केंद्रीय बजट 2024-25 : फिर हाशिए पर दलित, आदिवासी और ओबीसी
संबंधित मंत्रालयों व विभागों द्वारा उन्हें आवंटित बजट का पूर्ण उपयोग न कर पाना चिंता का अहम विषय है। साल-दर-साल, वास्तविक व्यय, बजट अनुमानों से कम रहे हैं। यह न केवल योजनाओं के अप्रभावी कार्यान्वयन की ओर इंगित करता है, बल्कि हाशियाकृत समुदायों के प्रति उपेक्षा भाव भी दर्शाता है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 का केंद्रीय बजट प्रस्तुत करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार की जो प्राथमिकताएं गिनाईं, वे हैं– कृषि में उत्पादकता और अनुकूलनीयता, रोजगार और कौशल प्रशिक्षण, समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय, विनिर्माण और सेवाएं, शहरी विकास, ऊर्जा सुरक्षा, अवसंरचना, नवाचार, अनुसंधान और विकास, और अगली पीढ़ी के सुधार। समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय का फोकस पूर्वी (विशेषकर बिहार), उत्तर-पूर्वी राज्यों व आंध्र प्रदेश तक सीमित है। वित्त मंत्री ने 63 हजार आदिवासी-बहुल गांवों और आकांक्षी जिलों के गांवों के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान की घोषणा की है, मगर जनजातीय मामलों के मंत्रालय के बजट में जिन योजनाओं की सूची दी गई है, उनमें यह योजना शामिल नहीं है।
हाशियाकृत समुदायों हेतु बजट
समाज के विभिन्न हाशियाकृत समुदायों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने का उत्तरदायित्व जिन मंत्रालयों और विभागों को सौंपा गया है, उनके बजट में या तो कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है या नाममात्र की हुई है। पिछले साल की तुलना में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के बजट में केवल 1.2 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है, जबकि दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग का बजट उतना ही है, जितना पिछले साल था। जनजातीय मामलों के मंत्रालय का बजट पिछले साल की तुलना में 4.3 प्रतिशत ज्यादा है, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय हेतु बजट आवंटन पिछले साल से 1.3 प्रतिशत ज्यादा है और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का मात्र 2.5 प्रतिशत अधिक है।
जैसा कि नीचे दी गई तालिका से स्पष्ट है, जहां लगभग सभी मंत्रालयों के बजट में 2021-22 और 2022-23 की तुलना में 2023-24 में वृद्धि हुई है, वहीं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के बजट में भारी कमी आई है और इस वर्ष भी वह लगभग पिछले वर्ष जितना ही है।
हाशियाकृत तबकों के कल्याणार्थ मंत्रालयों / विभागों को आवंटित बजट (करोड़ रुपए में)
उपर्युक्त तालिका में दिए गए वास्तविक व्यय के आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि इन मंत्रालयों/विभागों ने उन्हें आवंटित बजट का काफी बड़ा हिस्सा खर्च ही नहीं किया। साल-दर-साल सभी मंत्रालयों का वास्तविक व्यय, बजट अनुमानों से कम रहा है। यह न केवल योजनाओं के अप्रभावी कार्यान्वयन की ओर इंगित करता है, बल्कि हाशियाकृत समुदायों के प्रति सरकार के उपेक्षा भाव को भी दर्शाता है।
हाशियाकृत तबकों के लिए संचालित प्रमुख योजनाएं
सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय को अनुसूचित जातियों (एससी), अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी), विमुक्त घुमंतू जनजातियों (डीएनटी) व ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। इस मंत्रालय की केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के लिए आवंटन में 100 करोड़ रुपए से थोड़े ज्यादा की वृद्धि हुई है, जबकि केंद्र-प्रायोजित योजनाओं का बजट वही का वही है। अनुसूचित जातियों के विकास के लिए अम्ब्रेला योजना, अन्य कमज़ोर वर्गों के विकास के लिए अम्ब्रेला योजना और विमुक्त, घुमंतू व अर्ध-घुमंतू समुदायों के आर्थिक सशक्तिकरण हेतु योजना के लिए आवंटन कमोबेश पिछले वर्ष के बराबर ही है। विमुक्त, खानाबदोश और अर्द्ध खानाबदोश समुदायों के लिए विकास और कल्याण बोर्ड के बजट में मात्र तीन करोड़ रुपए की बढ़ोत्तरी की गई है। ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण के व्यापक पुनर्वास के लिए योजना का बजट, जो 2023-24 में मात्र 52 करोड़ था, को बढ़ा कर 68 करोड़ कर दिया गया है।
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जनजातीय मामलों के मंत्रालय की केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के लिए आवंटन में करीब 500 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है जबकि इसी मंत्रालय द्वारा संचालित केंद्र-प्रायोजित योजनाओं का बजट पिछले वर्ष के बराबर ही है। प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन एवं प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (जिसे पूर्व में जनजातीय उपयोजना के लिए विशेष केंद्रीय सहायता कहा जाता था) के बजट में कटौती हुई है, जबकि अनुसूचित जनजाति के छात्रों की उच्च शिक्षा के लिए राष्ट्रीय फ़ेलोशिप व छात्रवृत्ति के लिए निर्धारित बजट, पिछले वर्ष के पुनरीक्षित अनुमानों से कम है।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के लिए आवंटन में कमी आई है जबकि इसी मंत्रालय द्वारा संचालित केंद्र-प्रायोजित योजनाओं का बजट लगभग पिछले वर्ष के बराबर है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत शैक्षणिक सशक्तिकरण हेतु निर्धारित कुल बजट 1,689 करोड़ रुपए से घटाकर 1,575 करोड़ रुपए कर दिया गया है और मंत्रालय द्वारा संचालित कौशल विकास व आजीविका योजनाओं के लिए मात्र तीन करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। हालांकि, इसी मंत्रालय के अंतर्गत प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम का बजट बढ़ा दिया गया है।
अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के कल्याण हेतु बजट आवंटन
अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के कल्याण हेतु बजट आवंटन में क्रमशः 4 प्रतिशत और 4.5 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के कल्याण हेतु बजट, केंद्र सरकार की सभी योजनाओं के लिए निर्धारित कुल बजट का क्रमशः 8.18 प्रतिशत व 4.85 प्रतिशत है, जो कि देश की कुल आबादी में इन समुदायों की आबादी के प्रतिशत से काफी कम है।
अनुसूचित जातियों व जनजातियों के कल्याणार्थ बजट (करोड़ रुपए में)
लिंग-आधारित बजट
जहां तक लिंग-आधारित बजट का प्रश्न है, इस साल वह देश के कुल बजट का 6.8 प्रतिशत है, जो पिछले वर्षों से ज्यादा है। लेकिन इस वर्ष लिंग-आधारित बजट में बढ़ोत्तरी का कारण है नए विभागों और मंत्रालयों के लिंग-आधारित बजटों का इसमें समावेश किया जाना और साथ ही अन्य मंत्रालयों के ऐसी योजनाओं का इसमें शामिल किया जाना, जो पूर्व में इसमें शामिल नहीं थीं।
लिंग-आधारित बजट हेतु आवंटन (करोड़ रुपए में)
अतः लिंग-आधारित बजट के आकार में वृद्धि का कारण जेंडर बजट स्टेटमेंट (जीबीएस) में बेहतर रिपोर्टिंग है। उदाहरण के लिए, भाग ‘ए’ (वे योजनाएं, जिनके अंतर्गत 100 प्रतिशत धनराशि महिलाओं हेतु आवंटित की जाती है), में महत्वपूर्ण वृद्धि ग्रामीण विकास विभाग की राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन – आजीविका व पेट्रोलियम मंत्रालय के अंतर्गत निर्धन परिवारों हेतु निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन के योजनाओं को शामिल किये जाने के कारण है। मगर ये दोनों ही योजनाएं नई नहीं हैं। यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि निर्धन परिवारों हेतु निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन के लिए पिछले साल आवंटन लगभग शून्य था और आजीविका हेतु आवंटन को भाग ‘ए’ में शामिल नहीं किया गया था। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने ड्रोन दीदी नामक एक नई योजना प्रारंभ की है, जिसे जीबीएस के भाग ‘ए’ में शामिल किया गया है।
इसी तरह, भाग ‘बी’ (जिसमें ऐसी योजनाएं शामिल हैं जिनके बजट की 30-99 प्रतिशत धनराशि महिलाओं हेतु आवंटित की जाती है) में संस्कृति मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) एवं ऊर्जा मंत्रालयों ने नई योजनाओं को शामिल किया गया है।
इसके अलावा, सरकार ने इस बार लिंग-आधारित बजट में भाग ‘सी’ जोड़ा है, जिसमें वे योजनाएं शामिल की गईं हैं, जिनके बजट का 30 प्रतिशत से कम महिलाओं हेतु आवंटित किया जाता है। इस वर्ष इस भाग में केवल एक योजना का ज़िक्र है– प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम – किसान), जिसके अंतर्गत 15,000 करोड़ रुपए (योजना के लिए कुल आवंटन का 25 प्रतिशत) महिला लाभार्थियों के लिए आवंटित है। पीएम–किसान योजना भूस्वामियों के लिए है और केवल वे किसान इसका लाभ प्राप्त कर सकते हैं, जो कृषि भूमि के मालिक हैं। चूंकि केवल 14 प्रतिशत महिला कृषक भूस्वामी हैं, अतः इस योजना के अंतर्गत लिंग-आधारित बजट के लिए 25 प्रतिशत आवंटन किया जाना स्वागतयोग्य है।
प्रमुख योजनाओं हेतु बजट
जहां तक केंद्र सरकार की योजनाओं का सवाल है, समग्र शिक्षा, स्वच्छ भारत मिशन – शहरी एवं ग्रामीण, राष्ट्रीय आयुष मिशन, आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण, अमृत योजना, मिशन वात्सल्य (बाल संरक्षण सेवा एवं बाल कल्याण सेवा), मिशन शक्ति (महिला संरंक्षण एवं सशक्तिकरण मिशन) एवं जलजीवन मिशन – ग्रामीण हेतु आवंटन या तो पिछले वर्ष के बराबर है या उससे थोड़ा अधिक। महात्मा गांधी ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा), जो ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार का प्रमुख आधार है, के लिए आवंटन पिछले वर्ष के पुनरीक्षित अनुमानों के बराबर है।
इसके साथ ही, प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम पोषण), प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, फ्लेक्सिबल पूल फॉर अर्बन हेल्थ मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना – शहरी, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, सक्षम आंगनवाडी व पोषण 2.0 हेतु आवंटन में कुछ वृद्धि हुई है। लेकिन आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अधोसंरचना मिशन व स्मार्ट सिटी योजना हेतु आवंटन में कमी आई है।
कुल मिलकर, 2024-25 के बजट में, समाज के हाशियाकृत वर्गों के लिए कुछ ख़ास नहीं है।
सौजन्य:फॉरवर्ड प्रेस
नोट: यह समाचार मूल रूप से forwardpress.in में प्रकाशित हुआ है|और इसका उपयोग पूरी तरह से गैर-लाभकारी/गैर-व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए विशेष रूप से मानव अधिकार के लिए किया गया था।