अंबेडकर की मूर्ति हटाने के विरोध में गांव बरटा के दलितों का कैथल में प्रदर्शन
गांव बरटा की पंचायती जमीन पर लगी डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा हटाए जाने के विरोध में सोमवार को गांव के दलितों ने शहर में प्रदर्शन किया और डीसी को अपनी मांगों का ज्ञापन दिया। प्रदर्शन का नेतृत्व एडवोकेट रजत कंसल ने किया। ग्रामीण सुबह जोहर पार्क में इकट्ठे हुए और एक सभा की। सभा में रजत ने कहा कि 9 फरवरी को सरकारी ग्रांट से गांव बरटा में सार्वजनिक भूमि पर बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित की गई थी जिसे मौजूदा सरपंच दूसरे ग्राम वासियों की सहायता से हटाना चाहता है।
उन्होंने बताया कि सरपंच जब दीवार तोड़ने लगा तो दलितों ने विरोध किया और दोनों पक्षों में विवाद हो गया। पुलिस ने दोनों पक्षों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। जांच डीएसपी को सौंप गई थी और उसने 90 दिनों में रिपोर्ट देनी थी। रजत कंसल ने कहा कि डीएसपी ने 15 दिन में रिपोर्ट दे दी और दूसरे पक्ष से एससी एक्ट हटा दिया। दूसरे पक्ष की शिकायत पर दलितों को ही गिरफ्तार किया गया। गांव के सरपंच ने बीआर अंबेडकर सभा को प्रतिमा हटाने के लिए नोटिस दिया। इसके बाद एसडीएम ने भी प्रतिमा हटाने के आदेश जारी किए। उन्होंने कहा कि हम इसके विरोध में हाईकोर्ट चले गए और हाईकोर्ट ने यथा स्थिति बनने के आदेश जारी किए हैं। बावजूद इसके सरपंच जबरदस्ती अंबेडकर की प्रतिमा हटाने पर तुला हुआ है। सोमवार को दलितों ने नेहरू पार्क से लेकर यहां तक पैदल मार्च किया। वे अपनी मांगों को लेकर एसपी डीसी से मिलने के लिए पहुंचे। उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन बात सुनता है तो ठीक है, नहीं तो सभी लोग गांव से आकर वहां पर प्रदर्शन करेंगे।
‘गांव बालू में भी दलितों के साथ हुई नाइंसाफी’
भीम आर्मी कैथल जिला के प्रधान राजेश ने कहा कि गांव बालू में भी दलितों के साथ नाइंसाफी की गई और उनके गांव का भी यही मैटर है। पंचायत के जितने भी नुमाइंदे हैं और सरकार के जितने भी आदमी बैठे हैं। वह सब हमारे खिलाफ हैं। दलित समाज के लोग जवाहर पार्क से पेहवा चौक होते हुए प्रदर्शन करते लघु सचिवालय पहुंचे। लघु सचिवालय के बाहर काफी देर तक कोई भी अधिकारी उनके ज्ञापन लेने के लिए नहीं पहुंचा। इसके बाद एसपी उपासना व एडीसी जय श्रद्धा मौके पर पहुंची और उनका ज्ञापन लिया।
सौजन्य:दैनिक ट्रिब्यून
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