मंगलुरु : दलित नेताओं ने जातिगत भेदभाव वाले शब्दों के इस्तेमाल पर कार्रवाई की मांग की
जाति-संबंधी भाषा पर प्रतिबंध लगाने के सुप्रीम कोर्ट और सरकार के निर्देशों के बावजूद, वरिष्ठ नागरिकों की उपस्थिति में सार्वजनिक रूप से इस तरह के शब्द का इस्तेमाल किया गया, जिससे दलित समुदाय का अपमान हुआ।
दलित नेता एसपी आनंद ने 24 अगस्त को कुडमल रंगा राव टाउन हॉल में आयोजित तुलु लोक नृत्य कार्यक्रम के दौरान दलित समुदाय के खिलाफ अपमानजनक जाति-संबंधी शब्द के कथित इस्तेमाल पर चिंता जताई।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को शहर के पुलिस आयुक्त कार्यालय में आयोजित मासिक एससी/एसटी बैठक के दौरान, उन्होंने जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की। जाति-संबंधी भाषा पर प्रतिबंध लगाने के सुप्रीम कोर्ट और सरकार के निर्देशों के बावजूद, वरिष्ठ नागरिकों की उपस्थिति में सार्वजनिक रूप से इस तरह के शब्द का इस्तेमाल किया गया, जिससे दलित समुदाय का अपमान हुआ।
आनंद ने असंतोष जाहिर करते हुए वीडियो साझा किए और तत्काल कार्रवाई का आग्रह करते हुए एक शिकायत पेस की। उन्होंने कहा कि 10 साल पहले भी इसी तरह की घटना की सूचना मिली थी और आरोपी को गिरफ्तार किया गया था।
बैठक की अध्यक्षता करने वाले पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) सिद्धार्थ गोयल और बीपी दिनेश कुमार ने आश्वासन दिया कि वे कानूनी सलाह लेंगे और उचित कदम उठाएंगे।
समुदाय के नेताओं ने मुल्की पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध रेत निकासी का भी आरोप लगाया, जिसमें शिकायतों के बावजूद रोजाना लगभग 20 ट्रक रेत का निकाला जा रहा है। रामचंद्र मुल्की ने कहा कि बालू का यह परिवहन दलित बस्ती के पास ही होता है। एसीपी उत्तरी उपखंड श्रीकांत ने बताया कि इस गतिविधि पर कार्रवाई करते हुए हाल ही में चार नावों और ट्रकों को जब्त किया गया है। हालांकि, दलित नेता सदाशिव उर्वस्तोरे ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि इलाके में पुलिस की मौजूदगी के बावजूद अवैध बालू का निकासी जारी है।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अधिकारी प्रभावी कार्रवाई नहीं करते हैं तो ये समुदाय शिकायत दर्ज करना बंद कर सकता है। साथ ही, छात्रावास सुविधाओं की कमी कथित तौर पर उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले दलित छात्रों को प्रभावित कर रही है। एक छात्र जिसने पिछले साल आवेदन किया था और उसने इस साल फिर से आवेदन किया वह छात्रावास के बिना अब एक निजी पेइंग गेस्ट में रह रहा है जिसके लिए करीब 6,000 रुपये प्रति माह देने पड़ रहे हैं।
आनंद ने दलित शिक्षा के लिए सरकारी फंडिंग की प्रभावशीलता पर सवाल उठाया, अगर योग्य छात्रों को ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। डीसीपी ने आश्वासन दिया कि मामले को संबंधित विभाग के ध्यान में लाया जाएगा।
गंजीमट मूडा पेरारा गांव में महालक्ष्मी नाम का पुलिस अधिकारी बताकर एक महिला ने कथित तौर पर एक दलित को ब्लैकमेल किया।
महिला ने बजाज फाइनेंस से लिए गए लोन पर ब्याज के रूप में 22,000 रुपए मांगे और लोन का पूरा भुगतान होने के बावजूद विट्ठल को पैसे न देने पर गिरफ्तार करने की धमकी दी। पुलिस स्टेशन से संपर्क करने पर पीड़ित को पता चला कि उस नाम से विभाग में कोई अधिकारी नहीं है। इस पर आनंद ने धोखेबाजों की पहचान करने के लिए जांच की मांग की।
सौजन्य: सबरंग इंडिया
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