आईआईटी दिल्ली में एससी, एसटी, ओबीसी के शिक्षकों की भारी कमी, नियुक्ति में आरक्षण नियमों का नहीं हो रहा पालन ?
नई दिल्ली। आईआईटी दिल्ली के संकाय सदस्यों में अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के लोगों की संख्या नगण्य है। केंद्रीय संस्थानों में आरक्षण लागू हुए लंबा अर्सा बीत चुका है। लेकिन अभी तक आईआईटी दिल्ली में भी रिजर्व कोटे को पूरे तरीके से भरा नहीं जा रहा है।
इसका खुलासा कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर के पत्र से होता है। कांग्रेस सांसद ने पीएम को पत्र लिखकर आईआईटी दिल्ली में संकाय पदों पर एससी, एसटी और ओबीसी के खराब प्रतिनिधित्व को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की मांग की है।
तमिलनाडु से कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने शनिवार को मोदी को पत्र लिखकर संकाय के रूप में सामाजिक रूप से पिछड़े समुदायों के उम्मीदवारों की नियुक्ति में असमानता का मुद्दा उठाया है। टैगोर ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि आईआईटी दिल्ली ने एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों के उम्मीदवारों को शामिल करने के लिए स्थापित मानदंडों का उल्लंघन किया है।
उन्होंने बताया कि छह विभागों में वर्तमान में कोई एससी, एसटी और ओबीसी संकाय सदस्य नहीं है और कई अन्य विभागों में न्यूनतम प्रतिनिधित्व है। उन्होंने लिखा कि 22 विभागों में एसटी संकाय की कमी है, 14 विभागों में एससी शिक्षक नहीं हैं और नौ विभागों में ओबीसी संकाय नहीं है। कुल 564 सामान्य संकाय सदस्यों की तुलना में एससी, एसटी और ओबीसी पृष्ठभूमि से केवल 69 सदस्य हैं।
जनवरी 2022 से, एससी, एसटी और ओबीसी श्रेणियों के केवल 30 संकाय सदस्यों की नियुक्ति की गई है, जबकि इस अवधि के दौरान उल्लेखनीय संख्या में सामान्य श्रेणी के संकाय सदस्यों की भर्ती की गई है।
कांग्रेस सांसद ने पीएम को भेजे पत्र में लिखा है कि “प्रतिनिधित्व की यह कमी समानता और समावेशिता के सिद्धांतों को कमज़ोर करती है, जिसे हमारे सम्मानित संस्थानों को कायम रखना चाहिए।
आईआईटी दिल्ली के लिए न केवल भर्ती दिशानिर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है, बल्कि एक समान शैक्षणिक माहौल को बढ़ावा देने के लिए संकाय के बीच विविधता को सक्रिय रूप से बढ़ावा देना भी महत्वपूर्ण है।”
“मैं आपके सम्मानित कार्यालय से हस्तक्षेप करने और शिक्षा मंत्रालय को मामले की गहन जांच करने का निर्देश देने का आग्रह करता हूं। संकाय भर्ती के लिए एक मिशन-मोड चलाया जाए, जिसका दृष्टिकोण विविधता और समावेशन को प्राथमिकता देता हो, यह असमानताओं को दूर करने और एक अधिक संतुलित शैक्षणिक समुदाय बनाने के लिए आवश्यक है।”
पत्र में कहा गया है कि चयन समिति के लिए न्यायसंगत भर्ती प्रथाओं का पालन करना महत्वपूर्ण है जो ओबीसी और एससी उम्मीदवारों के प्रतिनिधित्व का समर्थन करते हैं।
‘अंबेडकर पेरियार फुले स्टडी सर्कल’ से जुड़े आईआईटी बॉम्बे के एक छात्र ने कहा कि सभी आईआईटी में संकाय पदों पर एससी, एसटी और ओबीसी का प्रतिनिधित्व न के बराबर है।
सौजन्य :जनचौक
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