‘आधार कार्ड उम्र का प्रमाण नहीं है’, मजदूर की मौत वाली याचिका पर एमपी हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
MP News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट के जज ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि आधार केवल एक पहचान पत्र है। आधार कार्ड का उपयोग आयु प्रमाणित करने जैसे किसी भी उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने फरियादी का मुकदमा रद्द कर दिया।
MP News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि आधार कार्ड सिर्फ पहचान के लिए है। आधार कार्ड से उम्र साबित नहीं की जा सकती। जस्टिस जी एस अहलूवालिया ने यह फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि इस बारे में राज्य के मुख्य सचिव को सूचित किया जाए।
दरअसल, मामला नरसिंहपुर जिले की सुनीता साहू का है। उनके पति मोहन लाल साहू की बिजली का करंट लगने से मौत हो गई थी। सुनीता ने राज्य सरकार की संबल योजना के तहत मदद मांगी थी। बाबई चीचली की जनपद पंचायत ने उनका आवेदन खारिज कर दिया। क्योंकि साहू के आधार कार्ड में उम्र 64 साल से कम थी, जबकि बाकी सभी दस्तावेजों में 64 साल से ज़्यादा थी।
अधिसूचना में स्पष्ट किया
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस पर गौर किया। UIDAI ने अगस्त 2023 में एक अधिसूचना में स्पष्ट किया था कि आधार केवल पहचान स्थापित करने के लिए है। इसका उपयोग आयु प्रमाण पत्र या किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट और कई अन्य अदालतों ने भी यही कहा है।
कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
अदालत ने सुनीता की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि संबल योजना के तहत मजदूरों के परिवार को अप्राकृतिक मृत्यु होने पर आर्थिक मदद दी जाती है। यह मदद एक खास आयु वर्ग के लोगों के लिए होती है। साहू की उम्र आधार कार्ड से तय नहीं की जा सकती। कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड केवल एक पहचान पत्र है। इसका उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने अपने आदेश की कॉपी राज्य के मुख्य सचिव को भेजने को कहा है। ताकि जिलाधिकारियों को इस बारे में निर्देश जारी किए जा सकें।
सौजन्य :नवभारत टाइम्स
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