मोदीराज का लोकतंत्रः सोनम वांगचुक फिर हिरासत में, राम रहीम पैरोल पर आजाद
दो महिलाओं से रेप का मुजरिम गुरमीत राम रहीम बुधवार को रोहतक की सुनारिया जेल से 21 दिनों के लिए पैरोल पर आजाद हो गया। बुधवार 2 अक्टूबर को गांधी जयंती भी है। लेकिन विडंबना यह है कि एक पर्यावरणवादी और गांधीवादी कार्यकर्ता सोनम वांगचुक हिरासत में है। सोनम वांगचुक और उनके साथी राजघाट जाकर उन्हें नमन करना चाहते हैं और लद्दाख की समस्याएं उठाना चाहते हैं लेकिन मोदी सरकार ने उन्हें राजघाट जाने से रोक दिया है। जबकि इन लोगों की संख्या ज्यादा नहीं है। सभी बवाना थाने में अब अनशन पर बैठ गए हैं।
सोनम और लद्दाख के 150 अन्य प्रदर्शनकारियों को लेह से एक महीने के लंबे मार्च के बाद सोमवार रात सिंघू सीमा पर हिरासत में लिया गया। 24 घंटे बीतने के बावजूद, प्रदर्शनकारी नियमित रूप से उपवास कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनके अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। पुलिस ने इन लोगों को मंगलवार देर रात छोड़ा था लेकिन जब इन लोगों ने फिर से राजघाट जाने की कोशिश की तो इन्हें फिर हिरासत में ले लिया गया। इनके साथ लद्दाख के सांसद अबू हनीफा जान ने भी गिरफ्तारी दी।
देश में गांधी जयंती शांति और सद्भाव का प्रतीक है। इसीलिए सोनम ने 2 अक्टूबर को चुनाव था। वो अपने वीडियो बयानों में लगातार कह रहे थे कि उनका दिल्ली मार्च शांतिपूर्ण रहेगा, कोई राजनीतिक दल इसमें शामिल है। उनका कहना है कि यह मार्च लद्दाख की समस्याओं को सामने लाने के लिए निकाला गया है। प्रदर्शनकारियों ने लद्दाख को राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग की है। अपनी रिहाई और फिर से हिरासत में लिए जाने के बावजूद, वांगचुक अडिग बने हुए हैं और प्रदर्शनकारियों के बीच एकता का आह्वान कर रहे हैं। उनके साथियों का कहना है कि यह हिरासत अवैध है, क्योंकि 24 घंटे की अवधि बीत चुकी है, और हमें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाना चाहिए।”
पुलिस ने मंगलवार दिल्ली की सीएम आतिशी को सोनम वांगचुक से नहीं मिलने दिया। वो खासतौर पर लद्दाख के सत्याग्रहियों से मिलने गई थीं। इसके बाद जब लद्दाख के सांसद अबू हनीफा जान उन लोगों के समर्थन में पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। इस बीच लद्दाख में सोनम वागंचुक को हिरासत में लेने के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। लोग सड़कों पर आकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) द्वारा आयोजित प्रदर्शनकारी अलग राज्य, लद्दाख श्रम और लोकसभा सीटों की मांग कर रहे हैं। गांधी जयंती के लिए, उनका इरादा गांधी समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने का था। लेकिन उनके लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचला जा रहा है।
सौजन्य: सत्य हिन्दी
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