मध्यप्रदेश के कई इलाकों में आज भी व्याप्त है छुआछूत की प्रथा, समाज का एक बड़ा हिस्सा कर रहा भेदभाव का सामना
कहने को आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं,हैं लेकिन आज भी हमारे बीच जा ति वा द और छुआछूत जैसी बुरा इयां व्याप्त हैं। इसका एक उदा हरण मध्य प्रदेश के सीहोर जिले से सामने आया है। दरअसल, यहां दलित लोगों को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता और न ही उन्हें ट्यूबवेल से पानी लेने दि या जाता है। यहां के लोग इस भेदभाव से इतने तंग आ चुके हैं कि उन्होंने अपना अलग मंदिर बना लिया है। आइए आपको बता ते हैं क्या है पूरा मामला ।
दलित घरों में पुजारी भी नहीं आता
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के पास खेरी गांव है। यह गां व 150 घरों की बस्ती से बना है, लेकिन इस छोटे से गां व में दलितों के साथ बहुत ज्यादा भेदभा व किया जाता है। गांव वालों का कहना है कि उन्हें मंदिर में जा ने की इजाजत नहीं है। पुजारी भी उनके घर नहीं आते। मंदिर में भी उन्हें बाहर से ही भगवान के दर्शन करने पड़ते हैं। दलित ग्रामीणों के सा थ इस हद तक भेदभा व किया जा रहा है कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पट्टे भी आवंटित नहीं किए जा रहे हैं। उनके घर की हालत इस कदर हो गई हैं कि अब उनके बच्चों के लिए शा दी के रि श्ते भी गां व में आने बंद हो गए हैं। इस बस्ती के दलित लोगों के साथ हर कदम पर भेदभाव किया जा रहा है।
ग्रा मी णों ने सुना ई आपबीती
बीबीसी से बा त करते हुए गां व के दलित लादेव सिं ह जांगड़ा कहते हैं कि जब से पैदा हुए हैं, तब से उन्हें “इस भेदभा व” का सामना करना पड़ रहा है और “अभी भी ” उन्हें इसका सामना करना पड़ रहा है। वे कहते हैं, “हमारे पास कोई मंदिर नहीं है। ना ही कभी था । उनके (दूसरे समुदा यों के) पा स मंदि र हैं।”
बनाया अलग मंदिर
यह सिर्फ़ खेरी गांव का मामला नहीं है। चांदबढ़ में भी यही स्थिति है। चां दबढ़ सीहो रजिला मुख्यालय के पा स का इलाका है, जहां दलितों की अच्छी खासी आबादी है। यहां के लोगों का आरोप है कि भेदभा व के चलते अब उन्होंने अपने समुदाय के लिए अलग मंदिर बना लिया है,है ताकि कोई उन्हें मंदि र जाने से न रोके।
पानी को लेकर भी भेदभाव्
इस कॉलोनी के बाहर सड़क के किनारे एक हैंडपंप है, जहां से कॉलोनी की महिलाएं पानी भरती हैं। कॉलोनी के लोगों का कहना है कि यह हैंडपंप ही पानी का एकमात्र साधन है,क्योंकि उनका आरोप है कि गांव में जो पानी का कनेक्शन आया है,है उससे उनकी कॉलोनी में पानी नहीं आता । ग्रा मी णों का कहना है कि पानी का कनेक्शन देने के नाम पर उनसे पैसे भी लिए गए। लेकिन उनका आरोप है कि गांव में जो पानी की टंकी है, उससे उनकी कॉलोनी में पानी नहीं आता । उनका आरोप है कि ऐसा भी भेदभाव की वजह से हो रहा है।
सौजन्य:नेडरिक
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