युनिवर्सिटी में जातिवाद के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
विश्वविद्यालयों में एससी-एसटी युवाओं के साथ होने वाले जातिवाद पर सुप्रीम कोर्ट में बहस करते हुए वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि- 2004 से अब तक आईआईटी और अन्य संस्थानों में 50 से अधिक छात्रों ने आत्महत्या की थी। इनमें ज्यादातर एससी-एसटी छात्र हैं।
17 जनवरी 2016 को रोहित वेमुला की आत्महत्या, जिसे सांस्थानिक हत्या कहा गया और 22 मई 2019 को पायल तडवी की आत्महत्या ने बड़े शिक्षण संस्थानों में दलित और आदिवासी छात्रों के साथ जातिवाद पर बड़ी बहस शुरू हो गई। रोहित वेमुला और पायल तड़वी की आत्म हत्या सुर्खियों में रहा था। उनकी माताओं ने उच्च शिक्षण संस्थान में जातिगत भेदभाव की शिकायत करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। इसको लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने 3 जनवरी 2025 को यूजीसी से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जवल भुइयां की पीठ ने इस बारे में अहम निर्देश दिये हैं। साथ ही कहा है कि वह देश भर के शैक्षणिक संस्थानों में जातिवाद से निपटने के लिए एक प्रभावी तंत्र तैयार करेगा।
विश्वविद्यालयों में एससी-एसटी युवाओं के साथ होने वाले जातिवाद पर सुप्रीम कोर्ट में बहस करते हुए वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि- 2004 से अब तक आईआईटी और अन्य संस्थानों में 50 से अधिक छात्रों ने आत्महत्या की थी। इनमें ज्यादातर एससी-एसटी छात्र हैं। युनिवर्सिटी में जातिवाद के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, डॉ. विक्रम हरिजन ने दलित दस्तक के संपादक अशोक दास से बातचीत में इसको लेकर तमाम सवाल उठाएं हैं।
सौजन्य: दलित दस्तक
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