मुकदमा : मुद्दई समेत चार गवाहों की मौत, 26 साल बाद दलित उत्पीड़न के आरोपी पिता-पुत्र बरी
मामला इलाहाबाद (अब प्रयागराज) जिले के सोरांव थानाक्षेत्र का है। 16 अक्तूबर 1998 को महंगूपुर के रघुवीर प्रसाद ने गांव के शिव सागर द्विवेदी और उनके बेटे श्याम सुंदर द्विवेदी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी।
जिला अदालत ने दलित उत्पीड़न का आरोप झेल रहे पिता-पुत्र को 26 साल बाद बेगुनाह करार दिया। यह फैसला अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रत्नेश कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने सुनाया। इस दौरान एफआईआर दर्ज कराने वाले मुद्दई समेत चार गवाहों की मौत हो गई, जबकि बाकि गवाहों को पुलिस पेश नहीं कर सकी।
मामला इलाहाबाद (अब प्रयागराज) जिले के सोरांव थानाक्षेत्र का है। 16 अक्तूबर 1998 को महंगूपुर के रघुवीर प्रसाद ने गांव के शिव सागर द्विवेदी और उनके बेटे श्याम सुंदर द्विवेदी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप लगाया कि आरोपी पिता-पुत्र ने तहसील गए मुद्दई के भाई रघुनाथ प्रसाद की जेब में रखी ग्राम प्रधान की मोहर जबरन निकाल कर सादे कागज पर लगा लिया। फिर तमंचा सटाकर उस पर जबरदस्ती हस्ताक्षर करवा लिए। इसके बाद आरोपी मुद्दई की दुकान पर पहुंचे और जाति सूचक गालियां देने लगे। साथ ही जान से मारने की धमकी भी दी। कहा कि तुम्हारे भाई को दौड़ा-दौड़ा कर गोली मारेंगे।
मामले की विवेचना के बाद पुलिस ने पिता-पुत्र के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया। 26 साल चले मुकदमे के दौरान मुद्दई रघुवीर प्रसाद समेत अभियोजन के चार गवाह रघुनाथ प्रसाद, हरीलाल और अनिल कुमार की मौत हो गई। जबकि, विवेचक समेत बाकी गवाहों को अदालत ने कई बार तलब करने के बावजूद पुलिस पेश नहीं कर सकी। न ही कोई साक्ष्य दे पाई, जिसके आधार पर आरोप संदेह से परे साबित हो सके। लिहाजा, अदालत ने 26 साल बाद आरोपी पिता-पुत्र को बेगुनाह करार देते हुए सभी आरोपों से बरी कर दिया।
सौजन्य: अमर उजाला
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