बिलकिस बानो के दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम जमानत के लिए लगाई याचिका, न्यायाधीश ने सुनवाई से किया इनकार
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस के दो दोषियों की अंतरिम जमानत की याचिका पर सुनवाई करने से ही इनकार कर दिया। दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट के ही जनवरी के फैसले को चुनौती दी थी जिसमें गुजरात सरकार के फैसले को पलट दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बिलकिस बानो केस के दोषियों को सरेंडर करना पड़ा था। इस मामले के दो दोषियों रादेश्याम भगवानदास शाह और राजुभाई बाबूलाल सोनी ने सुप्रीम कोर्ट के ही फैसले को चुनौती देते हुए कहा था कि दो बेंचों ने विपरीत फैसला सुनाया था ऐसे में किसका फैसला लागू होगा। वहीं जब तक इस बात का फैसला नहीं हो जाता, उन्हें अंतरिम जमानत दी जाए।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा कि यह याचिका पूरी तरह गलत है। बेंच ने कहा कि आखिर एक दूसरी पीठ के फैसले के खिलाफ अपील कैसे की जा सकती है? यह कैसी याचिका है? किसी किसी भी मायने में स्वीकार नहीं किया जा सकता। यह सुनवाई योग्य ही नहीं है। बेंच ने कहा, आर्टिकल 32 के तहत एक पीआईएल के तौर पर इसे कैसे दाखिल किया जा सकता है। वहीं दूसरी पीठ द्वारा पारित आदेश पर हम कैसे सुनवाई कर सकते हैं?
इसके बाद दोनों दोषियों की तरफ से फाइल याचिका को उके वकील ऋषि मल्होत्रा ने वापस ले लिया। भगवानदास शाह ने अंतरिम जमानत के लिए भी याचिका फाइल की थी जिसपर सुनवाईनहीं हुई। दोषियों का कहना था कि 8 जनवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया था वह 2002 की संविधान पीठ के खिलाफ था। ऐसे में अपील की गई थी कि मामले को बड़ी पीठ को सौंपा जाए। हालांकि जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि इस मामले में दूसरा ही फैसला मान्य होगा।
दरअसल 2002 में गोधरा कांड के बाद फैले दंगे के दौरान बिलकिस बानो के परिवार के सात लोगों को मार दिया गया था। वहीं बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया। उस वक्त वह पांच महीने की गर्भवती थीं। बाद में अहमदाबाद सेशन कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही थी। बिलकिस बानो ने कहा कि यहां सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश हो रही है और गवाहों को डराया धमकाया जा रहा है। इसके बाद मामले को मुंबई कोर्ट शिफ्ट कर दिया गया। मुंबई कोर्ट ने 2008 में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई और सात को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। साल 2023 में गुजरात सरकार ने 11 दोषियों की रिहाई का आदेश दे दिया। जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया और दोषियों को फिर से सरेंडर करना पड़ा।
सौजन्य: राईट न्यूज़ इंडिया
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