‘यह आत्महत्या नहीं हत्या’ — इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय में MBA के छात्र की मौत के बाद विरोध जारी
ज्यादातर स्टूडेंट्स गौतम कुमार को नहीं जानते थे क्योंकि नया शैक्षणिक वर्ष अभी एक महीने पहले ही शुरू हुआ था, लेकिन उनकी मौत ने गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी में इस विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया है|
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के द्वारका में स्थित गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी में मंगलवार को फर्स्ट ईयर के छात्र की मौत पर शोक सभा आयोजित की गई, जो देखते ही देखते उग्र विरोध में बदल गई. कार्यवाहक कुलपति सैकड़ों छात्रों को देखकर भागकर अपने कार्यालय में घुस गए. हालांकि, रजिस्ट्रार इतने भाग्यशाली नहीं रहे क्योंकि स्टूडेंट्स ने उनकी नीली चेक शर्ट फाड़ दी.
फर्स्ट ईयर के बिजनेस मैनेजमेंट के स्टूडेंट को वार्डन ने निष्कासित कर दिया था, जिसके कारण उसने एक दिन बाद कथित तौर पर अपने छात्रावास की सातवीं मंजिल से कूद कर जान दे दी. घटना के बाद छात्रों ने पूरी ताकत से विरोध प्रदर्शन किया, जिसके कारण कक्षाएं रद्द कर दी गईं. गुस्साए छात्रों ने दावा किया कि पटना के 25-वर्षीय गौतम कुमार नामक युवक को गलत तरीके से निशाना बनाया गया, जिसके कारण पूरे कैंपस में “हमें न्याय चाहिए” और “वार्डन को निलंबित करो” के नारे गूंज उठे.
ज्यादातर छात्र कुमार को नहीं जानते थे — नया शैक्षणिक वर्ष बमुश्किल एक महीने पहले ही शुरू हुआ, लेकिन उनकी मौत ने ऐसा विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है जैसा राज्य द्वारा संचालित यूनिवर्सिटी ने पहले कभी नहीं देखा था. गौतम के लिए न्याय से लेकर, उनकी मांगों की सूची में शिकायत प्रकोष्ठ का गठन, कैंपस में पूर्णकालिक डॉक्टर और कम प्रोफेसरों के साथ छात्र परिषद में अधिक प्रतिनिधित्व शामिल है. महिला छात्रों की सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया गया.
रजिस्ट्रार कमल पाठक के कुलपति कार्यालय में वापस जाने पर एक नाराज़ छात्र ने कहा, “जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, हम विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे.”
15 सितंबर को कुमार की मौत के बाद स्थित अशांत हो गई. एक दिन पहले, वे एक साथी छात्र के जन्मदिन की पार्टी में शामिल हुआ था, जब वार्डन राकेश कुमार कमरे में आए. उन्होंने छह स्टूडेंट्स पर शराब पीने का आरोप लगाया और उन्हें कैंपस से निष्कासित कर दिया. हॉस्टल के बाकी स्टूडेंट्स का दावा है कि कुमार, जो केवल केक खाने के लिए वहां गए थे, ने जोर देकर कहा कि उन्होंने शराब नहीं पी है.कुमार की वार्डन से मुठभेड़ की खबर तेज़ी से फैली. स्टूडेंट्स इस बात से नाराज़ थे कि कुमार को बिना किसी आधिकारिक जांच के तुरंत निलंबित कर दिया गया|
कुमार द्वारा अपने परिवार को लिखा गया एक सुसाइड नोट व्हाट्सएप पर वायरल हो रहा है, “सॉरी मम्मी, पापा, भैया और भाभी. मैं आत्महत्या कर रहा हूं और इसका कारण मेरा हॉस्टल वार्डन है. उन्होंने मुझे झूठे मामले में फंसाया और हॉस्टल से निकाल दिया. मैं हॉस्टल की छत से कूद रहा हूं.”
अब छात्र वार्डन को निलंबित करने के साथ-साथ परिवार को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं. मंगलवार दोपहर को शोक सभा में विश्वविद्यालय प्रशासन ने घोषणा की कि उसने मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है|
कार्यवाहक कुलपति एके सैनी ने कहा, “गौतम कुमार मेरा स्टूडेंट था और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उसने इस तरह अपनी जान ले ली. छात्रों की मांगों के बाद, हमने वार्डन को फॉर्स लीव पर भेज दिया है और उन्हें उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया है. जांच पूरी होने के बाद हम कार्रवाई करेंगे.”पिछले मुद्दे भी आए सामने विश्वविद्यालय प्रशासन के उपायों से छात्रों को संतुष्ट करने में कोई मदद नहीं मिली है. यह बहुत कम और बहुत देर से उठाया गया कदम है|
लॉ के सेकंड ईयर के एक स्टूडेंट ने कहा, “वे वार्डन के लिए नियम पुस्तिका का पालन क्यों कर रहे हैं और जांच रिपोर्ट का इंतज़ार क्यों कर रहे हैं? (गौतम) कुमार को यह समझ में नहीं आया.” बाकी दोस्तों ने सहमति में सिर हिलाया.
लॉ के सेंकड ईयर के छात्र कार्तिकेय ने उचित प्रक्रिया की कमी पर जोर दिया. उन्होंने कहा, “एक समीक्षा समिति को पार्टी की जांच करनी चाहिए थी और छात्रों को अपना पक्ष रखने की अनुमति देनी चाहिए थी. कुमार के मामले में ऐसा नहीं हुआ.”
अन्य लोगों ने बताया कि अगर शिकायत प्रकोष्ठ होता और छात्र परिषद प्रोफेसरों के पक्ष में नहीं झुकी होती तो ऐसा नहीं होता.
थर्ड ईयर के लॉ स्टूडेंट आदित्य ने कहा, “हमारे कॉलेज में छात्र शिकायत प्रकोष्ठ नहीं है, इसलिए हमारे पास अपनी दिक्कतें बताने के लिए कोई नहीं है. अगर कैंपस में कोई डॉक्टर होता, तो कुमार को बचाया जा सकता था.”
छात्रों ने आरोप लगाया कि एम्बुलेंस आने में एक घंटा लग गया. उन्होंने कहा कि ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर शाम चार बजे चले जाते हैं और शाम छह बजे जब कुमार ने सातवीं मंजिल से छलांग लगाई तो वहां कोई मेडिकल स्टाफ नहीं था.
हालांकि, दिप्रिंट ने इन आरोपों पर टिप्पणी के लिए कार्यवाहक कुलपति से संपर्क किया है और उनके जवाब के साथ रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा|
छात्राएं भी कैंपस में अपने साथ होने वाले उत्पीड़न के बारे में बोल रही हैं. जिस दिन कुमार ने आत्महत्या की, उस दिन महिला हॉस्टल की वार्डन ने कथित तौर पर छात्राओं की सांसों को सूंघा, ताकि पता चल सके कि कहीं उन्होंने भी तो शराब नहीं पी रखी है.
नाम न बताने की शर्त पर सेकंड ईयर की एक लॉ स्टूडेंट ने कहा, “जब हम विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए तो वार्डन ने हमारे माता-पिता को फोन करके बताया कि वो हमें हॉस्टल में नहीं आने देंगी क्योंकि हम विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.”
रविवार रात से ही जब छात्राएं विरोध प्रदर्शन के लिए एकत्र होने लगीं, तो कैंपस के चारों ओर स्थानीय पुलिस तैनात कर दी गई. मंगलवार दोपहर 1:30 बजे यूनिवर्सिटी के व्हाट्सएप ग्रुप में प्रोफेसरों और प्रशासन द्वारा आयोजित शोक सभा के बारे में एक नोटिस पोस्ट किया गया.
प्रोफेसर, रजिस्ट्रार और कार्यवाहक कुलपति गेंदे की माला से सजी कुमार की तस्वीर पर फूल चढ़ाने के लिए कतार में खड़े थे, लेकिन इससे छात्राएं और अधिक बेचैन हो गईं. जब रजिस्ट्रार पाठक ने घोषणा की कि प्रशासन ने कार्रवाई की है और छात्रों से कहा कि वे वहां से चले जाएं, तो सब्र का बांध टूट गया.
उन्होंने लिखित में पुष्टि की मांग की, जिसके बाद पाठक ने कागज़ का एक टुकड़ा दिखाया और वहां से जाने लगे. कुलपति सैनी ने भी यही किया और छात्रों ने उनका पीछा किया.
पाठक ने जो नोटिस दिखाया था, वो एक आधिकारिक घोषणा थी: “शिवालिक हॉस्टल के पूर्व वार्डन प्रोफेसर राकेश कुमार को समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत होने तक छुट्टी पर जाने का आदेश दिया जाता है, लेकिन छात्र ऐसा नहीं चाहते.”
शोक सभा में अप्रत्याशित भीड़ ने प्रोफेसरों को हैरान कर दिया, जिन्होंने कहा कि उन्हें लगा कि बैठक छात्रों को शांत करने के लिए थी|
प्रोफेसर ने कहा, “दोनों (रजिस्ट्रार और कार्यवाहक कुलपति) ने शोक सभा के पूरे उद्देश्य को विफल कर दिया है. अब विरोध खत्म नहीं होगा.”
ऐसा लगता है कि छात्रों को अपने कई प्रोफेसरों का मौन समर्थन है, जो विरोध प्रदर्शन देखने के लिए प्रशासनिक ब्लॉक के बाहर एकत्र हुए थे. एक अन्य ने बताया कि वार्डन कुलपति के करीबी दोस्त हैं, जिससे ऐसी कार्रवाई की संभावना नहीं है.
एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हमें छात्रों के साथ एकजुटता से खड़े होना होगा. एक व्यक्ति की जान चली गई है. वह सदमे में हैं. फिर भी, कार्यवाहक कुलपति और रजिस्ट्रार प्रोफेसरों की बात नहीं सुन रहे हैं और हमारे सभी सुझावों की अनदेखी कर रहे हैं.”
‘बिहार का बुमराह’
गौतम कुमार रविवार शाम को अपने दोस्तों के साथ हॉस्टल मेस में स्नैक्स के लिए जाने वाले थे. इसके बजाय, वे अपने कमरे में गए और चिल्लाते हुए फर्श से कूद गए, “आई एम सॉरी फ्रेंड्स” उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया.
कुमार ने एमबीए में चार हफ्ते पहले ही कॉलेज में एडमिशन लिया था. बिहार के वैशाली जिले में पले-बढ़े, उनके बड़े भाई गौरव के अनुसार, यह पहली बार था जब वो पढ़ाई के लिए अपने होमटाउन से बाहर गए थे.
CAT परीक्षा की तैयारी के लिए दो साल का ब्रेक लेने के बाद, कुमार ने 89 प्रतिशत स्कोर हासिल किए और इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया.
गौरव ने आरोप लगाया कि उनके पिता को कुमार का एक मैसेज मिला, जिसके बाद उन्होंने बार-बार उन्हें फोन करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया. फिर उन्होंने दिल्ली में अपने प्रतिनिधि अभिभावक से उनके बारे में पता लगाने के लिए कहा.
गौरव ने बीच-बीच में रोते हुए कहा, “इस तरह हमें पता चला कि उनकी मौत हो गई है. किसी ने हमें सूचित नहीं किया — न ही वार्डन ने, न ही स्कूल प्रशासन ने. हमें यह भी नहीं पता कि वे इमारत से कूदा या उसे धक्का दिया गया.”
कुमार के कॉलेज में आने से पहले, उनके पिता विनोद कैंपस आए थे, यह देखने के लिए उनके हॉस्टल का कमरा उनके लिए ठीक है या नहीं. हालांकि, रविवार को छात्रों ने बताया कि कुमार का सामान उसके कमरे से बाहर फेंक दिया गया और उन्हें यहां से जाने के लिए कहा गया. परिवार उस दिन कैंपस में पहुंचा और अपने बेटे के शव को घर ले गया.
यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शन के दौरान, कुमार के दोस्त आदित्य ने कहा कि वे कई दिनों से सो नहीं पाए हैं.
आदित्य ने याद किया, “मैंने उसका शव देखा. वो हमेशा मुस्कुराता रहता था और ज़िंदगी से बहुत प्यार करता था.”
राजा पाकर गांव के एक स्कूल शिक्षक के बेटे, कुमार को उनके क्रिकेट स्किल के लिए “बिहार का बुमराह” कहा जाता था. लोग उनके साथ क्रिकेट खेलने के लिए उनके घर आते थे, लेकिन कुमार की ख्वाहिशें अलग थीं — वे कॉर्पोरेट जगत में सफल होना चाहते थे और अपनी अंग्रेज़ी को बेहतर करने पर काम कर रहे थे.
उनके भाई ने याद किया, “वे मुझसे अंग्रेज़ी में बात करते थे और कहते थे, भैया, जल्द ही मेरी अंग्रेज़ी अच्छी हो जाएगी और फिर कोई मुझे बड़ी एमएनसी में काम करने से नहीं रोक पाएगा.”
‘यह हत्या है’
इस घटना ने पिछले मुद्दों को भी सामने ला दिया है.2014 में इसी तरह की स्थिति के कारण कैंपस में सख्त नियम लागू किए गए थे. एक प्रोफेसर ने याद किया कि दो स्टूडेंट हॉस्टल की छत पर शराब पी रहे थे; एक अपना संतुलन खो बैठा और इमारत से गिर गया और यह देखकर दूसरा छात्र भी कूद गया.
प्रोफेसर ने कहा, “तब से हॉस्टल में सख्त नियम लागू किए गए थे. शराब और किसी भी तरह के नशीले पदार्थों पर प्रतिबंध है और ऐसे पदार्थों के लिए कमरों की लगातार जांच की जाती है.”
आत्महत्या की खबर फैलने के बाद, द्वारका उत्तर में पुलिस को सूचित किया गया. पुलिस ने घटनास्थल का दौरा किया और जांच की कार्यवाही शुरू की.
एसीपी मदन लाल मीना ने कहा, “हमें किसी से कोई शिकायत नहीं मिली है और हमने केवल भारतीय न्याय संहिता (बीएनएसएस) की धारा-174 के तहत कार्यवाही शुरू की है, जो आमतौर पर आत्महत्या के मामले में की जाती है. वो अकेला नहीं था जिसे बाहर निकाला गया, कुल छह स्टूडेंट्स थे. इसलिए, हमें कोई गड़बड़ी नहीं दिख रही है.”
सेंट्रल लाइब्रेरी के पास गौतम कुमार की एक साइड-प्रोफाइल फोटो है, जिसमें उन्होंने काली पैंट और कोट पहना हुआ है, उनके बाल बाईं ओर बड़े करीने से बंटे हुए हैं और उनके चेहरे पर बड़ी-सी मुस्कान है. फोटो के सामने तीन सफेद मोमबत्तियां जल रही हैं. कुलपति के कार्यालय से प्रदर्शनकारी छात्रों की चीखें आती हुई सुनी जा सकती हैं. वे चिल्लाते हैं, “यह आत्महत्या नहीं, यह हत्या है.”
सौजन्य:द प्रिंट
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