45 साल पहले दलित किसान के खेत में बना दिया बांध, रिकॉर्ड किसी के पास नहीं
नागौर. जिले के बड़ीखाटू कस्बे में चुंगी चौकी से कचरास जाने वाले मार्ग पर एक खेत बरसात के पानी में डूब गया। इस खेत में वर्षो से एक दलित परिवार ढाणी में निवास करता है। यह खेत पानी से पहली बार नहीं डूबा बल्कि पिछले 40 वर्ष से दलित परिवार को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पत्रिका ने इस दलित परिवार की पीड़ा हर वर्ष गम्भीरता से उठाया है।
एसडीएम की जांच में सिंचाई विभाग और पंचायत बनी अंजान
– खेत बचाने को प्रशासन से लगा रहा गुहार, नहीं मिला न्याय
-बरसात के पानी में हर साल डूब जाता है खेत, निकलने का रास्ता नहीं
नागौर जिले के बड़ीखाटू कस्बे में चुंगी चौकी से कचरास जाने वाले मार्ग पर एक खेत बरसात के पानी में डूब गया। इस खेत में वर्षो से एक दलित परिवार ढाणी में निवास करता है। यह खेत पानी से पहली बार नहीं डूबा बल्कि पिछले 40 वर्ष से दलित परिवार को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पत्रिका ने इस दलित परिवार की पीड़ा हर वर्ष गम्भीरता से उठाया है।
नहींं कर सके बांध बनाने का विरोध
पहाड़ी क्षेत्र का पानी रोकने के लिए कचरास स्थित एक बांध का निर्माण करवाया गया। उस समय दलित परिवार की आर्थिक स्थिति व हालात बहुत खराब थे तो बांध का विरोध भी नही कर सके। किसान राजूराम मेघवाल की 85 वर्षीय दादी ने बताया कि उसका खेत हर वर्ष पानी से भर जाता है । रहवासी ढाणी भी डूब जाती है। ढाणी से सड़क मार्ग तक निकलने के लिए रास्ता बंद हो जाता है। हर वर्ष पूरी फसल नष्ट हो जाती है। प्रशासन से हमने कई बार गुहार लगाई, लेकिन अब तक न्याय नहीं मिला।
दो वर्ष पहले पत्रिका की खबर के बाद अलर्ट हुआ था प्रशासन
दो वर्ष पहले इस परिवार का खेत पानी से डूब गया था। पत्रिका ने खबर प्रकाशित की तो तत्कालीन उपखंड अधिकारी रविन्द्र कुमार व पटवारी मनोज झाजडा सहित प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे।उसके बाद उपखंड अधिकारी ने दलित परिवार को न्याय दिलाने के लिए बांध की रिपोर्ट सिंचाई विभाग से मांगी। सिंचाई विभाग मेड़ता के अधिकारी मौके पर पहुंचे।उन्होंने रिपोर्ट में बताया कि इस बांध का निर्माण सिंचाई विभाग ने नहीं किया। यह कार्य पंचायत समिति का होने की संभवना जताई। लेकिन वहां भी इस बांध का कोई रिकॉर्ड नही मिला। उपखंड अधिकारी ने प्रयास लगातार जारी रखा पर बांध का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। कुछ समय बाद उपखंड अधिकारी का स्थानांतरण हो गया। मामला फिर वही का वही रह गया। इतना ही नहीं पिछले कई वर्षों में यहां कई उपखंड अधिकारी व प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे पर आज तक किसी भी अधिकारी ने इस परिवार की परेशानी को दूर नहीं किया। पानी खाली करने के लिए लगाए हुए है गेट इस बांध को खाली करने के लिए दो गेट का निर्माण किया गया है। दो वर्ष पहले प्रशासनिक अधिकारियों ने तत्कालीन पटवारी मनोज जाजडा को जांच के लिए भेजा था जांच में दोनों गेट डिमेज पाए गए।
42 वर्ष से न्याय मांग रहा है परिवार
किसान राजूराम ने बताया की पिछले 42 वर्ष में मेरे दादा व पिता और अब में लगातार न्याय की मांग कर रहा हूं। प्रशासनिक अधिकारी आते हैं मुआवजा का बोलकर चले जाते हैं। न आज तक कोई मुआवजा मिला और न ही न्याय मिला। खेत फिर से पानी से डूब गया।
सौजन्य: पत्रिका
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