राजस्थान: दलित परिवार को अंतिम संस्कार करने से रोका, उन पर हमला किया
स्थानीय रावत समुदाय के सदस्यों ने अंतिम संस्कार को रोकने की कोशिश की। रावत समुदाय के करीब 50 से 100 लोग जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं वे वहां पहुंचे और पत्थरबाजी शुरू कर दी।
राजस्थान के राजसमंद जिले के देव डूंगरी गांव में जाति-आधारित भेदभाव की एक घटना सामने आई है जहां अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय के सालवी परिवार को अंतिम संस्कार समारोह के दौरान विरोध का सामना करना पड़ा। परिवार घीसा राम का अंतिम संस्कार करने जा रहा था, जिनका 31 अक्टूबर को निधन हो गया था। दफनाने का ये काम ग्रामीण प्रशासन द्वारा आवंटित श्मशान भूमि पर होना था।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय रावत समुदाय के सदस्यों ने अंतिम संस्कार को रोकने की कोशिश की। रावत समुदाय के करीब 50 से 100 लोग जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं वे वहां पहुंचे और पत्थरबाजी शुरू कर दी। उन्होंने कब्र खोदने के लिए इस्तेमाल की जा रही जेसीबी मशीन के शीशे तोड़ दिए और ड्राइवर पर हमला कर दिया। सालवी समुदाय के सदस्यों पर जाति-आधारित अपशब्द भी बोले गए।
मृतक के बेटे गंगा राम ने द मूकनायक को बताया, “उन्होंने हमसे कहा, ‘तुम जैसी निचली जाति के लोग हमारी जमीन पर अंतिम संस्कार नहीं कर सकते।'”
इस दौरान सालवी परिवार को धमकाया गया और उन्हें इलाका छोड़ने के लिए कहा गया। गंगा राम ने यह भी कहा कि रावत समुदाय के सदस्य उन्हें श्मशान भूमि का इस्तेमाल करने से रोक रहे थे और अनुसूचित जाति की महिलाओं को स्थानीय कार्य स्थलों और दुकानों पर जाने से रोक रहे थे। गंगा राम ने कहा, “उन्होंने हमें इलाके की दुकानों से सामान खरीदने से भी रोक दिया।”
गांव में महीनों से तनाव बढ़ रहा है। गांव के प्रशासन ने सालवी समुदाय को श्मशान भूमि के रूप में चरागाह भूमि आवंटित की थी। इससे पहले, अनुसूचित जाति समुदाय अपने मृतकों को निजी स्वामित्व वाली भूमि पर दफनाते थे, लेकिन मानसून के दौरान अक्सर यह भूमि जलमग्न हो जाती थी। आवंटन के बावजूद रावत समुदाय इस भूमि के इस्तेमाल का विरोध कर रहा है।
गांव के सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी वीरम राम ने कहा, “रावत समुदाय बड़ा है और अधिक प्रभावशाली है। उन्होंने शुरू से ही इस श्मशान भूमि का विरोध किया। उन्होंने जाति के आधार पर मनरेगा मस्टर रोल भी अलग कर दिए हैं।
इस घटना की जानकारी पुलिस को दी गई। भीम पुलिस स्टेशन के प्रभारी और डिप्टी एसपी ने अंतिम संस्कार कराने के लिए पुलिस बल के साथ पहुंचे। गंगा राम ने 22 नामजद लोगों और कई अन्य लोगों पर जाति-आधारित दुर्व्यवहार, धमकी और हमले का आरोप लगाते हुए एक प्राथमिकी दर्ज की। प्राथमिकी में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत आरोप शामिल हैं।
दलित अधिकार कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी ने इस घटना की निंदा की और इसे राजस्थान में गहरी जड़ें जमाए हुए जातिगत भेदभाव का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा, “यह घटना बताती है कि कैसे हाशिए के समुदायों को अभी भी बुनियादी सामाजिक और धार्मिक अधिकारों से वंचित रखा जाता है।”
मेघवंशी ने कहा कि भीम में कार्यकर्ता जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपने की योजना बना रहे हैं, जिसमें इस मामले में उनके हस्तक्षेप की मांग की जाएगी।
ज्ञात हो कि दलितों के साथ सामाजिक भेदभाव का यह कोई पहला मामला नहीं है। इसी साल सितंबर महीने में तेलंगाना के मंचेरियल जिले के मंडमरी मंडल में कथित भूमि विवाद को लेकर कुछ लोगों ने एक दलित परिवार को अपने रिश्तेदार का अंतिम संस्कार करने से रोक दिया था।
स्थानीय लोगों के अनुसार, बुरदागुडेम गांव के निवासी नेथाकनी परिवार के सदस्य अपने एक रिश्तेदार का शव दाह संस्कार के लिए लेकर आए थे। उनका दावा था कि कलवकुंतला माधव राव नामक व्यक्ति ने करीब 80 साल पहले दलित समुदाय को श्मशान घाट बनाने के लिए जमीन दान की थी। हालांकि, एन उपेंद्र गौड़ और वेंकटेश गौड़ ने अपने साथियों के साथ मिलकर दावा किया कि उन्होंने जमीन खरीदी थी और दुर्गम शंकर और उनके बेटे श्रीनिवास को दाह संस्कार करने से रोका। बाद में, पुलिस और राजस्व अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद अंतिम संस्कार किया गया।
सौजन्य :सबरंग इंडिया
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