मणिपुर हिंसा के पीड़ितों को गृह मंत्रालय से अभी तक पूरा मुआवजा नहीं मिला: आरटीआई
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा करते हुए हिंसा में जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिजनों को 10 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने का वादा किया था। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, इसके लिए पर्याप्त राशि जारी नहीं हुई है।
पिछले साल के अंत में जातीय संघर्ष के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने इंफाल का दौरा कर पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने का वादा किया था। अब आरटीआई के जवाब से ये बात सामने आई है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अभी तक इसके लिए पर्याप्त धनराशि जारी नहीं की है।
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, अपने दौरे के दौरान शाह ने अपने-अपने क्षेत्रों में मेईतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के नागरिक समाज संगठनों से मुलाकात की थी और 1 जून 2023 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें उन्होंने कई घोषणाएं कीं थी। ऐसा ही एक वादा हिंसा में जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिजनों को कुल 10 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देना था।
उन्होंने दौरे के दौरान कहा था, ‘हिंसा में जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिजनों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से 10 लाख रुपये (मणिपुर सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से 5-5 लाख रुपये) की राशि प्रदान की जाएगी।’
सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में द वायर को पता चला है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मणिपुर को वित्तीय सहायता के रूप में 7.35 करोड़ रुपये जारी किए हैं।
ताजा आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 3 मई 2023 से अब तक राज्य में 226 लोगों की मौत हो चुकी है। इसका मतलब है कि इन परिवारों को मुआवजा देने के लिए 11.30 करोड़ रुपये जारी किए जाने चाहिए थे। इस प्रकार गृह मंत्रालय द्वारा 3.95 करोड़ रुपये अभी भी दिए जाने बाकी हैं।
द वायर ने इस अंतर के बारे में अधिक जानकारी के लिए मणिपुर सरकार से भी संपर्क किया, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।
शाह के अधीन केंद्रीय मंत्रालय द्वारा जारी की गई राशि 7.35 करोड़ रुपये से 226 में से 147 परिवारों को 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जा सकेगा।
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा दिए गए आरटीआई जवाब से यह भी पता चलता है कि गृह मंत्रालय द्वारा मणिपुर के लोगों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता, नागरिक पीड़ितों/आतंकवादी/सांप्रदायिक/वामपंथी उग्रवाद के पीड़ितों के परिवारों को सहायता के लिए केंद्रीय योजना (सीएसएसीवी) के अंतर्गत है।
यह योजना आतंकवादी या सांप्रदायिक हिंसा, वामपंथी उग्रवाद, साथ ही भारतीय क्षेत्र में सीमा पार से गोलीबारी और बारूदी सुरंग या आईईडी विस्फोटों से जुड़ी घटनाओं में नागरिक पीड़ितों की मृत्यु या स्थायी रूप से अक्षम होने की स्थिति में परिवार के सदस्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। सहायता आम तौर पर जीवित पति या पत्नी को दी जाती है, या यदि दोनों पति या पत्नी एक ही घटना में मारे जाते हैं, तो पूरे परिवार को दी जाती है। न तो गृह मंत्री अमित शाह और न ही मणिपुर सरकार ने सार्वजनिक रूप से उल्लेख किया है कि मुआवज़ा सीएसएसीवी योजना का हिस्सा है।
1 जून को गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस नोट, जो प्रेस सूचना ब्यूरो की वेबसाइट पर उपलब्ध है, में भी सीएसएसीवी योजना का कोई उल्लेख नहीं है।
ज्ञात हो कि जून 2023 को अपने दौरे के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने हिंसा प्रभावित क्षेत्र में ऑनलाइन शिक्षा के लिए एक योजना तैयार करने का भी वादा किया था हालांकि, इसका कार्यान्वयन का अभी भी स्पष्ट नहीं है। अपनी पढ़ाई के लिए इंफाल जाने में असमर्थ कई कुकी छात्रों ने शहर के बाहर दाखिले की मांग की है, जहां केरल का कन्नूर विश्वविद्यालय अशांति के कारण विस्थापित कुकी छात्रों का स्वागत करने वाला पहला विश्वविद्यालय बना है।
इसके अलावा, शाह ने मणिपुर की तत्कालीन राज्यपाल अनुसुइया उइके की अध्यक्षता में एक शांति समिति की स्थापना की घोषणा की थी। इस समिति में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह सहित सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, साथ ही कुकी और मेईतेई समुदायों और विभिन्न सामाजिक संगठनों के सदस्य शामिल थे।
हालांकि, बाद में कई लोगों ने शांति समिति छोड़ दी। उन्होंने पैनल में बीरेन सिंह की मौजूदगी में काम करने में अनिच्छा जाहिर की।
शाह ने मेडिकल सहायता का भी वादा किया था। उन्होंने विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों के लिए डॉक्टर उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता जताई थी जहां लोगों को तत्काल इलाज में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। स्थानीय अस्पतालों की कमी के कारण कई लोगों को इलाज के लिए दूसरे राज्यों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है और मणिपुर में कम से कम 35 लोगों की इमर्जेंसी के कारण मौत हो चुकी है।
बता दें कि 3 मई, 2023 को कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच हिंसा शुरू होने के बाद से गत 543 दिनों में 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं।
सौजन्य :सबरंग
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