी कार्रवाई करेंगे.’
गौरतलब है कि उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों में कई जगहों पर सांप्रदायिक तनाव देखने को मिला है.
बीते सितंबर में नंदघाट में मुस्लिम दुकानों के खिलाफ हिंसा के बाद हिंदुत्व समूहों ने चमोली जिले के गोपेश्वर शहर में जुलूस निकाला था. उन्होंने कथित तौर पर एक मुस्लिम युवक द्वारा उत्पीड़न के आरोपों के बाद सभी ‘बाहरी लोगों’ का सत्यापन करने की मांग की थी. तब भाजपा के एक पदाधिकारी सहित अल्पसंख्यक समुदाय के कम से कम 10 परिवारों को मौत की धमकियों के बाद भागने पर मजबूर होना पड़ा था.
सितंबर में ही रुद्रप्रयाग जिले के कई गांवों के बाहर साइनबोर्ड लगाकर मुस्लिमों के प्रवेश को वर्जित किया जा रहा था. विश्व हिंदू परिषद के प्रांत संगठन मंत्री (उत्तराखंड) अजय ने द वायर हिंदी से बातचीत में मुसलमानों पर उत्तराखंड की हिंदू महिलाओं को फंसाकर ले भागने का आरोप लगाया था. उनका मानना था कि उनका संगठन हिंदुओं को जगाने का काम कर रहा है.
इससे पहले मार्च महीने में धारचूला शहर में व्यापारियों के एक संगठन ने 91 दुकानों का पंजीयन रद्द कर दिया था जो ज्यादातर मुसलमानों द्वारा चलाई जाती थीं, क्योंकि कथित तौर पर शहर में एक नाई की दुकान पर काम करने वाला मुस्लिम युवक दो नाबालिग हिंदू लड़कियों के साथ भाग गया था.
जून 2023 में कथित तौर पर एक अंतर-धार्मिक जोड़े के भागने की कोशिश के बाद मुसलमानों को उत्तरकाशी के पुरोला शहर छोड़कर जाने की धमकी देने वाले पोस्टर चिपकाए थे.
सौजन्य: द वायर
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