दलित शिक्षक की हत्या पर राजस्थान विधानसभा में हुआ हंगामा,
राजस्थान विधानसभा में क़ानून व्यवस्था और दलित अत्याचार के मुद्दे पर विपक्ष ने मंगलवार को जबरदस्त हंगामा किया. सदन में काफी देर तक नारेबाजी चलने पर स्पीकर ने विपक्षी सदस्यों को सदन से बाहर जाने के लिए कहा|
राजस्थान न्यूज़ डेस्क !!! राजस्थान विधानसभा में क़ानून व्यवस्था और दलित अत्याचार के मुद्दे पर विपक्ष ने मंगलवार को जबरदस्त हंगामा किया. सदन में काफी देर तक नारेबाजी चलने पर स्पीकर ने विपक्षी सदस्यों को सदन से बाहर जाने के लिए कहा. इस पर विपक्ष ने सदन की कार्यवाही से ही वॉकआउट कर दिया.
मंत्री जोगाराम के जवाब पर विपक्ष का हंगामा
संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने सदन में कानून व्यवस्था पर जवाब देते हुए कहा कि कन्हैया लाल की हत्या और शंकर लाल की हत्या को एक माना जा सकता है. जिन परिस्थितियों और मकसद के चलते कन्हैया लाल की हत्या की गई। वहीं, शंकर लाल की हत्या करने वाले ने तलवार से अपना गला काटकर आत्महत्या कर ली. सरकार इसकी पूरी जानकारी समय-समय पर सदन को देगी. मंत्री के जवाब से विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ और शोर मचाने लगा. अध्यक्ष संदीप शर्मा ने कहा कि हत्या का कारण पता चलेगा, उसके बाद मुआवजा भी दिया जायेगा.
सदन में विपक्षी सदस्य ‘शंकर लाल को न्याय दो, न्याय दो’ के नारे लगाने लगे. इसके बाद सभापति की जगह विधानसभा अध्यक्ष आसन पर आये और उन्होंने सभी विपक्षी सदस्यों को अपनी सीटों पर जाने का निर्देश दिया. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि आसन ने कल व्यवस्था की थी कि सरकार जवाब देगी. लेकिन सरकार का जो जवाब आया, उसमें एक भी शब्द नहीं कहा गया. दूसरे मामले में सरकार 50 लाख का मुआवजा देती है. अगर दलित मर जाए तो मुआवजा नहीं मिलना चाहिए. अगर किसी और को सरकारी नौकरी मिलती है तो किसी दलित को नौकरी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? टीकाराम जूली ने कहा कि आप मुआवजा तय करें, हम सुनने को तैयार हैं। इसके बाद विपक्ष नारेबाजी करते हुए वॉकआउट कर गया|
डोटासरा बोले- सरकार नहीं सुन रही
वहीं, राजस्थान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि सलूंबर में शिक्षक शंकरलाल मेघवाल की तलवार से सिर काटकर हत्या कर दी गई. सरकार के कान में जू तक नहीं रेंग रही है। सरकार कोई सुनवाई नहीं कर रही है. भाजपा के वे लोग सत्ता में हैं, जो हमारी सरकार के समय कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाते थे। आए दिन विरोध प्रदर्शन करते थे। एक दलित का तलवार से सिर काट दिया गया, लेकिन एक रुपये का मुआवजा नहीं दिया गया. आज हद तो तब हो गई, जब सरकार ने शंकर लाल के परिवार की 50 लाख रुपये मुआवजे और दूसरे बच्चे को कॉन्ट्रैक्ट नौकरी की मांग खारिज कर दी. इसलिए आज की कार्यवाही का बहिष्कार किया|
सौजन्य:समाचारनामा
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