तमिलनाडु: भारत में सैमसंग के मुख्य संयंत्र के हज़ारों कर्मचारी हड़ताल पर क्यों हैं?
तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में घरेलू उपकरण निर्माता कंपनी सैमसंग के एक संयंत्र में 1,723 स्थायी कर्मचारियों समेत क़रीब 5,000 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें से लगभग 1,350 स्थायी कर्मचारी यूनियन गठित करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर बीते 9 सितंबर से हड़ताल पर हैं.
नई दिल्ली: मोबाइल और घरेलू उपकरण निर्माण क्षेत्र की विश्व की शीर्ष कंपनियों में शुमार सैमसंग के तमिलनाडु स्थित एक कारखाने में कार्यरत श्रमिक हड़ताल पर चले गए हैं. भारत में सैमसंग के सबसे महत्वपूर्ण कारखानों में से एक यह कारखाना चेन्नई के निकट श्रीपेरंबदूर में स्थित है जहां घरेलू उपकरणों का निर्माण होता है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सोमवार (16 सितंबर) को कांचीपुरम स्थित जिला कलेक्टर कार्यालय तक मार्च करने की कोशिश कर रहे सैमसंग के करीब 120 कर्मचारियों को तमिलनाडु पुलिस ने बिना अनुमति के विरोध प्रदर्शन करने के आरोप में हिरासत में भी लिया था. हालांकि, बाद में उन्हें छोड़ दिया गया.
हड़ताल में संयंत्र के 1,723 स्थायी कर्मचारियों में से लगभग 1,350 कर्मचारी शामिल हैं, जो भारत में सैमसंग के कामकाज में आए सबसे बड़े श्रमिक व्यवधानों में से एक है. संयंत्र में करीब 5,000 कर्मचारी हैं, जिनमें एक बड़ा हिस्सा अनुबंधित कर्मचारियों का है जो हड़ताल का हिस्सा नहीं हैं. इसके बावजूद उत्पादन धीमा हो गया है.
क्या है विरोध का कारण?
बीते 9 सितंबर से हड़ताल कर रहे श्रमिक मांग कर रहे हैं कि कंपनी उनकी यूनियन को मान्यता दे, वेतन संशोधन के लिए वार्ता शुरू करे और कार्य परिस्थितियों से संबंधित चिंताओं का समाधान करे.
हड़ताल में संयंत्र के अधिकांश स्थायी कर्मचारी शामिल हैं. सैमसंग यहां रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन और टेलीविजन समेत विभिन्न प्रकार के घरेलू उपकरणों का उत्पादन करता है. भारत से कंपनी को प्राप्त होने वाले राजस्व में इस संयंत्र की लगभग एक तिहाई हिस्सेदारी है.
हड़ताल को सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) का समर्थन प्राप्त है, जो सीपीआई (एम) से जुड़ा एक राष्ट्रीय श्रमिक संगठन है. श्रमिकों के कई और समूहों ने अब सैमसंग के कर्मचारियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए चेन्नई में विरोध प्रदर्शन करने की योजना की घोषणा की है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सीटू के प्रदेश अध्यक्ष ए. सुंदराजन ने कहा कि कारखाने के अस्तित्व में आने के 16 साल बाद इस साल जून में कर्मचारियों ने यूनियन बनाने की घोषणा की थी, क्योंकि प्रबंधन ने उन्हें इसके लिए मजबूर कर दिया था.
उन्होंने कहा, ‘मुख्य मांग यूनियन बनाने का अधिकार, सामूहिक सौदेबाजी का अधिकार और बहुमत वाली यूनियन के साथ सार्थक चर्चा है. वेतन वृद्धि पर बाद में चर्चा की जा सकती है, लेकिन प्रबंधन किसी भी यूनियन को अनुमति देने से इनकार कर रहा है.’
सैमसंग इंडिया कर्मचारी संघ का गठन जून में हुआ था, लेकिन कंपनी प्रबंधन ने इसे मान्यता नहीं दी.
सुंदरराजन का आरोप है कि कंपनी ने यूनियन बनाने से रोकने के लिए डराने-धमकाने की रणनीति अपनाई है, जिसमें छुट्टी देने से इनकार करना और कर्मचारियों का तबादला करना शामिल है. उन्होंने कहा कि जब यह बर्दाश्त से बाहर हो गया तो हड़ताल शुरू करनी पड़ी.
क्या है तमिलनाडु सरकार का रुख़?
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब तमिलनाडु राज्य में विदेशी निवेश के लिए भरसक प्रयास कर रहा है. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की हालिया अमेरिका यात्रा के दौरान राज्य के साथ अमेरिकी कंपनियों ने 7,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के लिए समझौते किए हैं.
कहा जा रहा है इसीलिए, तमिलनाडु की डीएमके सरकार को डर है कि श्रमिकों के आंदोलन का समर्थन बढ़ने से सैमसंग और उसके कर्मचारियों के बीच, साथ ही कंपनी और राज्य अधिकरणों के बीच तनाव बढ़ सकता है.
राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा, ‘यहां सरकार के सामने चुनौती यह है कि यहां ऐसा कोई मुख्य मुद्दा (जैसे वेतन वृद्धि की मांग) नहीं है, जिसमें सरकार हस्तक्षेप करके समाधान कर सके. कंपनी उनकी (श्रमिकों की) मुख्य मांग से भी सहमत नहीं है कि उन्हें यूनियन बनाने की अनुमति दी जाए, क्योंकि कंपनी को इसके पीछे साजिश का संदेह है.’
सैमसंग का क्या है कहना?
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, राज्य सरकार के अधिकारी ने कहा, ‘सैमसंग को लगता है कि सीटू समस्या को और जटिल बना रहा है, क्योंकि 2007 में संयंत्र शुरू करने के बाद से उन्हें पहले कभी ऐसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा था.’
कंपनियों के अधिकारियों के मुताबिक, सैमसंग यूनियन के साथ जुड़ने में इसलिए अनिच्छुक रहा है क्योंकि सीटू से उसका जुड़ाव कंपनी के लिए विशेष चिंता का विषय है.
गोपनीयता की शर्त पर सैमसंग के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि डर यह है कि सीटू के साथ जुड़ाव के चलते अन्य संयंत्रों में भी ऐसी हड़तालें हो सकती हैं. अधिकारी ने कहा कि प्रबंधन ने पहले ही सरकार को बता दिया है कि वह कर्मचारियों से बात करने के लिए तैयार है, लेकिन सीटू से नहीं.
सैमसंग ने पिछले हफ़्ते एक बयान जारी कर कहा था कि वह सभी मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने के लिए प्रतिबद्ध है और कर्मचारियों के साथ बातचीत शुरू कर दी है.
हालांकि, इसमें बहुत कम प्रगति हुई है.
अपने गृह देश दक्षिण कोरिया में भी सैमसंग का यही रवैया रहा.
उल्लेखनीय है कि जुलाई में सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स को अपने गृह देश दक्षिण कोरिया में भी श्रमिकों के विरोध का सामना करना पड़ा था, जहां 6500 से अधिक कर्मचारी बेहतर वेतन और बेहतर कार्य स्थितियों की मांग को लेकर तीन दिवसीय हड़ताल पर चले गए थे.
इसका जिक्र करते हुए सुंदराजन ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘दक्षिण कोरिया में भी वे पंजीकृत यूनियनों को अनुमति नहीं दे रहे थे, और वे यहां भी ऐसा ही कर रहे हैं…’
सुंदराजन तमिलनाडु सरकार पर भी अंगुली उठाते हुए कहते हैं, ‘यूनियन को पंजीकृत करने में सरकार द्वारा की जा रही देरी से भी हमें मदद नहीं मिल रही है. भारतीय श्रम कानून के अनुसार, सरकार को 45 दिनों के भीतर पंजीकरण के लिए यूनियन के अनुरोध पर कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन सरकार की ओर से कोई जवाब दिए बिना 90 दिन से अधिक समय बीत चुका है.’
सौजन्य: द वायर
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