MP News: यूपी के बाद अब एमपी में भी दुकानों के बाहर नेम प्लेट लगाने की सुगबुगाहट, फैसले से पहले ही कांग्रेस ने चल दी बड़ी चाल
MP News: एमपी कांग्रेस के प्रवक्ता मिथुन अहिरवार ने इस मांग को दलितों के खिलाफ बताया. मिथुन अहिरवार ने कहा कि भाजपा विधायक की मांग आपत्तिजनक है. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि देश और प्रदेश में दलितों को पूर्वाग्रह का सामना करना पड़ता है.
Edited by: मो. इफ्तेखार अहमद
MP News: यूपी के बाद अब एमपी में भी दुकानों के बाहर नेम प्लेट लगाने की सुगबुगाहट, फैसले से पहले ही कांग्रेस ने चल दी बड़ी चाल
Ujjain News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और उत्तराखंड (Utrakhand) के बाद अब मध्य प्रदेश ( Madhya Pradesh) में भी दुकानों के बाहर नेम प्लेट लगाने की मांग ने जोर पकड़ लिया है. भाजपा के कुछ विधायकों ने मुख्यमंत्री मोहन यादव (Mohan Yadav) को पत्र लिखकर दुकान मालिकों के नाम दुकान के बाहर लगाए जाने की मांग की है.
दलित विरोधी कदम
हालांकि, मध्य प्रदेश की कांग्रेस इकाई ने भाजपा विधायकों की मांग का विरोध किया है. एमपी कांग्रेस के प्रवक्ता मिथुन अहिरवार ने इस मांग को दलितों के खिलाफ बताया. मिथुन अहिरवार ने कहा कि भाजपा विधायक की मांग आपत्तिजनक है. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि देश और प्रदेश में दलितों को पूर्वाग्रह का सामना करना पड़ता है. कई जगह ऐसी घटनाएं सामने आई हैं कि स्कूलों में दलित महिलाओं द्वारा बनाए गए भोजन को बच्चों ने खाने से मना कर दिया. यह कदम दलितों के खिलाफ है.
मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव को एक पत्र लिखा है. इसमें भाजपा विधायक के दुकान के बाहर नेम प्लेट लगाने की मांग का विरोध जताया गया है. उन्होंने पत्र में लिखा कि भाजपा की जाति और धर्म की राजनीति कोई नई बात नहीं है. लेकिन, उत्तर प्रदेश मॉडल का अनुसरण मध्य प्रदेश में भी होना, यह मध्य प्रदेश के लिए चिंताजनक विषय है. उत्तर प्रदेश में ठेले पर ठेले वाले का नाम लिखने के निर्णय का आपके सहयोगी दलों ने भी विरोध किया है. आपके एक विधायक के द्वारा मध्य प्रदेश में भी यही कृत्य करने की मांग की गई है, जिसका दलित समाज एवं कांग्रेस पार्टी की ओर से विरोध किया जाता है.
दलितों के हाथ का भोजन खाने से भी है परहेज
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि कई बार दलित समाज के लोग जो भोजन बनाने की व्यवस्था में शामिल हैं, उनको पूर्वाग्रह की नजर से देखा गया है. मध्य प्रदेश समेत पूरे देश में उदाहरण मौजूद है कि जहां मिड डे मील में दलित महिलाओं द्वारा बनाया भोजन खाने से सवर्ण बच्चों ने इंकार कर दिया. इसी देश में बिरयानी बेचते एक युवक की तब पिटाई कर दी गई, जब लोगों को पता चल कि वह दलित है.
घृणित राजनीति को न दिया जाए स्थान
पत्र में आगे उन्होंने लिखा है कि किसी के नाम से यह पता नहीं चलता है कि भोजन शुद्ध शाकाहारी है, या मांसाहारी. समाज के लोग सभी तरीके के भोजन की प्राथमिकताएं देते हैं. अगर पहले नाम का जिक्र किया जाए तो गुड्डू, मुन्ना, लकी, जैसे नाम इनसे किसी के धर्म या जाति का पता नहीं चलता है. आगे जाकर हो सकता है मांग की जाए कि पूरा नाम सरनेम सहित लिखा जाए. मैं आप से मांग करता हूं कि आपके विधायक की मांग को खारिज किया जाए और मध्य प्रदेश में ऐसी घृणित राजनीति को स्थान न दिया जाए.
संबंध में सरकार को कोई निर्देश नहीं
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने स्पष्ट किया है कि नगरीय क्षेत्र अंतर्गत कावड़ यात्रियों के मार्ग में आने वाली दुकानों के बोर्ड पर दुकान मालिक के नाम लिखने संबंधित कोई भी निर्देश नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा या शासन स्तर पर जारी नहीं किए गए हैं . विभाग ने कहा कि कुछ निकायों से इस तरह की खबरें आ रही थी कि वहां कावड़ यात्रियों के मार्ग में दुकानों पर दुकान मालिक के नाम अनिवार्य रूप से लिखवाए जा रहे हैं. विभाग ने समस्त नगरीय निकायों को निर्देश दिए है कि भ्रम से दूर रहें. मध्यप्रदेश आउटडोर विज्ञापन मीडिया नियम, 2017″ के तहत दुकानों पर बोर्ड लगाए जा सकते हैं. इन बोर्डों पर दुकान मालिक का नाम प्रदर्शित करने की कोई अनिवार्यता नहीं है.
सौजन्य: NDTV
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