बिहार में किस वोट बैंक पर लगी है कांग्रेस की नजर, राहुल गांधी ने बता दिया, RJD को होगी टेंशन?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी बिहार पहुंचे। उन्होंने बेगूसराय में कन्हैया कुमार की यात्रा में भाग लिया। पटना में ‘संविधान सम्मान सम्मेलन’ में भी शामिल हुए। कांग्रेस बिहार में अपना आधार मजबूत करने की कोशिश कर रही है। उसने प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी बदले हैं। दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों पर कांग्रेस की नजर है। राजद के साथ मनमुटाव की आशंका है।
Curated by सुधेंद्र प्रताप सिंह
- राहुल गांधी की बिहार यात्रा से पार्टी को नई ऊर्जा मिलने की उम्मीद
- कांग्रेस ने दलित और युवा वोट बैंक को साधने की बनाई रणनीति
- राजद से रिश्तों में तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है
राहुल गांधी की नजर इस बार दलित, पिछड़े और मुस्लिम वोट बैंक पर लगी हुई है।
पटना: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए कांग्रेस पार्टी अपनी खोई हुई ज़मीन वापस पाने की पुरज़ोर कोशिशों में जुट गई है। इसी कड़ी में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राज्य का दौरा किया और बेगूसराय में कन्हैया कुमार की ‘पलायन रोको, नौकरी दो यात्रा’ में हिस्सा लिया। यह उनकी तीन महीनों में तीसरी बिहार यात्रा थी, जो पार्टी के लिए बेहद अहम मानी जा रही है। राहुल गांधी की इस यात्रा से पहले ही बिहार कांग्रेस में अहम बदलाव किया गया था। कांग्रेस ने बिहार संगठन में बड़ा बदलाव करते हुए दलित समुदाय से आने वाले विधायक राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया था। इसके साथ ही जिला संगठन में बदलाव किया गया था। पार्टी की यह सारी कवायद बिहार में सामाजिक संतुलन साधना और वोट बैंक को व्यापक बनाने के लिए मानी जा रही है।
कन्हैया कुमार की सक्रियता से युवा वोट बैंक पर फोकस
कांग्रेस ने छात्र राजनीति से आए कन्हैया कुमार को युवाओं के बीच सक्रिय कर बिहार में नई ऊर्जा भरने की कोशिश की है। राहुल गांधी ने खुद बेगूसराय जाकर उनकी यात्रा में भाग लेकर स्पष्ट संकेत दिया कि पार्टी कन्हैया को अहम भूमिका में देख रही है। कांग्रेस संभवतः उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट दे सकती है, उनके युवा और सामाजिक पहचान को ध्यान में रखते हुए।
कांग्रेस की नजर दलित, पिछड़ा और मुस्लिम वर्ग पर टिकी
कांग्रेस बिहार में दलित, अति पिछड़ा और मुस्लिम समुदाय को अपने पक्ष में करने की रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी संविधान और आरक्षण के मुद्दे को प्रमुखता से उठा रही है, जिससे इन वर्गों को यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि उनके अधिकारों की रक्षा सिर्फ कांग्रेस ही कर सकती है। पटना में कार्यकर्ताओं के संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने बिहार टीम को साफ संदेश दे दिया।
मैंने बिहार की टीम को साफ बता दिया है कि आपका काम बिहार के गरीबों का नेतृत्व करना है। आपको गरीबों, दलितों को आगे बढ़ाना है। हम आपको राजनीति में लाकर बिहार का चेहरा बदलना चाहते हैं।
राजद से रिश्तों में दरार की संभावना
कांग्रेस की यह रणनीति महागठबंधन के प्रमुख घटक राजद से रिश्तों में तनाव ला सकती है। क्योंकि राजद भी इन्हीं वर्गों को अपने परंपरागत वोट बैंक के रूप में देखता है। कांग्रेस अब बिहार में ‘जूनियर पार्टनर’ की छवि से बाहर निकलने की कोशिश में है, जिससे दोनों दलों के बीच मनमुटाव की आशंका बढ़ गई है।
कांग्रेस की नजर अति पिछड़ा वर्ग पर?
कांग्रेस ने संविधान सम्मान सम्मेलन के ज़रिए अति पिछड़े वर्गों को इतिहास में उनकी उपेक्षित भूमिका के लिए सम्मान देने का फैसला लिया है। इसमें स्वतंत्रता सेनानी बुद्धू नोनिया जैसे नेताओं को याद कर यह वर्गीय पहचान की राजनीति को मजबूत करने की कोशिश की जा रही है।
रणनीति के केंद्र में युवाओं और संवैधानिक मुद्दों का सहारा
राहुल गांधी का नारा- ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ युवाओं को कांग्रेस की ओर आकर्षित करने का प्रयास है। वहीं वक्फ बिल का विरोध कर पार्टी मुस्लिम समुदाय को भरोसे में लेने की कोशिश कर रही है। माना जा रहा है कि जिस वोट बैंक को साधने की कोशिश कांग्रेस कर रही है, उससे तेजस्वी और लालू यादव से मनमुटाव बढ़ सकता है।
लेखक के बारे में
सुधेंद्र प्रताप सिंह
नवभारत टाइम्स डिजिटल में सीनियर डिजिटल कंटेंट प्रोड्यूसर। पत्रकारिता में लोकल न्यूज पेपर अग्रभारत से सफर की शुरुआत की। यहां से कारवां बढ़ता हुआ कल्पतरू एक्सप्रेस, हिंदुस्तान न्यूज पेपर, न्यूज18 होते हुए एनबीटी.कॉम में पहुंचा।
साभार : नव भारत टाइम्स