सागर के दलित परिवार की अंजना की मौत का मामला:फैक्ट फाइंडिंग कमेटी( PUCL)ने की सीबीआई जांच की मांग, पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह पर आरोप
सागर मे हुए दलित परिवार हत्याकांड के मामले में सीबीआई जांच की मांग करने वाली टीम में शामिल पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीस( PUCL) की माधुरी और उनके सागर जिले के बरौदिया नौनागिर गांव में करीब एक साल पहले हुई दलित परिवार के चाचा-भतीजे की हत्या और एक युवती की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत की सीबीआई जांच की मांग इस मामले की व्यक्तिगत पड़ताल करने वाली फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने की है। कमेटी की से पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीस की माधुरी ने इस मामले में पूर्व मंत्री और विधायक भूपेंद्र सिंह की लिप्तता की बात कहते हुए मीडिया से कहा है कि पुलिस उनके दबाव के चलते जांच चल रही है, ऐसा कहकर पल्ला झाड़ रही है।
घटना से जुड़े 11 आरोपियों की गिरफ्तारी अब तक नहीं की गई है जबकि पूरा मामला मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के जानकारी में है। सबसे बड़ी बात की चौराहे पर इस परिवार की महिला के साथ मारपीट कर निर्वस्त्र किए जाने को भी इसमें अनदेखा किया जा रहा है।
पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीस की ओर से माधुरी और एडवोकेट मोहन दीक्षित, आदित्य रावत व अखिल भारतीय नारीवादी मंच की अंजली, एका संस्था की नीलू दाहिया, जागृत आदिवासी दलित संगठन के नितिन की संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में माधुरी ने कहा कि सागर जिले के दिग्गज नेता, विधायक और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह द्वारा इस मामले मे दिए गए बयान पीड़ितों के खिलाफ हैं। वे पीड़त परिवार को ही दोषी बताने वाले बयान देते रहे हैं। उन्होंने नितिन की हत्या के बाद उन्होने इसे आपसी विवाद बताया। अंजना और राजेंद्र के मौत के बाद राजेंद्र को अपराधी और अंजना को अपराधियों द्वारा गुमराह बताया जबकि मामला दबंगों द्वारा दलितों का अत्याचार का है, जिसमें एक नाबालिग लड़की पर हिंसा, तीन नौजवानों की मौत, एक महिला को पीट कर निर्वस्त्र किया जाना और दलितों के घर तोड़े जाने के घटनाक्रम रहा है। इस मामले में आरोपी लंबरदारों में से तीन प्रमुख आरोपी कोमल ठाकुर और उनके दो पुत्र भाजपा के कार्यकर्ता और पदाधिकारी रहे हैं ।
आरोपियों पर राजीनामा के लिए बनाया जा रहा दबाव
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की ओर से माधुरी ने कहा कि अपनी पड़ताल में हमने पाया कि मीडिया की सक्रियता के कारण नितिन हत्या कांड में अधिकांश आरोपी गिरफ्तार तो हुए पर कार्यवाही में कई कमियां रह गयी हैं। स्थानीय राजनेताओं और प्रशासन के पूर्वाग्रह और पक्षपात के कारण पीड़ित परिवार पर दबाव बरकरार रहा और राजेंद्र और अंजना की भी मौत हुई। आरोपियों के तरफ से पीड़ितों को राजीनामा करने के दबाव, एक स्थानीय राजनेता का नाम का नहीं जोड़ा जाना और कार्यवाही में शिथिलता के चलते लिखित शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी। अंजना की मौत को शव वाहन से गिरना या कूदना बताया जा रहा है जो अविश्वसनीय है। विवरण पूछे जाने पर डेढ़ माह बाद भी पुलिस जांच चल रही है, बोल कर चुप्पी साधे हुए है।
अंजना की मौत सामान्य नहीं
माधुरी ने कहा कि अंजना अहिरवार की मौत सामान्य घटना नहीं है। अंजना 15 वर्ष की उम्र में ही अपने ऊपर हुई हिंसा के मामले में रसूखदारों पर एफ़आईआर दर्ज करा पाईं थी और इस मामलें में समझौता करने से इनकार करती रहीं। अंजना अपने भाई नितिन की हत्या के मामले में फरियादी और एक मुख्य गवाह थी। चाचा की हत्या के मामले में भी मुख्य गवाह थीं क्योंकि उन्हीं को चाचा ने फोन पर अपने पर हो रहे हमले की सूचना दी थी। अंजना पर लगातार राजीनामा और गवाही बदलने का दबाव बनाया जा रहा था और इस संबंध में उन्होने कई लिखित शिकायतें भी की थी। अंजना ने हाई कोर्ट में नितिन की हत्या के आरोपियों की जमानत अर्जी पर भी आपत्ती लगाई जिससे उनकी जमानत खारिज हो गयी थी। अंजना सुप्रीम कोर्ट में भी आपत्ति लगाने की तैयारी कर रही थी।
निष्पक्ष जांच सीबीआई की इन्वेस्टिगेशन में ही हो सकती है
इन सभी मामलों में विस्तृत और निष्पक्ष जांच की सख्त जरूरत है, जिसके लिए स्थानीय पुलिस सक्षम और विश्वसनीय नहीं दिखाई दे रही है। इसलिए हमारा मानना है कि सीबीआई द्वारा ही जांच किया जाना चाहिए, जैसे कि पीड़ित परिवार द्वारा और क्षेत्र में लगातार मांग उठ रही है। नितिन- अंजना और राजेंद्र के पीड़ित परिवारों ने कई बार कहा कि वे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इस मामले में सत्ता और विपक्ष के कई दिग्गज राजनेताओं का दखल रहा है। इसके बाद भी पुख्ता कार्यवाही नहीं होने से पीड़ित परिवारों पर खतरा बढ़ गया है।
यह है पूरा मामला
अगस्त 2023 में सागर जिले के बरौदिया नौनागिर गांव में 18 वर्षीय दलित युवक नितिन अहिरवार की दबंगों द्वारा बर्बर हत्या और उसकी मां और बहन पर हमले का मामला सामने आया था। इसके 9 महीने बाद नितिन के चाचा और प्रकरण में एक मुख्य गवाह राजेन्द्र अहिरवार पर हमला कर उनकी हत्या की गई। इसके बाद राजेंद्र अहिरवार के शव को घर ले जाते समय लगातार न्याय की मांग कर रही नितिन की 20 वर्षीय बहन अंजना अहिरवार की भी संदेहास्पद स्थितियों में मृत्यु हो गई। इसके बाद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समेत अन्य भाजपा कांग्रेस नेताओं ने वहां विजिट किया था। सीएम के दौरान के डेढ़ माह बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
सौजन्य :दैनिक भास्कर
यह समाचार मूल रूप सेbhaskar.com में प्रकाशित हुआ है|और इसका उपयोग पूरी तरह से गैर-लाभकारी/गैर-व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए विशेष रूप से मानव अधिकार के लिए किया गया था|