अमेरिका जाने का डंकी रूट, जिसके लिए हर साल जान जोखिम में डाल रहे हजारों भारतीय, जानें कितना खतरनाक
साल 2022-23 में करीब एक लाख भारतीयों ने अमेरिकी सपने को जीने के लिए अवैध तरीके से अमेरिका में प्रवेश किया। सरकारी के आंकड़ों के अनुसार, मेक्सिको और अल सल्वाडोर के बाद अवैध रूप से अमेरिका में घुसने वाला तीसरा सबसे बड़ा समूह है। अमेरिका जाने का ये डंकी रूट आसान नहीं है।
विवेक सिंह
अमेरिका जाने के लिए भारतीय अवैध तरीके का इस्तेमाल कर रहे
वॉशिंगटन: इसे अमेरिकी चकाचौंध का आकर्षण कहें या रोजगार की तलाश, दुनिया की सबसे तेजी अर्थव्यवस्था भारत को छोड़कर दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी वाले देश अमेरिका में पहुंचने का क्रेज लगातार बढ़ता ही जा रही है। अमेरिका जाने के लिए बड़ी संख्या में भारतीय हजारों डॉलर का भुगतान कर रहे हैं, लेकिन यह रास्ता आसान नहीं है। इसमें आर्थिक के साथ ही जान का जोखिम भी है। अमेरिकी न्यूज आउटलेट सीएनएन ने इसी रूट का खुलासा किया है, जो कई देशों से गुजरता हैं। इस डंकी रूट के जरिए अमेरिका पहुंचने की चाह में फंसकर कई खास अपनी और परिवार की कमाई लुटा बैठते हैं।
सीएनएन ने एक ऐसे ही पीड़ित के हवाले से बताया कि अवैध रूप से अमेरिका जाने के लिए उसने उसने 50000 डॉलर एजेंट को दिए थे। यह जोखिम भरा सफर है, जो चिंताजनक चलन का हिस्सा है। यह भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को खराब कर सकता है। इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में आप्रवासन एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है।
8 साल में 12 गुना बढ़ी संख्या
सीएनएन की रिपोर्ट बताती है कि चार सालों में अमेरिका में अवैध रूप से घुसने वाले भारतीयों की संख्या में नाटकीय वृद्धि हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2018-19 में यह 8097 थी, जो 2022-23 में बढ़कर 96,917 हो गई है। हाल हीमें प्यू रिसर्च से पता चलता है कि साल 2022 तक मेक्सिको और अल-सल्वाडोर के बाद अमेरिका में अवैध रूप से घुसने वाला तीसरा सबसे बड़ा समूह बन गए हैं।
भारत के हरियाणा और पंजाब के इलाके से युवा ज्यादा अमेरिका जाने की कोशिश करते हैं। हरियाणा के करनाल जिले के राजीव कुमार ने सीएनएन ने बताया कि उनके बड़े भाई ने बीते साल अमेरिका जाने की कोशिश की थी। उन्होंने बताया कि परिवार ने भाई को डंकी रूट से अमेरिका में अवैध रूप से पहुंचाने के लिए 30,000 डॉलर जुटाए थे।
अमेरिका जाने का खतरनाक रास्ता
सीएनएन ने ऐसे कई परिवारों से बात की जिनके सदस्यों ने अमेरिका जाने की कोशिश की थी। डंकी मार्ग से अमेरिका जाने वाले सबसे पहले आसानी से वीजा मिलने वाले लैटिन अमेरिकी देशों में पहुंचते हैं। वहां, वे प्रवासी तस्करों से मिलते हैं जो उन्हें खतरनाक जंगलों से होते हुए अमेरिका-मेक्सिको सीमा तक ले जाते हैं।
मलकीत ने फरवरी में भारत छोड़ा था। पहले वे दुबई गए और फिर अल्माटी कजाकिस्तान चले गए। वहां से वे तुर्की गए, जहां उन्होंने पनामा सिटी और फिर सल्वाडोर के लिए विमान में सवार हुए। वहां, उनकी मुलाकात तस्कर से हुई। यहां से उत्तरी ग्वाटेमाला की तरफ यात्रा का सबसे कठिन चरण शुरू हुई। इस यात्रा पर जाने के पहले उनका फोन बंद कर दिया गया।
बॉर्डर पार करने पर क्या होता है?
अमेरिका पहुंचने के बाद वे कस्टम और बॉर्डर अधिकारियों के हाथों पकड़ने का इंतजार करते हैं। कस्टम अधिकारी के आने पर वहां पहुंचे लोग खुद को देश में पीड़ित होने और खतरे में होने का दावा करते हैं और शरण की मांग करते हैं। अधिकारी पहले यह निर्धारित करते हैं कि व्यक्ति शारीरिक रूप से खतरे में है या नहीं। इसके बाद उन्हें पानी की बोतल दी जाती है।
अमेरिकी नियम का उठाते हैं फायदा
अमेरिका के कानून के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति शरण का दावा करता है तो उसे अपना मामला रखने के लिए सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए। कस्टम अधिकारी उनकी सुरक्षा जांच करते हैं और प्रवासियों का साक्षात्कार लिया जाता है। जांच के बाद अधिकारी यह निर्णय लेता है कि उनके शरण आवेदन पर विचार करना है या नहीं। इसे होने में सालों लग सकते हैं।
सौजन्य: नवभारतटाइम्स
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