GROUND REPORT: मौत के साए में जी रहें दलित छात्र, दुर्घटना कभी भी दे सकती है न्योता, बेहद दयनीय है जर्जर भवन की स्थिति
पलामू जिले के मेदिनीनगर बाईपास रोड स्थित राजकीय अनुसूचित जाति कल्याण छात्रावास की हालत इतनी खराब है कि यहां रह रहे 400 से अधिक छात्र हर पल दुर्घटनाओं के खतरे के बीच जी रहे हैं|
सरकार दलित समुदाय को शिक्षा और बेहतर जीवन देने के लिए योजनाएं तो चला रही है, लेकिन ज़मीनी सच्चाई कुछ और ही कहानी बयां करती है. पलामू जिले के मेदिनीनगर बाईपास रोड स्थित राजकीय अनुसूचित जाति कल्याण छात्रावास की हालत इतनी खराब है कि यहां रह रहे 400 से अधिक छात्र हर पल दुर्घटनाओं के खतरे के बीच जी रहे हैं|
जर्जर भवन और बुनियादी सुविधाओं की कमी
यह छात्रावास तीन जिलों—पलामू, गढ़वा और लातेहार के छात्रों के लिए आवास है. छात्रावास में 100 कमरों की व्यवस्था है, लेकिन जर्जर भवन की स्थिति बेहद दयनीय है. बरसात के समय छत से पानी टपकता है, और दीवारों की हालत ऐसी है कि वे कभी भी गिर सकती हैं. दरवाजे और खिड़कियां टूट चुकी हैं.
सुविधाओं का अभाव: 400 छात्रों के लिए मात्र 5 बाथरूम हैं, जिनमें से सिर्फ 3 ही उपयोगी हैं. बिजली और पानी की नियमित समस्या ने छात्रों का जीवन और भी कठिन बना दिया है|
छात्रों की व्यथा
12वीं के छात्र शुभम कुमार ने बताया कि वे रात के समय छत गिरने के डर से सोते हैं. टूटे हुए छत को संभालने के लिए कपड़ा बांधकर किसी तरह गुजारा करते हैं. एक कमरे में 2-3 छात्रों को एक साथ रहना पड़ता है|
सुमंत कुमार, जो यहां पिछले 4-5 सालों से रह रहे हैं, कहते हैं कि उन्होंने इस छात्रावास की स्थिति में कभी कोई सुधार नहीं देखा. छात्रावास के कई कमरे तो अब पूरी तरह से खाली हो चुके हैं क्योंकि वे रहने लायक नहीं रहे. बाथरूम के लिए सुबह लंबी कतारें लगती हैं, जिससे कई बार छात्रों की कक्षाएं छूट जाती हैं|
भविष्य की उम्मीद: 26 करोड़ की लागत से बनेगा मॉडल छात्रावास
छात्रावास अधीक्षक प्रोफेसर अजय राम ने स्वीकार किया कि वर्तमान स्थिति बेहद खराब है. उन्होंने बताया कि यहां रहने वाले छात्रों के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस एक सात मंजिला मॉडल छात्रावास के निर्माण की योजना तैयार है. इस परियोजना की लागत 26 करोड़ रुपये आंकी गई है. नए भवन में 500 से अधिक छात्रों के रहने की व्यवस्था होगी|
कंडम घोषित भवन
इस छात्रावास का निर्माण तीन चरणों में हुआ था, पहला भवन 1954 में बनाया गया था. इसके बाद विस्तार किया गया, और 300 छात्रों के लिए आवासीय सुविधा तैयार की गई. वर्तमान में छात्रावास के कई भवन, जैसे पीजी लॉज, बॉयज लॉज, और जगजीवन राम लॉज, कंडम घोषित कर दिए गए हैं और इन्हें गिराकर नए भवन बनाए जाएंगे.
शिक्षा के अधिकार पर सवाल
यह स्थिति बताती है कि सरकार की योजनाएं जमीनी स्तर पर किस हद तक असफल हो रही हैं. 400 छात्रों के लिए एक ऐसा छात्रावास जहां दुर्घटनाओं का खतरा हर समय बना रहता है, शिक्षा के अधिकार और छात्रों की सुरक्षा पर सवाल खड़े करता है|
सौजन्य:न्यूज़ 18
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