बिहार: सरकारी स्वास्थ्य अभियान के दौरान खिलाई गई दवा से 31 स्कूली बच्चे बीमार.
बिहार के आरा में सलेमपुर गांव स्थित एक स्कूल में गुरुवार दोपहर बच्चों को फाइलेरिया की दवा खिलाई गई थी. दवा खाने के कुछ देर बाद ही एक-एक करके बच्चे बीमार पड़ने लगे, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया.
नई दिल्ली: बिहार के आरा में फाइलेरिया की दवा खाने से गुरुवार (29 अगस्त) को 31 से ज़्यादा बच्चे बीमार पड़ गए. सभी बीमार बच्चों को आनन-फानन में इलाज के लिए आरा सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां सभी बच्चों की हालत सामान्य बताई जा रही है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यह दवा स्कूल में आयोजित स्वास्थ्य अभियान के तहत बच्चों को दी गई थी. खबर के अनुसार, चांदी थाना क्षेत्र के सलेमपुर गांव में गुरुवार को दोपहर स्कूल में सभी छात्रों को फाइलेरिया की दवा खिलाई गई थी. दवा खाने के कुछ देर बाद ही एक-एक करके बच्चे बीमार पड़ने लगे. सभी को सिर दर्द और बुखार की शिकायत थी.
प्रभात खबर की रिपोर्ट के मुताबिक, सिविल सर्जन शिवेंद्र कुमार सिन्हा ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत जिलों में अल्बेंडाजोल, डीईसी और फाइलेरिया की दवा दी जा रही थी, इसके अंतर्गत 27, 28 और 29 अगस्त को हमारा कार्यक्रम था.
उन्होंने कहा, ‘हालांकि 14 अगस्त से ही हमारा प्रोग्राम चल रहा था. जिसमें हम लोग ‘डोर टू डोर’ दवा खिला रहे थे. उसके बाद एक एक दिन का आराम लेकर स्कूलों में सभी को देना था. उसी क्रम में आखिरी दिन दवा देने के बाद बच्चे बीमार हुए है. जिसकी हम लोग जांच करेंगे.’
उन्होंने कहा कि सलेमपुर स्कूल के बच्चे बीमार हुए हैं, लेकिन अभी सब बच्चे सुरक्षित हैं. दवा को जांचेंगे. और कितने लोगों को यह दवा दी गई है, उनकी भी जांच की जाएगी.
अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक, बीमारी का कारण बताते हुए सिविल सर्जन सिन्हा ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सभी सरकारी विद्यालयों में दो साल से ऊपर के बच्चों को दवा खिलाई जा रही है, लेकिन यहां बिना खाना खिलाए बच्चों को खाली पेट दवा खिला दी गई. इसी वजह से बच्चों की तबीयत खराब हुई है. उन्होंने कहा कि परिजनों को परेशान होने की जरूरत बिल्कुल नहीं है. सब कुछ नियंत्रण में है. अब बच्चे ठीक होने लगे हैं, कुछ समय बाद बच्चों को घर भेज दिया जाएगा.
इस मामले की सूचना पर सदर अस्पताल पहुंचे जिला शिक्षा अधिकारी अहसन ने कहा कि यह स्कूल प्रशासन की लापरवाही है या किसकी गलती है, इसकी जांच कराई जाएगी.
सौजन्य : द वायर
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