जातिगत जनगणना सामाजिक न्याय के लिए नीतिगत ढांचा तैयार करने का आधार है: राहुल गांधी
इलाहाबाद में हुए एक कार्यक्रम में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि नरेंद्र मोदी को जनता की बात सुनकर जातिगत जनगणना करवानी ही होगी, अगर वह नहीं करेंगे तो अगले प्रधानमंत्री को कराते हुए देखेंगे|
नई दिल्ली: देशव्यापी ‘जाति जनगणना’ की मांग पर जोर देते हुए कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शनिवार (24 अगस्त) को कहा कि देश के 90% लोग सिस्टम से बाहर हैं|
इलाहाबाद में आयोजित ‘संविधान सम्मान सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, ’90 प्रतिशत लोग व्यवस्था से बाहर बैठे हैं. उनके पास कौशल है, ज्ञान है, लेकिन व्यवस्था से उनका कोई संबंध नहीं है. इसलिए हमने जाति जनगणना की मांग उठाई है.’
राहुल गांधी ने आगे कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि लोगों के बीच धन का वितरण कैसे किया जा रहा है और नौकरशाही , न्यायपालिका और मीडिया में ओबीसी, दलितों और श्रमिकों की भागीदारी कितनी है|
मोदी नहीं करेंगे तो कोई और पीएम करेगा– राहुल
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि लोगों ने जाति जनगणना कराने का आदेश दिया है और अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसा नहीं करते हैं, तो कोई अन्य प्रधानमंत्री यह करेगा.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गांधी ने आगे कहा कि जाति जनगणना नीति निर्माण की नींव होगी और प्रत्येक समुदाय की संख्या को सूचीबद्ध किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आरक्षण पर मनमाने ढंग से लगाई गई 50% की सीमा को संशोधित किया जाएगा ताकि सरकार और शिक्षा में सभी समुदायों को उचित प्रतिनिधित्व मिल सके.
‘सिर्फ़ ओबीसी नहीं, सभी की सूची चाहिए’
सत्ताधारी पार्टी को घेरते हुए राहुल गांधी ने कहा, ‘भाजपा कह रही है कि वे जाति जनगणना कराएंगे और इसमें ओबीसी वर्ग को शामिल करेंगे. पहली बात तो यह कि जाति जनगणना में सिर्फ ओबीसी का जिक्र करना ही काफी नहीं है. देश में अलग–अलग समुदाय हैं और हम उन सभी की एक सूची चाहते हैं.’
जाति जनगणना को लेकर उन्होंने कहा, ‘ऐसा जरूर होगा. इसे रोका नहीं जा सकता. न तो जाति जनगणना को रोका जा सकता है और न ही आर्थिक सर्वेक्षण को रोका जा सकता है. ऐसा होने के साथ ही आरक्षण की 50% की सीमा ख़त्म हो जाएगी.’
जाति जनगणना क्यों?
राहुल गांधी ने कार्यक्रम में यह भी बताया कि वह जाति जनगणना क्यों चाहते हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए यह केवल जनगणना भर नहीं है; यह नीति–निर्माण की नींव है. मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि हम सिर्फ जाति जनगणना के बारे में बात नहीं कर रहे हैं… हम डेटा चाहते हैं. कितने दलित, ओबीसी, आदिवासी, महिलाएं, अल्पसंख्यक, सामान्य जाति के लोग हैं. हम जाति जनगणना की इस मांग के माध्यम से संविधान की रक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं. …सिर्फ जाति जनगणना करना ही काफी नहीं है, यह समझना भी जरूरी है कि धन का वितरण कैसे हो रहा है…यह पता लगाना भी जरूरी है कि नौकरशाही, न्यायपालिका, मीडिया में ओबीसी, दलितों, श्रमिकों की भागीदारी कितनी है?’
इस बात को विस्तार देते हुए राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा, ‘संविधान द्वारा तय लक्ष्यों को वास्तविकता में पूरी तरह हासिल करने के लिए जातिगत जनगणना मार्गदर्शन देगी. यह देश की प्रगति में 90% को शामिल करने और संविधान के वादे को साकार करने में मदद करेगी.’
उन्होंने कहा, ‘जातिगत जनगणना से सिर्फ जनसंख्या की गिनती भर नहीं होगी, समाज का एक्स–रे भी सामने आ जाएगा. ये पता चल जाएगा कि देश के संसाधनों का वितरण कैसा है और कौन से वर्ग हैं जो प्रतिनिधित्व में पीछे छूट गए हैं. जातिगत जनगणना का आंकड़ा लंबे समय से अटके मुद्दों पर नीतियां बनाने में मदद करेगा. उदाहरण के लिए सटीक आंकड़े सामने आने के बाद आरक्षण की 50% की सीमा को रिवाइज़ किया जा सकता है ताकि सबको सरकारी संस्थानों और शिक्षा में उचित और न्यायपूर्ण प्रतिनिधित्व मिले. जनता ने अपना ऑर्डर दे दिया है – देश की सामाजिक आर्थिक जनगणना तो होकर रहेगी. नरेंद्र मोदी को जनता की बात सुन कर जातिगत जनगणना करवानी ही होगी, अगर वह खुद नहीं करेंगे तो अगले प्रधानमंत्री को कराते हुए देखेंगे|
सौजन्य :द वायर
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