असम गैंगरेप मामला: बाज़ार बंद, सुरक्षा के लिए सड़कों पर महिलाएं, अभियुक्त के गांव में जनाज़े पर मनाही
असम के नगांव ज़िले का धींग इलाक़ा उस समय सुर्खियों में आया था जब 2018 में इस छोटे से शहर की रहने वाली भारतीय धावक हिमा दास ने आईएएएफ़ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता था|वो इस रिकॉर्ड को हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला थीं|लेकिन बीते दो दिन से धींग की महिलाएं एक नाबालिग़ लड़की के साथ हुए कथित सामूहिक बलात्कार के कारण गुस्से और आक्रोश में सड़कों पर उतर आई हैं|
शहर की दुकानें बंद कर दी गई है और सैकड़ों की तादाद में सड़कों पर बैठी यहां की महिलाएं हाथों में प्लेकार्ड लिए सरकार से सुरक्षा मांग रही हैं|
इन महिलाओं के हाथों में दिख रहे प्लेकार्ड पर नारे लिखे हैं- “हमें न्याय चाहिए”, “महिलाओं को सुरक्षा दो”,”स्टॉप रेप, किल रेपिस्ट”. इन नारों ने जैसे उनके भीतर मानो उस योद्धा को जगा दिया जो अपने सम्मान और सुरक्षा के लिए किसी से भी लड़ जाएगा.
इन महिलाओं के अलावा कई जातीय और छात्र संगठनों के सदस्य भी अपराधियों के ख़िलाफ़ कड़ी सज़ा की मांग लेकर धरने पर बैठे है|
इस घटना को लेकर राज्य के विभिन्न शहरों में पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग पर लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं|
धींग थाने में दर्ज कराई गई एफ़आईआर के अनुसार कथित सामूहिक बलात्कार की यह घटना पिछले 22 अगस्त गुरुवार की शाम क़रीब साढ़े 6 बजे की है.
स्कूल में पढ़ने वाली पीड़िता गुरुवार की शाम जब ट्यूशन से पढ़ाई कर अपनी साइकिल से घर लौट रही थी उसी दौरान एक सुनसान रास्ते के पास तीन युवकों ने उस पर कथित तौर पर हमला कर दिया. बाद में उन्होंने उसके साथ कथित तौर पर बलात्कार किया.
पुलिस के मुताबिक़, तीनों अभियुक्त घटना के बाद लड़की को आधी बेहोशी की हालत में छोड़कर भाग गए थे. बाद में कुछ स्थानीय लोगों ने पीड़िता को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया|पीड़िता नगांव मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भर्ती है|
पुलिस हिरासत में एक अभियुक्त की मौत
इस बीच कथित सामूहिक बलात्कार की घटना में गिरफ्तार किए गए एक अभियुक्त की शनिवार तड़के पुलिस हिरासत में मौत हो गई.
पुलिस का दावा है कि अभियुक्त को शनिवार सुबह वारदात वाली जगह पर ले जाया गया था, जहां पर उसने कथित तौर पर भागने की कोशिश की. इस कोशिश में वो पास के एक तालाब में गिर गया जिस कारण उसकी मौत हो गई|
24 साल के इस अभियुक्त का नाम तफ़ज़्जुल इस्लाम बताया गया है. पुलिस के अनुसार ये अभियुक्त नाबालिग़ लड़की के साथ कथित सामूहिक बलात्कार के तीन अभियुक्तों में से एक था|
जिस समय अभियुक्त का शव तालाब से बरामद किया गया था उसके दोनों हाथ हथकड़ी से बंधे हुए थे|
इस घटना का विरोध कर रही धींग क्षेत्र नारी सुरक्षा समिति की सभानेत्री तूलिका बोरा ने कहा, “हमारे इलाक़े की महिलाएं बिलकुल भी सुरक्षित नहीं हैं और सुरक्षा देने में सरकार-प्रशासन पूरी तरह नाकाम रही है.”
“छात्रा के साथ गुरुवार को हुई इस घटना के बाद यहां की महिलाएं दहशत में हैं. पीड़िता को न्याय मिलना ही चाहिए. हम इस घटना की न्यायिक जांच चाहते है. जब तक न्याय नहीं मिलेगा, हम चुप नहीं बैठेंगे.”
इस घटना के बारे में पीड़िता के एक रिश्तेदार ने बताया, “पीड़ित लड़की की मां का निधन बचपन में हो गया था और वो गांव में अपने दादा-दादी के साथ रहकर पढ़ाई करती है. उनके पिता गुवाहाटी में काम करते हैं जो घटना वाले दिन रात को गांव लौटे थे.”
“वो सप्ताह में तीन दिन ट्यूशन के लिए दूसरे गांव जाती है. उस दिन भी वो दोपहर को घर से निकली थी लेकिन जब वो शाम को 6 बजे तक घर नहीं लौटी, तो परिवार के लोगों ने उसे तलाशना शुरू किया. घटना के बाद जिस जगह वो मिली, वह उसके गांव की ओर जाने वाली मुख्य सड़क के पास है.”
पीड़िता के घर वाले चाहते हैं कि पुलिस बाकी के दो अभियुक्तों को पकड़े ताकि उन्हें सज़ा मिल सके. उनका कहना है कि, “नहीं तो लोग इसी डर में जीते रहेंगे कि उनकी लड़कियों के साथ भी ऐसा कुछ हो सकता है.”
इस रिपोर्ट में पीड़िता के परिवार के सदस्यों के नाम हटा दिए गए हैं. भारतीय क़ानून के मुताबिक़ रेप पीड़िता या उसके परिवार की पहचान को सार्वजनिक करने की इजाज़त नहीं होती है|
पुलिस के अनुसार घटना के बाद से धींग शहर से महज़ कुछ किलोमीटर अंदरूनी इलाक़ों में तनाव बरकरार है.
हालांकि संवेदनशील इलाक़ों में सुरक्षा बलों के जवान तैनात किए गए है. पुलिस घटना में लिप्त अन्य दो अभियुक्तों को पकड़ने के लिए लगातार अभियान चला रही है.
नगांव जिले के पुलिस अधीक्षक स्वप्निल डेका ने इस घटना को लेकर बीबीसी से कहा, “इस घटना में कुल तीन लोगों पर नाबालिग़ के साथ बलात्कार का आरोप है. पुलिस ने जो मामला दर्ज किया है उसमें आरोपियों के ख़िलाफ़ पोक्सो यानी यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण एक्ट और भारतीय न्याय संहिता के तहत मामला दर्ज कराया गया है.”
वहीं इस घटना के अभियुक्त तफ़ज़्ज़ुल इस्लाम के परिवार वालों ने पुलिस हिरासत में हुई मौत को लेकर कई सवाल खड़े किए है.
अभियुक्त की मां ने मीडिया के समक्ष कहा, “पुलिस जब मेरे बेटे को घर से लेकर गई थी वो अच्छी हालत में था, फिर वो पुलिस की हिरासत में कैसे मर गया? पुलिस के लोगों ने रात में उसे मारकर तालाब में फेंक दिया और सुबह मुझे शव की शिनाख्त के लिए बुलाया.”
हालांकि पुलिस अधीक्षक डेका का कहना है कि अभियुक्त से पूछताछ करने के बाद उसेउस जगह लेकर गए थे जहां अपराध हुआ था.
पुलिस अधीक्षक ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “अभियुक्त से पूछताछ के बाद शनिवार तड़के क़रीब 3 बजे उनको अपराध वाली जगह लेकर गए थे. लेकिन इस बीच आरोपी हमारे दो सिपाहियों से हथकड़ी छुड़ाकर भागने का प्रयास किया और पास के तालाब में गिर गया.”
“उस समय वहां अंधेरा था. हमारे जवानों ने उन्हें तत्काल तलाशने की कोशिश की और एसडीआरएफ़ को भी इसकी सूचना दी गई. तालाब में तलाशी के दौरान आरोपी का शव बरामद किया गया. इस घटना में हमारे एक सिपाही को भी हाथ में चोट लगी है.”
इस बीच अभियुक्त के गांववालों ने घोषणा की है कि वो अभियुक्त के परिवार का “सामाजिक बहिष्कार” करेंगे. अभियुक्त के गांववालों ने शनिवार को एक बैठक कर सामूहिक रूप से फै़सला किया कि तफ़ज़्ज़ुल के शव को अपने गांव के क़ब्रिस्तान में दफ़नाने की अनुमति नहीं दी जाएगी|
इस फै़सले पर अभियुक्त के परिवार के लोगों ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि अभी तफ़ज़्ज़ुल का आरोप कोर्ट में सिद्ध नहीं हुआ है लिहाज़ा उनके जनाजे़ के लिए ज़मीन नहीं देना अन्याय है|
इस बारे में पूछने पर पुलिस अधीक्षक डेका ने कहा कि अभियुक्त के गांववालों के फै़सले के बारे में उनको भी ख़बर मिली है|
उन्होंने कहा, “ऐसी स्थिति में पुलिस 72 घंटे इंतजार करती है. आमतौर पर पोस्ट मार्टम के बाद शव परिवार को सौंप दिया जाता है. लेकिन 72 घंटे तक अगर कोई शव नहीं लेता तो उस स्थिति में पुलिस को ही दाह संस्कार करना पड़ता है.”
सांप्रदायिकता से क्यों जोड़ा रहा है सीएम का बयान
इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने जो बयान दिया कुछ लोग उसे सांप्रदायिक बता रहे हैं| इस कथित बलात्कार की घटना के बाद मुख्यमंत्री सरमा ने कहा था, “जिन अपराधियों ने धींग की एक हिंदू नाबालिग़ लड़की के साथ जघन्य अपराध करने का साहस किया, उन्हें क़ानून छोड़ेगा नहीं. लोकसभा चुनाव के बाद एक विशेष समुदाय अत्यंत सक्रिय हो रहा है. हिंदुओं को भाषाओं के आधार पर बांटने की कोशिश से सभी को सतर्क रहना चाहिए.”
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते लोकसभा चुनाव के बाद असम इस तरह की 22 घटनाएं हुई है. ये वाली 23 नंबर घटना है.
उन्होंने कहा, ”लोकसभा चुनाव के बाद कुछ विकृत मानसिकता के लोग ऐसी घटनाओं के लिए प्रोत्साहित कर रहें है. मैंने इस घटना की जांच के लिए पुलिस महानिदेशक को भेजा है.”
मुख्यमंत्री ने कहा, “जिन इलाक़ों में हमारे स्वदेशी (खिलोंजिया) लोग अल्पसंख्यक हुए है वहां हमारे लोगों को इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है.”
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे स्वदेशी लोग बंगाली-मारवाड़ियों हिंदी भाषियों की चिंता करते रहते है लेकिन हमारे मित्र कौन है और दुश्मन कौन है ये बाते लोग समझना नहीं चाहते.
सीएम के बयान पर आ रही हैं प्रतिक्रियाएं
मुख्यमंत्री के इस बयान की कई राजनीतिक दलों और संगठनों ने आलोचना की है उनके इस बयान को कई स्थानीय भाषा के अखबारों ने पहले पन्ने पर छापा है.
मुख्यमंत्री के इस बयान पर धींग विधानसभा से लगातार तीन बार विधायक बने एआईयूडीएफ़ विधायक अमीनुल इस्लाम ने बीबीसी से कहा,”अपराधी की कोई धर्म और जाति नहीं होती. हम सब चाहते हैं जिसने भी यह जघन्य अपराध किया है उसे कड़ी से कड़ी सज़ा मिले. लेकिन मुख्यमंत्री ने घटना के कुछ घंटों के बाद ही मुसलमानों को दुश्मन बता दिया. इस तरह के बयान असम के सौहार्दयपूर्ण और भाईचारे वाले माहौल के लिए ठीक नहीं है. जो लोग इस घटना को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहें है उनका मकसद महिला सुरक्षा और पीड़िता को न्याय दिलाना है. मुख्यमंत्री हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के लिए इस तरह की बात कर रहे हैं.”
“आरोपी के गांववाले उनके जनाजे़ में जाने से इनकार कर दिया है.वो ऐसा कर समाज के सभी लोगों को यह बताना चाहते है कि बलात्कार जैसे जघन्य अपराध में शामिल लोगों को मौत के बाद भी ज़मीन नहीं मिलेगी. मुसलमान समाज दोषियों के लिए कड़ी सज़ा चाहते है ताकि पीड़िता को न्याय मिल सके.”
इस बीच मुख्यमंत्री सरमा इस घटना को लेकर लगातार बयान जारी कर रहे हैं. उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, “आप मेरा तीन वर्ष का रिकॉर्ड देख लीजिए. जो जघन्य अपराध कोलकाता में हुआ, अगर ऐसा असम में होता है, तो हमारी सरकार तुरंत न्याय कर देती है. राज्य का विपक्ष मेरी इस नीति की आलोचना करता है लेकिन मुझे कोई फर्क़ नहीं पड़ता. बेटियों की रक्षा में कोई समझौता नहीं होगा.”
पीड़िता के गांव के प्रधान मुकुल कलिता भी मौजूदा माहौल में कुछ ऐसा ही कहते है|
वो कहते हैं, “धींग इलाके़ के लोग पीड़िता के लिए न्याय चाहते हैं. इस घटना के बाद इलाके़ में महिलाओं के संगठन के साथ जो भी नागरिक संगठन विरोध कर रहें है उनका मक़सद केवल महिला सुरक्षा और इस घटना में पीड़िता को न्याय दिलाना है.”
“हमारे इलाके में एक सक्रिय स्प्रे गैंग पिछले कुछ महीनों से लूटपाट और महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध की घटना कर रहे थे. गांव के लोगों ने प्रशासन से इसकी शिकायत कई बार की थी. इन शिकायतों के बाद पिछले जुलाई महीने प्रशासन ने धींग थाने के प्रभारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई करते हुए उनका तबादला कर दिया था. लेकिन बावजूद इसके 22 अगस्त को बलात्कार की यह घटना हो गई. हमारे इलाके़ का कोई भी व्यक्ति सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ना नहीं चाहता. हम केवल महिलाओं सुरक्षा चाहते है.”
पुलिस अधीक्षक डेका के अनुसार इस घटना के बाद धींग शहर से 3 किलोमीटर अंदर के इलाकों में काफ़ी तनाव बना हुआ है|
लिहाज़ा संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस और सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ाई गई है. पीड़ित लड़की का जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है और एसपी की जानकारी के मुताबिक़ पीड़िता का स्वास्थ्य अब ठीक है|
सौजन्य :बीबीसी
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